रोहित वेमुला केसः मां राधिका वेमुला के समर्थन में आए महिला संगठन, जताया 'बहनापा'

अखिल भारतीय नारीवाद मंच ने रोहित की मां राधिका का साथ देने के लिए एक संयुक्त बयान जारी किया है। जिसमें कहा- "हम अखिल भारतीय नारीवादी मंच (ALIFA) के अधोहस्ताक्षरित सदस्य, आपके साथ अपना अटूट समर्थन और एकजुटता व्यक्त करते हैं।"
रोहित एवं राधिका वेमुला।
रोहित एवं राधिका वेमुला।साभार-न्यूजलॉंड्री.
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नई दिल्ली। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला के आत्महत्या मामले में हैदराबाद पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद मामले पर बहुत कुछ बोला जा रहा है।

इस कड़ी में अखिल भारतीय नारीवाद मंच ने रोहित की मां राधिका का साथ देने के लिए एक संयुक्त बयान जारी किया है। जिसमें कहा- "हम अखिल भारतीय नारीवादी मंच (ALIFA) के अधोहस्ताक्षरित सदस्य, आपके साथ अपना अटूट समर्थन और एकजुटता व्यक्त करते हैं। ऐसे समय में, जब आप रोहित की पहचान मिटाने के खिलाफ, एक और संघर्ष करने के लिए मजबूर हैं। हम आपके दर्द और पीड़ा को समझते हैं। साथ ही हम, रोहित के लिए, आपके लिए, और देश के सभी दलितों के लिए न्याय और सम्मान की लड़ाई को आगे बढ़ाने की आपके संकल्प को भी सलाम करते हैं।"

आगे विज्ञप्ति में है कि तेलंगाना पुलिस द्वारा 'क्लोजर रिपोर्ट' दाखिल करने का हालिया घटनाक्रम, जिसमें कहा गया है कि रोहित दलित नहीं थे। उनके जीवन, एक प्रतिभाशाली छात्र के रूप में उनके संघर्ष, उनके अंबेडकरवादी सिद्धांतों, और ब्राह्मणवादी उत्पीड़न के प्रति उनके प्रतिरोध का अपमान है। उनकी संस्थागत हत्या के पीछे के भयावह परिस्थितियों को नकारना है। यह प्रतिगामी रिपोर्ट उनकी याद को मिटाने की कोशिश करती है और रोहित के लिए न्याय और सम्मान की तलाश में आपकी - उनकी बहादुर मां, उनके परिवार, छात्रों और दोस्तों के अथक प्रयास का अपमान करती है।

रोहित एवं राधिका वेमुला।
“मेरे लिए आंसू मत बहाना, जान लो कि मैं जिंदा रहने से ज्यादा मरकर खुश हूं”, रोहित वेमुला का वह पत्र जो आज भी छात्रों को कचोटता है!

आगे यह भी है कि रोहित की 'मौत' संस्थागत अन्याय और गहरे भेदभाव और हिंसा की पहचान हैं, जिसे दलितों को संवैधानिक सुरक्षा के बावजूद, सामना करना पड़ता है, और यह पुलिस रिपोर्ट उस उत्पीड़न की एक और अभिव्यक्ति है। रोहित की दलित पहचान को मिटाने का प्रयास सिर्फ़ उनके जीवन और अनुभवों को नकारना नहीं है। यह आपका भी संघर्ष और हमारे देश में लाखों दलितों द्वारा सामना किए गए संघर्षों को भी नकारना है। यह उनकी गरिमा, उनकी आकांक्षाओं और न्याय के अधिकार का अपमान है।

आगे रोहित की मां राधिका के लिए कहा गया है कि रोहित के जीवन, संघर्ष और स्मृति को धूमिल होने से बचाने और उनके प्रतिरोध की विरासत को जीवित रखने के लिए आपका अटूट संकल्प आपकी शक्ति और साहस का प्रमाण है। 'मदर्स फॉर नेशन' के रूप में - फातिमा जी (नजीब की मां), आबिदा जी (डॉ. पायल तड़वी की मां) और कई अन्य लोगों के साथ - अकल्पनीय चुनौतियों और अपमान के आगे, न्याय के लिए आपकी निरंतर लड़ाई हम सभी को प्रेरित करती है। हम आपके साहस और प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर, आपको सलाम करते हैं, और यह बताना चाहते हैं कि हम हर कदम पर आपके साथ हैं।

