राजस्थान: महिला अत्याचारों के मामले में गिने जाने वाले राज्य में अब आधा दर्जन से अधिक महिला IPS संभाल रहीं कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी

राज्य सरकार ने सवाई माधोपुर सहित दौसा, झालावाड़, कोटा सिटी, बीकानेर, कोटपुतली जैसे जिलों में महिला एसपी को कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दी है।
महिला IPS
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जयपुर। राजस्थान के आधा दर्जन से अधिक जिलों में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी महिला आईपीएस अफसर संभाल रही हैं। इसे समाज में पुरुषवादी विचारों में बदलाव के नजरिए से देखा जा रहा है। भजनलाल सरकार ने हाल ही राज्य की आधा दर्जन से अधिक महिला आईपीएस अधिकारियों को जिला एसपी के पद पर नियुक्त कर समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश दिया है। सरकार ने सवाई माधोपुर सहित दौसा, झालावाड़, कोटा सिटी, बीकानेर, कोटपुतली जैसे जिलों में महिला एसपी को कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दी है।

राजस्थान, जहाँ अभी भी महिलाओं को दोयम दर्जे के नजरिए से देखा जाता रहा है, बालिका शिक्षा से परहेज होता रहा है, वहीं अब इस पहल की चर्चा हो रही है. ज्ञात हो कि राजस्थान में महिला शिक्षा का ग्राफ पुरुषों के मुकाबले काफी कम रहा है। लेकिन, सामाजिक संगठनों व सरकारों के साझा प्रयासों से बीते कुछ वर्षों में महिला शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। शिक्षा के बढ़ते स्तर का ही परिणाम है कि पुरुषों की सोच में बदलाव आया है। जहां परिवार में पुरुष महिला शिक्षा का विरोध करते थे, अब सपोर्ट करने लगे हैं। विशेष कर पुलिस सेवा में बेटियों को भेजने से गुरेज होता था, लेकिन बेटियों ने पुलिस सेवा में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया तो इस सेवा में भी महिलाओं की तादाद बढ़ने लगी है।

महिला आईपीएस जो संभाल रहीं कानून व्यवस्था की कमान

आईपीएस ममता गुप्ता: राजस्थान के नीम का थाना जिले के थोई गांव में जन्मी आईपीएस ममता गुप्ता को सरकार ने सवाई माधोपुर की कमान सौंपी है। 2012 बैच की आईपीएस अफसर ममता गुप्ता इससे पूर्व 2019 में बूंदी, 2022 में सिरोही, 2023 में करौली जिला एसपी के पद पर रह चुकी हैं। इससे पूर्व उन्होंने एसीबी सहित पुलिस विभाग के अन्य बड़े पदों पर भी काम किया है। पुलिस सेवा में आने से पहले इंजिनियर ममता गुप्ता प्राइवेट सेक्टर में काम करती थीं, लेकिन वे हमेशा कुछ नया करने में विश्वास रखती थीं, इसलिए उन्होंने पुलिस सेवा को चुना।

आईपीएस ममता ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि, "पुलिस में चुनौतियां आती हैं। इसमें 24 घंटे ड्यूटी करना पहली चुनौती है। ऐसे कई बार होता है कि अचानक आधी रात अपराध या कानून व्यवस्था बिगड़ने की सूचना मिलती है। पुलिस सेवा में हो तो आपको को बिना सोचे घटना स्थल पर जाना होगा। ऐसी भी घटनाएं रही है कि जब मुझे 24 से 36 घंटे फील्ड में रहकर ड्यूटी करना पड़ा।"

"पुलिस सेवा में कार्य कर रही महिला अफसरों के पास घर में सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए। जो पीछे से परिवार को संभाल सके। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरा परिवार मुझे सपोर्ट करता है। जिस सिस्टम में अभी काम कर रहे हैं वो अभी काफी मैच्योर हा चुका है। मैं नहीं मानती कि महिलाओं को अब कोई अलग से परेशानी का सामना करना पड़ता है", पुरुषवादी मानसिकता के बीच रहकर काम करने पर महिलाओं की चुनौती के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया.

