नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया कि उत्तर प्रदेश से महिला उत्पीड़न की सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। रिपोर्ट को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, इसबीच लखनऊ से एक समाचार सामने आया है, जहां आईपीएस अधिकारी अंकित मित्तल को इसलिए निलम्बित कर दिया गया है क्योंकि उनकी पत्नी ने घरेलू हिंसा के आरोप लगाए है।
बीते सप्ताह उन्नाव में तैनात सीओ कृपा शंकर कन्नौजिया विवाहेतर संबंधों के चक्कर में चर्चा में रहे। आईपीएस अंकित मित्तल पर उनकी पत्नी ने एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का आरोप लगाया है।
बता दें कि आईपीएस अंकित मित्तल की पत्नी ने अपने पति के ऊपर बदसलूकी करने का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद अंकित मित्तल को गोंडा एसपी के पद से हटा दिया गया था. मामले की जांच डीजी ट्रैनिंग को दे दी गई थी. तभी से इस मामले की जांच चल रही थी.
बताया जा रहा है कि डीजी ट्रेनिंग की जांच रिपोर्ट के बाद ही शासन ने आईपीएस अंकित मित्तल के खिलाफ ये एक्शन लिया है. जांच रिपोर्ट के बाद ही आईपीएस अंकित मित्तल को सस्पेंड किया गया है. आपको ये भी बता दें कि आईपीएस अंकित मित्तल की पत्नी रिटायर्ड डीजी गोपाल गुप्ता की बेटी हैं. बताया ये भी जा रहा है कि पत्नी-पति के बीच काफी समय से विवाद चल रहा था.
होटल में एक महिला आरक्षी के साथ पाए गए एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर गोरखपुर में प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) में पदावनत कर कांस्टेबल बना दिया गया है। पीएसी, 26 वीं वाहिनी गोरखपुर के कमांडेंट आनन्द कुमार ने बताया कि पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर कृपाशंकर कनौजिया (59) को उनके प्रथम नियुक्ति के पद अर्थात आरक्षी (कांस्टेबल) के मूल पद पर पदावनत कर दिया गया है।
कुमार ने बताया कि आदेश का अनुपालन करते हुए कनौजिया को आरक्षी बनाकर वाहिनी व्यवस्था के आधार पर वाहिनी के एक दल में नियुक्त किया जाता है। उन्नाव जिले में पुलिस उपाधीक्षक (बीकापुर) पद के रहने के दौरान कनौजिया को एक महिला के साथ होटल में पाये जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था।
यूपी के आगरा में हाथरस पुलिस के उत्पीड़न से क्षुब्ध होकर एक युवक ने फांसी लगाकर जान दी थी। सोमवार को उसके बड़े भाई प्रमोद सिंह (50) का शव भी खेत में पेड़ पर लटका मिला। उनकी मौत की खबर से ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। आरोप है कि सादाबाद पुलिस के खिलाफ मुकदमा न लिखा जाने से बड़ा भाई दुखी था। भाई को इंसाफ नहीं दिला पाया इसलिए उसने भी जान दे दी। कई घंटे तक ग्रामीणों ने शव पेड़ से नहीं उतरने दिया।
पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। परिजनों ने बताया था कि संजय का साला लक्ष्मण किसी लड़की को लेकर चला गया था। पुलिस ने दबिश देकर संजय को उठा लिया था। थाने में दो दिन उसके साथ मारपीट की। एक लाख रुपये की मांग की थी। दो किश्तों में रकम मांगी थी। शनिवार को रकम देने थी। दरोगा ने जेल भेजने की धमकी दी थी। रकम का इंतजाम न होने पर संजय ने खुदकुशी कर ली थी। परिजन सादाबाद थाना पुलिस के खिलाफ मुकदमा लिखाना चाहते थे। आगरा पुलिस ने हंगामे के समय कार्रवाई का आश्वासन देकर भीड़ को शांत कर दिया था। पुलिस मुकदमा नहीं लिख रही थी।
आरोप है कि परिजनों को लगातार धमकियां मिल रही थीं। समझौते का दबाव डाला जा रहा था। संजय के बड़े भाई प्रमोद खंदौली थाने में होमगार्ड थे। दिनभर पुलिस के साथ रहते थे। मुसीबत में उसी पुलिस ने उनका साथ नहीं दिया। वह अपने भाई को इंसाफ नहीं दिला पाए। इस कारण बुरी तरह टूट गए थे। सोमवार की दोपहर उन्होंने भी अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उसी खेत में एक पेड़ पर उनका शव लटका मिला।
खुदकुशी की सूचना पर एसीपी एत्मादपुर सुकन्या शर्मा फोर्स के साथ मौके पर पहुंची। ग्रामीण भड़के हुए थे। पुलिस से धक्का मुक्की कर दी। शव नीचे नहीं उतारने दिया। साफ कहा- "पहले सादाबाद पुलिस आएगी। उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई बताया जाएगा। उसके बाद शव उतरेगा।" हालांकि बाद में पुलिस की समझाइश के बाद शव उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जिसे बाद को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।
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