लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर बड़े दावे करते हैं, लेकिन हाल में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के वर्ष 2023 में जारी आंकड़ों ने दावों की पोल खोल कर रख दी है। एनसीडब्ल्यू को देश भर से मिली महिला अपराध की शिकायतों में 16109 सिर्फ यूपी से है जो कुल शिकायतों का 55 प्रतिशत है।
टाइम्स ऑफ इण्डिया में प्रकाशित खबर के अनुसार एनसीडब्ल्यू को वर्ष 2023 में 28811 महिला अपराध से संबंधित शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें गरिमा व शालीनता के अधिकार के तहत 8540, घरेलू हिंसा की 6274 दहेज प्रताड़ना की 4797, मानसिक शोषण की 2349, बलात्कार की 1618 व बलात्कार के प्रयास की 1537 शिकायतें दर्ज की गईं। इसी प्रकार सेक्सुअल हैरेसमेंट की 805, साइबर क्राइम की 605, हॉनर क्राइम की 409 शिकायतें प्राप्त हुईं।
एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश 16109 शिकायतों के साथ पहले पायदान पर है, इसीप्रकार दिल्ली में 2411 शिकायतों के साथ दूसरे व महाराष्ट्र 1343 शिकायतों के साथ तीसरे पायदान पर है। बिहार से 1312 शिकायतें, मध्यप्रदेश से 11155, हरियाणा से राजस्थान से 1011, तमिलनाडु से 608, पश्चिम बंगाल से 569 व कर्नाटक से 501 शिकायतें आई हैं।
एनसीडब्ल्यू को वर्ष 2022 में देश भर से 30864 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जो वर्ष 2014 से अभी तक का सर्वाधिक आंकड़ा था।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार भी देश भर में उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है, यहां पर महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 65,743 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है, जहां 45,331 मामले और तीसरे नंबर पर राजस्थान में 45,058 मामले दर्ज किए गए। जबकि साल 2021 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 56,083 अपराध के मामले दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान 40,738 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा था। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ कुल 445,256 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में दर्ज 428,278 से चार प्रतिशत अधिक है। इनमें से ज्यादातर मामले पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा मारपीट के आते हैं। इसके बाद अपहरण, रेप जैसे मामले हैं।
हाल ही में जारी हुई एनसीआरबी की रिपोर्ट 2022 के मुताबिक देश भर में पॉक्सो की धाराओं के तहत कुल 62,095 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,49,404 मामले दर्ज किए गए।
द मूकनायक ने इस रिपोर्ट पर आईडा (AIDWA) की मधु गर्ग से बात की, उन्होंने हाल ही में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में सामने आई एक घटना का हवाला देते हुए कहा, "अपराध में वृद्धि के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक यह है कि आरोपियों की जाति, धर्म और राजनीतिक संबद्धता उनके खिलाफ कार्रवाई करने में आड़े आती है।"
अपनी बात को पुष्ट करने के लिए उन्होंने कहा, "लड़की ने अपराधियों की पहचान कर ली थी, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया और वे चुनाव प्रचार के लिए मध्य प्रदेश चले गए, क्योंकि आरोपी बीजेपी से हैं, लेकिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है. काफी दबाव के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है. हर काम इतना चोरी-छिपे किया गया कि आरोपियों को मीडिया के सामने पेश ही नहीं किया गया। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्ताधारी दल और पुलिस महिला अपराध को लेकर कितनी संवेदनशील है।"
लखनऊ निवासी महिला सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. रूपरेखा वर्मा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया कि यूपी में अपराध खत्म होने के दावे किए गए, लेकिन क्या अपराध खत्म हुए। "राज्य सरकार की प्राथमिकता धर्म और संस्कृति को बचाना है, इसी का नतीजा है कि पुलिस व प्रशासनिक अमला महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उदासीन है। इसलिए महिलाओं पर अपराध बढ़े हैं। हाल के तमाम उदाहरण हैं जहां सरकार महिलाओं पर अत्याचार करने वाले अपराधियों के साथ खड़ी नजर आई है," प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा ने द मूकनायक से कहा.
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