व्यापक छात्र और जन आक्रोश और मुख्यमंत्री के साथ आपकी बैठक के बाद, राज्य पुलिस ने न्यायालय की अनुमति से मामले की आगे की जांच करने के अपने निर्णय को स्पष्ट किया है। हम अधिकारियों से गहन और निष्पक्ष जांच करने की मांग करते हैं। हम यह भी मांग करते हैं कि रोहित की दलित पहचान को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया जाए और और उनकी ‘मौत’ के लिए ज़िम्मेदार लोगों, जिनमें हैदराबाद केन्द्रीय विश्व विद्यालय (एच.सी.यू) के पूर्व कुलपति और भाजपा- शासित केंद्र सरकार में, सत्ता के उच्च पदों पर बैठे लोग शामिल हैं, को न्याय के कटघरे में लाया जाए।

जैसा कि कांग्रेस सरकार ने बार-बार और हाल ही में भी वादा किया है, हम मांग करते हैं कि दलित, आदिवासी, पिछड़े पृष्ठभूमि के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों और लैंगिक हाशिए पर रहने वाले छात्रों के शिक्षा के अधिकार, गैर-भेदभाव, सुरक्षा और सम्मान के लिए *रोहित वेमुला अधिनियम पारित किया जाए। इन सभी छात्रों के खिलाफ़ अपराध करने वालों को रोहित अधिनियम के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए।

रोहित एवं राधिका वेमुला।
तेलंगाना: हैदराबाद पुलिस ने रोहित वेमुला मामले की जांच बंद की, रिपोर्ट में आत्महत्या का खुलासा

द मूकनायक को नारीवादी शोधकर्ता व महिला अधिकार कार्यकर्ता ए.सुनीता बताती है कि "रोहित को इंसाफ दिलाना है। बहुत सारे संगठन रोहित को इंसाफ दिलाने के लिए हमारे साथ जुड़कर खड़े हुए हैं। दलित और पिछड़ों को हमारे समाज में कम ही न्याय मिलता है। कोर्ट में भी हमने याचिकाएं डाली हैं। यह प्रेस विज्ञप्ति के जरिए हमारी यही कोशिश है कि रोहित के परिवार को इंसाफ मिले। जैसा कि अभी पुलिस ने कहा है कि रोहित दलित नहीं थे। यह गलत बयान है। दलितों को कोई आगे आने ही नहीं देना चाहता। उनकी मौत के बाद इंसाफ मिलना तो बहुत मुश्किल होता है। इस प्रेस विज्ञप्ति के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोग हमसे जुड़े हम यही कामना करते है। हम यही चाहते हैं कि मामले की जांच की जाए दोषियों को सजा मिले।"

यह है मामला

पहले ऐसा माना गया था कि रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला बंद हो जाएगा। तेलंगाना पुलिस की तरफ आगे की जांच करने के फैसले के बाद अब इस मामले में नया टि्वस्ट आया है। रोहित वेमुला ने जनवरी, 2016 में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में फांसी लगाकर जान दे दी थी। इसके बाद इस मामले में काफी तूल पकड़ा था। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी और 100 महीने बाद दो मई को क्लोजर रिपोर्ट दी थी। तब राज्य में बीआरएस सत्ता में थी और राज्य के मुख्यमंत्री केसीआर थे।

रोहित एवं राधिका वेमुला।
रोहित वेमुला केस: पुलिस पर भटकाने का आरोप, जानिए क्लोजर रिपोर्ट के किन तथ्यों पर उठे सवाल?

रोहित वेमुला के परिवार द्वारा व्यक्त किए गए संदेह का जिक्र करते हुए तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक रवि गुप्ता ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा कि संबंधित अदालत में एक याचिका दायर की जाएगी और मजिस्ट्रेट से आगे की जांच की अनुमति देने का अनुरोध किया जाएगा. डीजीपी गुप्ता ने कहा, ‘चूंकि मृतक रोहित वेमुला की मां और अन्य लोगों ने जांच पर कुछ संदेह व्यक्त किया है, इसलिए मामले में आगे की जांच करने का निर्णय लिया गया है.’

क्लोजर रिपोर्ट में क्या बोली थी पुलिस?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में दावा किया गया कि रोहित वेमूला दलित नहीं था। और उसने ‘असली पहचान’ जाहिर होने के डर से आत्महत्या की थी। पुलिस ने इस मामले में सबूतों की कमी का हवाला देते हुए आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दे दी।  इस मामले में हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव पोडिले और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बंडारू दत्तात्रेय, भाजपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) एन. रामचंद्र राव के साथ-साथ एबीवीपी के कुछ नेता भी आरोपी थे।

रोहित एवं राधिका वेमुला।
"आदमी सिर्फ एक वोट, एक नंबर, एक चीज बन कर रह गया है", विचारों में जिंदा हैं रोहित वेमुला

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