रिपोर्ट- अविनाश बराला
नागौर। डीडवाना में हुए निर्भया मामले में जिला प्रशासन ने पीड़िता के परिजनों की मांगों को मान लिया है। मामले में कई सामाजिक संगठनों के लोगों व पीड़िता के परिजन अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे, और शव का पोस्टमार्टम नही कराने पर अड़े हुए थे। उनकी मांग थी कि जब तक हमारी मांगे नही मान ली जाती तब तक हम शव का पोस्टमॉर्टम नही करने देंगे।
क्या था पूरा मामला?
मामला नागौर जिले के डीडवाना तहसील के एक गांव का है। द मूकनायक की टीम ने पीड़िता के भाई से बात की तो उन्होंने बताया कि, "हमें हमारी बहन बेहोशी की हालत में मिली और हमने गुमशुदगी की रिपोर्ट 6 फरवरी को दर्ज कराई। उस समय पुलिस ने दो संदिग्धों से पूछताछ की और उनको छोड़ दिया। हम पुलिस से बहन को ढूंढने की गुहार लगाते रहे और थानाधिकारी छुट्टी पर चले गए।"
भाई ने द मूकनायक को बताया कि, "पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की और मामले की सूचना एसपी तक को नहीं दी, इसी दौरान एसपी साहब राममूर्ति जोशी, डीडवाना, किसी लूट के मामले को लेकर डीडवाना आए थे वहां हम उनके सामने फरियाद लेकर गए, और जब एसपी साहब ने पूछा तो हमने घटना के बारे में बताया। यह सुनकर तुरंत एसपी साहब ने थानाधिकारी को तुरंत संदिग्धों को पकड़कर लाने के लिए कहा।"
"जिन पर शक था, पुलिस ने उनसे कड़ी पूछताछ की और पुलिस जब आरोपियों द्वारा बताए गए स्थान पर पहुंची तो वहां पर वह बेहोसी की हालत में मिली जिसके अंग नोचे हुए मिले, और प्राइवेट पार्ट में कीड़े रेंग रहे थे, होट भी काटे हुए थे। और शरीर भी ऐसे लग रहा था जैसे नाखूनों से नोचा हुआ हो।" रुआसे मन से भाई ने बताया।
भाई ने आगे बताया, उसे (बहन को) बांगड़ हॉस्पिटल डीडवाना लाया गया और वहां से हालत गंभीर होने पर जयपुर रैफर कर दिया गया। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। हम और हमारा परिवार एसएमएस हॉस्पिटल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए, इसमें हमारे साथ कई सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा, पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से हनुमान बेनीवाल भी हमारे साथ आये और मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करने लग गए।
"हमने 2 दिन तक एसएमएस हॉस्पिटल की मोर्चरी तथा शहीद स्मारक जयपुर और डीडवाना उपखंड कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया। धरने के 2 दिन बाद सुबह लगभग 02:50 मिनट पर पुलिस आई और पुलिस ने हमें खदेड़ा और हमारे मोबाइल छीन लिए और शव को जबरदस्ती डीडवाना भेज दिया गया।" भाई ने बताया।
मामले में सीआई की लापरवाही बताई गई और मामले को 4 दिन तक दबाये रखने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद सीआई जाखड़ ओर हेड-कांस्टेबल प्रहलाद को निलंबित किया गया।
21 फरवरी को नागौर निर्भया के परिवार द्वारा शव का अंतिम संस्कार किया गया।
जिला प्रशासन ने मानी मांगे
मामला आगे बढ़ते देख जिला प्रशासन को मांग पर राजी होना पड़ा, और परिजनो की मांगो पर सहमति बनी। नागौर जिला कलेक्टर पीयूष सामरिया के नेतृत्व में हुई सहमति में परिवार की निम्न मांगो पर सहमति बनी है;
उक्त इन सभी समझौता पत्र पर परिवार के सदस्य मृतका के भाई व पिता के हस्ताक्षर करवाये गए और मांगो को लेकर चल रहे धरने को समाप्त कराया गया।
पूरी रिपोर्ट वीडिओ में यहां देखें:
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