जयपुर। दलित महिला शिक्षिका हेमलता बैरवा की बहाली की मांग को लेकर भीम आर्मी के बैनर तले दर्जनों दलित सामाजिक संगठनों ने जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार पर जातिवादियों के दबाव में आकर दलित,आदिवासी कर्मचारियों को टारगेट कर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। प्रदर्शन में शामिल संगठनों ने हेमलता बैरवा प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा।
भीम आर्मी कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष मुकेश बैरवा ने शिक्षा मंत्री दिलावर पर निशाना साधते हुए कहा कि " भारतीय संविधान में दिए गए वोट व आरक्षण के अधिकार की बदौलत ही चुनाव जीत कर आप शिक्षा मंत्री बने हैं। यह नहीं भूलना चाहिए। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की बदौलत मिली ताकत का उपयोग दलित, आदिवासी व पिछड़ों की तरक्की के लिए करना था, लेकिन आप सत्ता में आने के बाद दलित आदिवासी व पिछड़ों को प्रताड़ित कर रहे हैं। यह बर्दाश्त नहीं होगा। "
"शिक्षिका ने सरकारी स्कूल में शिक्षा की देवी सावित्रीबाई फुले की तस्वीर लगाई, लेकिन मनुवादी लोगों ने इसका विरोध किया। अपने देवी-देवताओं को वहां (स्कूल) में रख कर पूजा-पाठ करने का दबाव बनाया। शिक्षिका ने इसे संविधान के विरुद्ध बताकर विरोध किया। सरकारी शिक्षण संस्था में किसी भी धर्म की पूजा पाठ से इनकार किया। इससे नाराज होकर उन लोगों ने विवाद खड़ा किया। स्कूल के सरकारी कार्यक्रम में व्यवधान पैदा किया गया। राजकार्य में बाधा डालने पर नियमानुसार कार्रवाई उन लोगों पर होनी थी, लेकिन एक विचारधारा के तहत संविधान के दायरे में काम करने वाली दलित महिला शिक्षिका पर कार्रवाई की गई।"-मुकेश बैरवा ने कहा।
लकड़ाई गांव में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद एफआईआर दर्ज कर भीम आर्मी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा कि "हम हेमलता बैरवा के लिए न्याय मांग रहे थे। शिक्षा मंत्री द्वारा असंवैधानिक तरीके से निलंबन किया, लेकिन हम संविधान के दायरे में रहकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। अपराध नहीं किया." उन्होंने आरोप लगाया कि "भाजपा सरकार के एजेंडे के तहत वहां के अधिकारियों ने महिलाओं पर भी लाठीचार्ज किया और एफआईआर भी दर्ज कर ली। हमारे साथियों को गिरफ्तार भी किया।"
भीम आर्मी के बैनर पर प्रदर्शन करने वालों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया है कि पिछले दो माह के दौरान प्रदेश में दलित, आदिवासी समाज के कर्मचारियों को बेबुनियाद आधारों और पक्षपाती दृष्टिकोण अपनाते हुए निलंबित किया गया है। बारां जिले में दलित अध्यापिका ने गणतंत्र दिवस पर राजकीय विद्यालय लकड़ाई में मंच पर महात्मा गांधी, बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर, एवं सावित्री बाई फुले की तस्वीर लगाई थी। आमतौर पर आधुनिक भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाने वाले महापुरुषों की तस्वीर लगाई जाती है। कुछ जातिवादी मानसिकता के लोगों ने इन तस्वीरों पर आपत्ति जताई। महापुरुषों के तस्वीरों के इतर हिंदू देवी देवताओं की तस्वीरें लगा कर हिंदू परंपरा अनुसार समारोह का आयोजन करने का दबाव बनाया गया।
ज्ञापन में आगे बताया कि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्वीकारता है। अनुच्छेद 28 के अनुसार सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी भी धर्म से जुड़े अनुष्ठान नहीं किए जाने चाहिए। ऐसा उपबंध सम्भवतः भारत की विविधता को देखते हुए किया गया होगा। अपने इसी कर्तव्य बोध के चलते अध्यापिका ने किसी भी धर्म की देवी-देवता की तस्वीर लगाने और धार्मिक परंपरा निभाने से मना किया, जिस कार्य के लिए सरकार को शिक्षिका की पीठ थपथपाना चाहिए। इसके उलट शिक्षा मंत्री के कहने पर उन्हे ही निलंबित कर दिया गया। एक तरफ निलंबन की कार्रवाई को लेकर दलित आदिवासी समाज में भारी रोष है।
राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ लोकतांत्रिक के कार्यकारी अध्यक्ष रामरतन सामरिया एवं अब्दुल मन्नान खान पीरजादा के नेतृत्व में राज्य कर्मचारियों की समस्या को लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि वर्तमान में कोटा संभाग सहित राजस्थान में कर्मचारी, अधिकारी तनाव महसूस कर रहा है।
राजस्थान सरकार द्वारा बहुत से कर्मचारी व अधिकारियों को अनावश्यक छोटी-छोटी बातों पर निलंबित किया गया है। इससे इनके परिवार जन भी चिंतित है। राज्य में ऐसा घटनाक्रम चलता रहा तो, राजस्थान का कर्मचारी अधिकारी परिवार सहित आन्दोलन में उतरने पर मजबूर होगा। संगठन के लोगों ने ओम बिरला से कहा कि निलंबित कार्मिकों को शीघ्र बहाल कर तनाव मुक्त रखा जाए।
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