उन्होंने कहा कि, "यह सच है कि जब भी महिला अफसर के लिए कोई चैलेंजिंग टास्क होता है तो लोगों को लगता है कि क्या पता कर पाएगी या नहीं। यह सच है कि महिलाओं को एक्स्ट्रा संघर्ष करना पड़ता है। हमारे मन में यह विचार आते हैं कि कहीं लोगों को यह नहीं लगे कि हम नहीं कर पाएंगे। सवाईमाधोपुर जिले में अवैध खनन की चुनौती मैंने स्वीकार की है। यहां अवैध खनन एक दिन का नहीं निरंतर चुनौती रहेगी। खनन माफियाओं से मुकाबला कोई नई बात नहीं है।"

उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि, आप जो भी करना चाहते हैं, उसे अपने दिमाग में रखिए। कई बार फैमली व समाज सपोर्ट नहीं करता, लेकिन जब सक्सेज हो जाते हैं तो हर कोई आपके साथ खड़ा मिलेगा। ऐसे में परिवार व समाज का दबाव कतई महसूस मत करें। आपको लगता है आप सही कर रहे हो तो रुको मत। आपके सपने जरूर साकार होंगे।

आईपीएस अमृता दुहान: हरियाणा की रहने वाली अमृता दुहान वर्ष 2016 की आईपीएस हैं। इन दिनों वे कोचिंग नगरी कोटा सिटी एसपी के पद पर कार्यरत हैं। संगठित अपराधों पर लगाम लगाने के लिए अमृता दुहान को विशेषज्ञ माना जाता है। इससे पहले वे जोधपुर कमिश्नरेट में डीसीपी वेस्ट सहित प्रतापगढ एसपी, डीसीपी क्राइम जयपुर कमिश्नरेट, डीसीपी हेडक्वार्टर जयपुर और डीसीपी ट्रैफिक में भी रह चुकी हैं।

पुलिस महकमे में एक महिला अधिकारी की भूमिका और चुनौतियों को लेकर आईपीएस दुहान द मूकनायक को बताती हैं कि, यह सच है कि एक महिला अफसर चुनौतियों से जूझती है। एक तरफ ड्यूटी का फर्ज तो दूसरी तरफ परिवार की जिम्मेदारी। दोहरी जिम्मेदारियों के बावजूद अब महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं।

उन्होंने कहा कि, "मैंने नजदीक से देखा है जब महिला विशेष कर पुलिस विभाग में जाने की तैयार कर रही होती तो परिवार का सपोर्ट मिलता है। कोई ऑब्जेक्शन नहीं करता, लेकिन जब पुलिस में महिला अफसर फील्ड में होती है तो अतिरिक्त समय में काम करती है, उस समय परिवार की जरुरत होती है। ड्यूटी के दौरान परिवार के लोग घर की जिम्मेदारी संभालने में सहयोग करें तो बेहतर काम करके दिखाया जा सकता है।"

"जिन महिला अधिकारियों को परिवार व ससुराल का सपोर्ट नहीं मिलता वे केवल खुद को आफिस तक सीमित कर लेती हैं, लेकिन पुलिस की ऑफिस की ड्यूटी कतई नहीं है। पुलिस की ड्यूटी 24 घंटे की होती है। कब अपराधियों से सामना हो जाए कोई नहीं जानता। कानून व्यवस्था संभालने में चुनौती रहती है, लेकिन मैं यही कहूंगी की महिलाएं भी हर चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम है," आईपीएस दुहान ने कहा.

उन्होंने कहा कि, "यह सच है कि समाज में पुरुषवादी सोच हावी रही है, लेकिन समाज में तेजी से बदलाव आ रहा है। लोगों की सोच बदलने लगी है। मुझे अधीनस्थ पुरुष कार्मिकों ने अधिकारी के रूप में देखा है। आदेश की पालन में कोई दिक्कत नहीं आई। कुख्यात अपराधियों की गिरफ्तारी के दौरान चैलेंज आते हैं। टीम भावना से काम करके उन्हें पकड़ते हैं। पुलिस में हैं तो डरने का क्या काम है। हां कई बार फायरिंग भी होती है। ऐसे में स्वयं सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है।"

