21वीं सदी में एक ओर महिलाएं विभिन्न करियर में सफलता का परचम फैला रहीं हैं, वहीं आज भी ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को शादी ब्याह के मामलों में अपनी राय तक रखने का अधिकार नहीं है। यदि कोई निडर महिला घर के पुरुषों की इच्छा का विरोध करती भी है तो उन्हें इसके लिए शारीरिक प्रताड़ना , यहां तक की जान से भी हाथ धोना पड़ जाता है। ऐसे ही एक मामला सामने आया है जहां जब एक महिला ने अपने देवरों द्वारा भतीजी को ' आटा सांटा ' प्रथा के तहत ब्याह करवा कर, बदले में उसके ससुराल से ही अपने लिए दुल्हन लाने के इरादों पर इनकार किया तो देवरों ने अपनी भाभी की हत्या कर दी।
मामला रामसीन थाना क्षेत्र के मोदरान गांव का है. यहां बीते शुक्रवार रात को आपसी कहासुनी के बाद दो देवरों और भाभी के बीच झगड़ा हुआ. मामला इतना आगे बढ़ गया कि देवरों ने महिला की हत्या कर दी. इस दौरान बीच बचाव करने आए पड़ोसी को भी मौत के घाट उतार दिया गया। बताया जा रहा है कि इस घटना के पीछे आटा साटा (लड़की के बदले लड़की का विवाह प्रथा) का मामला था. महिला अपनी बेटी का विवाह नहीं करना चाहती थी.
जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शवों को कब्जे में लिया। एक आरोपी डूंगरसिंह को हिरासत में लिया। वहीं दूसरे आरोपी पहाड़सिंह ने वहां पर कीटनाशक पी लिया जिस कारण उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मृतका इंदिरा के पति रतनसिंह बेंगलुरु में व्यवसाय करते हैं।
सगाई की बात को लेकर विवाद
रतनसिंह की बेंगलुरु में दुकान है. उसके छोटे दोनों भाई डूंगरसिंह और पहाड़ सिंह कुंवारे हैं. दोनों बड़े भाई के साथ बेंगलुरु में दुकान पर काम करते थे. कोरोना के संकट में घर आ गए. उम्र होने के कारण उनकी सगाई नहीं हो पा रही थी. उनकी सगाई के लिए आटा साटा में बड़े भाई रतनसिंह की बेटी देने की मांग दोनों देवर कर रहे थे. दोनों देवरों का कहना था कि बीस साल भाई के साथ काम में हाथ बंटाया, अब मजबूरी में गांव में तगरियां डालकर मजदूरी करनी पड़ रही है। लोग ताना कसते हैं। उनकी सगाई भी नहीं हो पा रही है। उन्होंने उनकी सगाई के लिए बड़े भाई की 18 वर्षीया बेटी को देने की मांग की ताकि उनकी सगाई हो सके। भाभी इंदिरा उसके लिए तैयार नहीं थी। इस कारण परिवार में विवाद चल रहा था। शुक्रवार को यह विवाद बढ़ गया, दोनों भाइयों ने कुल्हाड़ी से भाभी पर वार कर दिया। इस विवाद में बीचबचाव करने गए इंदिरा के 12 वर्षीय बेटा भी घायल हो गया।
द मूकनायक ने इस मामले में मोदरान पुलिस चौकी प्रभारी अरविंद पुरोहित से बात की उन्होंने बताया कि इनके घर में कुल 5 भाई हैं और काफी समय से विवाद चल रहा है। बड़ी उम्र होने के कारण दोनों आरोपियों की शादी नहीं हो पा रही थी । यह दोनों सबसे छोटे थे. राजस्थान में आटा साटा प्रथा के तहत कई शादियां होती है. इस परिवार में भी इसी प्रथा को लेकर ही लड़ाई हो रही थी. आटा साटा प्रथा के तहत किसी दो परिवारों में लड़का अथवा लड़की के अदला बदली में वैवाहिक रिश्ते कायम किये जाते हैं। इंदिरा के देवर चाहते थे कि उनकी भाभी अपनी बेटी जिसकी उम्र 18- 19 साल की है, को आटा साटा के तहत ब्याह दें ताकि अपनी भतीजी को देकर वे अपना रिश्ता करवा सके। लेकिन उनकी भाभी नहीं मान रही थी. वह इस बात को लेकर इंकार कर रही थीं। बातचीत होते होते उनमें लड़ाई इतनी बढ़ गई कि उन्होंने अपनी भाभी की हत्या कर दी और बीच-बचाव करने वाले पड़ोसी पर भी उन्होंने हमला कर दिया. जिसकी मौत हो गई। भाभी के तीन बच्चे हैं एक लड़की और दो लड़के हैं। यह विवाद लंबे समय से चल रहा था. यह मामला 302 और 307 धाराओं के तहत दर्ज कर लिया गया है. और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. इस घटना के बाद पूरे गांव में दुख का माहौल है.
