उत्तर प्रदेश: गरीब किसानों के हक की बात हो या दलित, पिछड़ों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन जैसी गतिविधि हो, इनकी सूचना मिलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर की मूल निवासी सीमा गौतम को डर सताने लगता है कि कहीं किसी मामले में उनपर और भी गंभीर धाराओं में मामले न दर्ज हो जाए. वह अब तनाव में हैं, क्योंकि उनका मानना है कि गरीब और हाशिए के समाज के लिए समय-समय पर धरना-प्रदर्शन करने, उन पर होने वाले उत्पीड़नों के खिलाफ आवाज उठाने, सरकार और प्रशासन से पत्राचार करने के कारण वह स्थानीय प्रशासन की क्रूर कार्रवाई का शिकार हो चुकी हैं.
“अम्बेडकर जन मोर्चा” संगठन से 2019 में जुड़ीं 31 वर्षीय सीमा गौतम संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. सीमा ने बताया कि संगठन का उद्देश्य दलित, पिछड़ों और गरीबों पर होने वाले अत्याचार, उत्पीड़न व उनकी मांगों को सरकार व शासन के सामने रखना है. इस संगठन के अंतर्गत उन्होंने कई बार न्याय और जनहित के मांगों को लेकर आन्दोलन भी चलाया है.
अपनी चुनौतियों के बारे में बताते हुए सीमा द मूकनायक से कहती हैं कि, “गरीबों या दलितों के साथ अत्याचार या हिंसा जैसे मुद्दों पर मैं बात करती हूँ या काम करना चाहती हूँ तो हमारे संगठन के पदाधिकारी को या मुझे उठा (पुलिस द्वारा) लिया जाता है.”
अक्सर किसी जनहित के मुद्दे या मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन की पूर्व सूचना पाते ही वह स्थानीय प्रशासन के रवैये के बारे में आगे कहती हैं कि, “वह [पुलिस] हमें 5-7 घंटे या 17 घंटे पहले उठा लेते हैं, यह बात वह [पुलिस] गुप्त रखते हैं, फिर झूठे आरोपों में मामला दर्ज कर देते हैं. इन सब से निपटने के लिए हमें कोर्ट जाना पड़ता है, जहां हमें कोर्ट से न्याय तो मिल जाता है लेकिन उसके एवज में हमारा मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण होता है.”
भावुक होकर से सीमा ने बताया कि उनकी मां की हत्या हो चुकी है. पिता की 2010 में ही मौत हो थी। घर में छोटे भाई-बहन हैं. वह परिवार चलाने के लिए सामाजिक कार्य के अलावा, LIC की अभिकर्ता भी हैं.
“पिछले साल 10 अक्टूबर 2023 को हम लोगों ने गोरखपुर में गरीबों को जमीन देने के लिए बहुत बड़ा आन्दोलन किया था. जिसमें 16-17 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था और 5-6 घंटे बाद एफआईआर दर्ज हुआ था. इस मामले में लगातार दो महीने तक पुलिस वालों ने मेरे घर पर छापा मारा. मेरे घर वालों को, मेरे रिश्तेदारों को, मेरे भाई को पुलिस उठा ले गयी थी. इस तरह से हमें प्रताड़ित किया गया”, पिछले साल की घटना को याद करते हुए सीमा गौतम ने कहा. हालांकि, इस मामले में सीमा को दो महीने बाद हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी.
पिछले माह, 14 अक्टूबर को गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में उस वक़्त अफ़रा-तफरी मच गया था जब सैकड़ों की संख्या में महिलाएं मंदिर में पहुंच गईं और अपना कर्ज माफ कराने की कोशिश करने लगीं. महिलाओं ने कहा कि सीएम योगी आज कर्ज माफ कर रहे हैं तो उन्हें सीएम कैंप तक जाने दिया जाए. इस दौरान भीड़ इतनी बढ़ गई कि महिलाओं को कंट्रोल करने के लिए पुलिस फ़ोर्स तक बुलानी पड़ी.
कर्ज माफी की अफवाह के चलते कैंम्पियरगंज और महाराजगंज से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं गोरखनाथ मंदिर पहुंचने लगी. महिलाओं का कहना था कि जल्दी से उनका फॉर्म भरने दिया जाए नहीं तो देर हो जाएगी. उन पर बहुत सारा कर्ज है.
जब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश करने लगी कि कर्ज माफी की अफवाह कैसे फैली तो महिलाओं ने कहा कि गांव में इस तरह की सूचना दी गई है कि आज कर्ज माफ हो रहा है इसलिए वो अपने कर्ज को माफ कराने आईं हैं. काफी समझाने-बुझाने के बाद महिलाओं ने माना की यह एक अफवाह थी. तब जाकर मामला शांत हो सका और महिलाएं वापस घर चलीं गईं. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था.
आरोप लगाया गया था कि इस कर्ज माफी की अफवाह गांव-गांव जाकर अम्बेडकर जन मोर्चा संगठन के लोगों ने फैलाई थी. इसमें संगठन के संयोजक श्रवण कुमार निराला और राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा गौतम का नाम सामने आया था.