आईपीएस राशि डोगरा डूडी वर्तमान में जयपुर सिटी नॉर्थ में डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत है। वर्ष 2012 बैच की आईपीएस अफसर राशि डोगरा डूडी जोधपुर की बहू हैं। जयपुर शहर का परकोटा क्षेत्र हीरे जवाहरात की सबसे बड़ी मंडी है। देश विदेश से सीधा कारोबार परकोटे क्षेत्र से जुड़ा है। यहां लूट, ठगी और चोरी की बड़ी वारदातें कई बार हो चुकी हैं। डीसीपी राशि डोगरा ने पिछले कुछ महीनों से अपराधों पर लगाम कस रखी है। इस जिले में बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय की भी है, लेकिन डूडी सबके साथ समन्वय रखते हुए काम कर रही हैं। राशि डोगरा डूडी इससे पहले विजिलेंस में एसपी रह चुकी हैं। वे बाड़मेर, हनुमानगढ, जोधपुर और सीआईडी सीबी में भी एसपी रह चुकी हैं।

आईपीएस तेजस्विनी गौतम वर्ष 2013 बैच की हैं। वे गौतम दिल्ली की रहने वाली हैं। इनके नाम की भांति ही इनका काम है। इन दिनों बीकानेर जैसे बड़े जिले में वे एसपी लगी हुई हैं। इससे पहले वे अलवर और चूरू जैसे महत्वपूर्ण जिले की कमान संभाल चुकी हैं। वे एसओजी, बांसवाड़ा, डीसीपी हेडक्वार्टर जयपुर और डीसीपी ट्रैफिक जयपुर भी रह चुकी हैं।

आईपीएस ऋचा तोमर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। वह वर्ष 2016 बैच की आईपीएस अफसर हैं। इन दिनों वे झालावाड़ की एसपी हैं। मध्य प्रदेश की सीमा से लगे झालावाड़ जिले में खनन के साथ ही मानव तस्करी के मामले अधिक सामने आते हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्र से तस्करी, मजदूरी के बहाने अन्यत्र ले जाने के प्रकरण भी सामने आते रहे हैं। ऐसे में एसपी ऋचा तोमर के मानव तस्करी खासतौर पर मजदूरी के लिए की जाने वाली बच्चों की तस्करी पर रोकथाम लगाने के लिए स्पेशल टीमें तैनात की हैं। कई नाबालिग बालक, बालिकाओं को रेस्क्यू किया है। झालावाड़ से पहले वह जयपुर कमिश्नरेट के वेस्ट जिले में भी एसपी रह चुकी हैं।

आईपीएस वंदिता राणा वर्ष 2017 बैच की आईपीएस हैं। शांत स्वभाव की महिला आईपीएस वंदिता राणा अपराधियों के लिए सख्त रूप में जानी जाती हैं। उन्हें वर्तमान में कोटपूतली- बहरोड़ जिले की कमान सौंपी गई है। यह इलाका संगठित अपराध के लिए जाना जाता है। इससे पूर्व वे डीसीपी वेस्ट जयपुर, जयपुर कमिश्नरेट के पश्चिम जिले का काफी इलाका ग्रामीण क्षेत्र में आता है। यहां से नेशनल हाईवे भी गुजरता है। इस क्षेत्र में गंभीर श्रेणी के अपराध काफी होते हैं, लेकिन वंदिता राणा की टीम ने अपराधियों पर अंकुश लगाने में कामयाबी हासिल की है।  

आईपीएस रंजीता शर्मा वर्ष 2019 की आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें सरकार ने दौसा जिले कमान सौंपी है। वे आईपीएस एसोसिएशन का 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अवॉर्ड' पाने वाली देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं। आमतौर पर यह अवार्ड पुरूष ही लेते आए हैं, लेकिन साल 2021 में उन्होंने इतिहास को बदलकर यह अवार्ड अपने नाम दर्ज किया। हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गांव डहीना की रहने वाली आईपीएस रंजिता शर्मा इससे पहले कोटपूतली बहरोड में एसपी पद पर तैनात रही है।

इसी तरह आईपीएस लता मनोज कुमार को अजमेर व आईपीएस परिमला को बांसवाड़ा संभाग के आईजी पद पर तैनात किया गया है। दो महिला अफसर राजस्थान में आईजी के पद पर कार्य कर रही हैं।

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