जानिए, क्या है आटा-साटा प्रथा ?
राजस्थान में फैली इस प्रथा को साफ तौर पर समझें तो शादी के लिए लड़की के बदले लड़की देना ही आटा-साटा है। मान लीजिए कि रोहन की बहन की शादी मोहन से तय हो करनी है। ऐसे में रोहन के माता-पिता की शर्त होगी कि मोहन की बहन की शादी उसके माता पिता को रोहन से करनी पड़ेगी। यह कुप्रथा प्रदेश के ज्यादातर जिलों में फैली हुई है।
रिश्तेदारों तक की करवा दी जाती है शादी
आटा-साटा प्रदेश में बाल विवाह का एक सबसे बड़ा कारण भी है। इसके जरिए तय हुए रिश्तों में उम्र को भी दरकिनार कर दिया जाता है। इस कुप्रथा के जरिए दो परिवारों में लड़की का लेने देन होता है, लेकिन कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि लड़की के बदले उसके परिवार सहित रिश्तेदारों की शादियां भी करा दी जाती हैं। कई मामलों में यह भी देखा गया है कि लड़की से दोगुने उम्र के व्यक्ति से उसका विवाह तय कर दिया जाता है।
बहू के लिए देर से करते हैं बेटी की शादी
आटा साटा के तहत होने वाली शादियों में ऐसा भी देखा गया है कि लड़के की शादी के लिए परिवार वाले बेटी की शादी देर से करते हैं। मान लीजिए कि एक परिवार में एक भाई और बहन हैं। बड़ी बहन और छोटे भाई के बीच 6-7 साल का अंतर है। ऐसे में परिवार वाले बेटी की शादी तब तक नहीं करेंगे, जब तक उनका बेटा भी शादी करने के लायक न हो जाए। इसके बाद आटा-साटा के जरिए दोनों की शादी कर दी जाती है। इस तरह के मामलों में यह भी देखा गया है कि बेटी की उम्र ज्यादा होने के कारण परिवार वाले उम्रदराज व्यक्ति से जबरन शादी करा देते हैं।
राजस्थान में पुरुषों से कम महिलाओं की संख्या
राजस्थान में स्त्री पुरुष लिंग अनुपात 928 : 1000 है अर्थात, प्रत्येक हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 928 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय औसत 940 से काफी कम है । 2001 में राजस्थान में महिला का लिंग अनुपात हजार पुरुषों में 921 था. लिंग अनुपात मामले में देश में राजस्थान का 21वां स्थान है.
राजस्थान में बीते दो दशकों में लिंगानुपात में सुधार में सबसे अहम भूमिका पीसीपीएनडीटी एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन माना जाता है. राज्य में बेटियों की संख्या में वृद्धि तो हुई है लेकिन बेटियों को बेटों के समान अधिकार देने, बेटियों को अपनी मर्जी से शिक्षा और करियर विकल्पों के चयन और अपना जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता देना सरकार, सामाजिक संगठनों व आमजन के लिए बड़ी चुनौती है।
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