सीमा ने द मूकनायक को बताया कि गोरखपुर के ग्रामीण इलाकों में दलित, गरीब और मजदूर वर्ग की हजारों महिलाओं को छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए कई माईक्रो फाइनेंस कंपनियों ने खूब ऋण दे रखा है. जिस परिवार के पास कोई काम काज या व्यवसाय नहीं है उन्हें कई लोन दे दिए हैं. लेकिन जब महिलाएं समय पर लोन की किस्तों को नहीं भर पातीं तो उनके साथ अभद्रता और गाली-गलौच भी की जाती है.
सीमा ने कहा कि, “राशन कार्ड कट जाएगा, सरकारी लाभ नहीं मिलेगा, आपकी जगह दूसरे को लाभ दे दिया जाएगा आदि बातों से ग्रामीण व अशिक्षित महिलाओं को बरगला कर लोन दे दिया गया या उनके पहचान पत्रों को लेकर लोन निकाल लिया गया.”
सीमा द्वारा बताए गए मामले की पड़ताल के लिए द मूकनायक ने स्थानीय समाचार पत्रों पर भी नजर दौड़ाई तो सामने आया कि कर्ज के चक्कर में कई परिवार उजड़ चुके हैं. जमीन बंधक रखने के बाद भी वह कर्ज नहीं चुका पाए. साथ ही ऐसे भी मामले सामने आए कि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से लाखों रुपए कर्ज के तौर पर निकालकर आरोपी फरार हो गए, जिसके बाद कर्ज का बोझ समूह में शामिल महिलाओं पर आ गया.
सीमा का मानना है कि, चूंकि माईक्रो फाइनेंस कंपनियों के रवैये के प्रति वह मुखर थीं और लोगों को ऋण के नाम पर हो रहे शेषण के बारे में जागरूक कर रहीं थीं. जिसके बारे में इन कंपनियों को पता चल चुका था. जब गोरखपुर में ऋण माफी की अफवाह के कारण हजारों महिलाएं जुटने लगीं तो माईक्रो फाइनेंस कंपनियों को उन्हें फंसाने का मौका मिल गया.
ऋण माफी की अफवाह के मामले में आरोप लगाए गए थे कि अम्बेडकर जनमोर्चा के पदाधिकारियों की ओर से गांव-गांव जाकर फर्जी कर्जमाफी की सूचना फैलाई गई थी. सीमा गौतम और श्रवण निराला पर आरोप है कि वे लोगों को माइक्रो फाइनेंस कंपनी का लोन न चुकाने के लिए भड़काते थे. साथ ही कर्ज माफ़ करने के नाम पर एक फॉर्म को भरने के लिए 500-500 रुपए भी महिलाओं से वसूले. और थाने की मोहर लगाकर ऋण माफी का प्रमाण पत्र भी दिया.
मामले में माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन नेटवर्क के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट धीरज सोनी की शिकायत पर फरेंदा पुलिस ने पहले 15 अक्टूबर को जनमोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा गौतम, सहयोगी श्रवण कुमार निराला, व अन्य अज्ञात सहयोगी के खिलाफ बीएसएन 2023 के तहत, धारा 318 (4), 338, 336(3), 340(2), 56 के अंतगत मामला दर्ज किया गया है.
इसके एक दिन बाद 16 अक्टूबर को फिर उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक की डिविजनल हेड ऋतु साहू ने भी गोरखनाथ थाने में उक्त सभी लोगों के खिलाफ समान धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. फिलहाल, अभी श्रवण कुमार जेल में हैं.
लगातार हुए दोनों FIR पर सीमा ने कहा कि, “अखबार ने छापा है कि हम पर आरोप लगाया गया है कि हम थाने की मोहर लगाकर ऋण माफी का प्रमाण पत्र बांट रहे थे. 500 रुपए ले रहे थे. लेकिन आरोप लगाने वाले लोगों ने यह नहीं बताया कि हम किस थाने का मुहर लगा रहे थे. किन महिलाओं से हमने पैसे लिए. किस गांव में हम लोग गए थे यह सब करने?”
“यहां दलितों पर अत्याचार हो रहें हैं. उन्हें मारा-पीटा जा रहा है. पुलिस उनके मामले तक दर्ज नहीं कर रही है. हम मुख्यमंत्री जी के शहर में हैं जहां हम यह सब बात कर रहें हैं. हम दलित हैं, इसलिए हम दोषी हैं. मुख्यमंत्री के इशारे पर हमारा जातिगत उत्पीड़न किया जा रहा है. गोरखपुर प्रशासन से मुझे कोई उम्मीद नहीं है.” सीमा ने निराशा भरे स्वर में कहा.
सीमा ने कहा, “मैं रात में 10 बजे, 11 बजे अपने घर जाती हूँ. इन सबकी आड़ में मेरा या श्रवण कुमार जी का कभी भी एनकाउंटर हो सकता है. क्योंकि कल के अख़बार में यह भी छप सकता है कि सीमा गौतम सामाजिक कार्यों की आड़ में अवैध अधियारों का व्यापार कर रहीं थीं, इसमें पकड़ी गईं और पुलिस मुठभेड़ में मारी गईं. उसके बाद मेरी फाइल बंद हो जाएगी. इसलिए मैं अब अपने समाज के लोगों से मदद मांग रहीं हूँ कि वह मेरी आवाज उठाएं.”
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.