पंजाब: बेटे ने घर से भागकर की शादी तो ससुरालियों ने लड़के की माँ को अर्धनग्न करके घुमाया, हाई कोर्ट सख्त

पंजाब में महिला को अर्धनग्न घुमाए जाने पर हाईकोर्ट ने क्या कहा? कब तक महिलाओं की इज्जत के साथ होगा ऐसा?
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट
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नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को उस घटना का संज्ञान लिया जिसमें तरनतारन में एक महिला के साथ उसके बेटे के ससुराल वालों द्वारा कथित तौर पर मारपीट की गई और उसे अर्धनग्न कर घुमाया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह 'महाभारत में कौरवों के आदेश पर द्रौपदी के चीरहरण' की याद दिलाता है।

बता दें कि, पंजाब के तरनतारन जिले में 55 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर उसके बेटे के ससुराल वालों ने मारपीट की और उसे अर्धनग्न करके घुमाया, क्योंकि उसका बेटा किसी महिला के साथ घर से भाग गया था और अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ उससे शादी कर ली थी।

इस बारे में द मूकनायक ने पीड़िता की देवरानी से बात की, जो पीड़िता के घर के पास में ही रहती हैं। देवरानी ने बताया कि, "दोनों लड़का-लड़की 7 साल से एक दूसरे से प्यार करते थे। 5 साल पहले भी लड़की हमारे घर आधारकार्ड लेकर आ गई थी। तब उसके घर वालों ने गांव के पंचायत में जाकर, उसको समझा-बुझाकर घर वापस ले गए थे। दोनों के घर आसपास में ही बने हुए हैं। उन्होंने 5 साल पहले भी अपनी बेटी से जबरदस्ती लड़के के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई  थी। जैसे-तैसे पुलिस वालों ने लड़के को छोड़ा था। इस साल 9 मार्च को लड़की की शादी थी। हमारा बेटा घर से दूर काम करने के लिए गया था। उनकी लड़की ने फोन कर अपनी शादी की बात बताई। 24 फरवरी को दोनों घर से भाग गए थे। मेरी जेठानी को पता नहीं था। उसके ही घर वालों ने सुबह आकर मेरी जेठानी को बताया था। पुलिस में उन्होंने शिकायत भी की थी। उसके बाद हमने बेटे को फोन किया। बेटे ने जरा-सी बात करके फोन काट दिया। तब हमें समझ में आ गया कि इसमें हमारा लड़का भी शामिल है।"

"दोनों के घर वाले उनको ढूंढने के लिए चले गए। लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया, उनको डर था कि घर ले जाकर यह कुछ गलत कर देंगे। 9 मार्च को दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। तब लड़की के घर वाले भी वहां पर थे। लड़की की मां ने उनको आशीर्वाद दे दिया था। बाद में दोनों अपने-अपने काम पर लग गए। जेठानी के पति बाहर खेतों में मजदूरी करते हैं। मेरी जेठानी उनके पास पैसे लेकर लड़की के लिए कपड़े लेने गई थी। क्योंकि लड़की के पास कपड़े नहीं थे। वह लड़की से मिलकर आई थी," पीड़िता की देवरानी ने कहा.

वह आगे बताती हैं, "31 मार्च को हमारी जेठानी अपने साथ के घर के लोगों को कपड़े दिखा रही थी। उसके बाद वह घर आ गई। बाद में पीछे से चार-पांच लोग आये। इसमें लड़की की मां और लड़की के भाई के दो दोस्त भी थे। उन्होंने इनका दरवाजा खटखटाया। इन्होंने दरवाजा नहीं खोला। दरवाजा नहीं खोलने पर उन्होंने कहा कि 'हम सिर्फ बात करने आए हैं' फिर मेरी जेठानी ने दरवाजा खोल दिया। इसके बाद उन्होंने, इनका सर दरवाजे में मारा। फिर लड़की की मां और उसके भाई ने दोनों साइड से पकड़कर उनकी कमीज फाड़ दी, और फिर फोटो खींची। फिर किसी गांव वाले ने ढकने के लिए ने इनको दुपट्टा दिया। लेकिन उसके भाई ने वह दुपट्टा खींच लिया और उनकी वीडियो भी बनाई। सोचिए उन पर उस समय क्या बीत रही होगी।"

किसी ने कोई मदद नहीं की

आगे वह बताती है कि, "वहां अधिक लोग थे जो दूर खड़े होकर तमाशा देख रहे थे, वीडियो बना रहे थे। लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। अगर हम बाहर होते तो ऐसा नहीं होता। हमारे घर में मेहमान आए हुए थे। हम उन्हीं के चक्कर में लगे हुए थे। पता ही नहीं चला कब क्या से क्या हो गया। उस समय किसी ने हमारे घर पर भी आकर नहीं बताया कि हमारी दीदी के साथ इतना कुछ हो रहा है।"

सुसाइड करने की कोशिश भी की

"इसके बाद वह बहुत सदमे में चली गई थी। कहीं भी बाहर नहीं जाती थी। ना ही किसी से बात करती थी। वह बहुत डरी-डरी रहती थी। उन्होंने शर्म की वजह से सुसाइड करने की कोशिश भी की थी। इसलिए हमने उनके बेटों के पास उनको भेज दिया। बेटों के पास भी वह डरी हुई रहती थी। उनके चार बच्चे हैं, दो बेटे और बेटी। सभी की शादी हो गई है, और यह लड़का सबसे छोटा है। अगर बेटी होती तो, क्या उनके साथ भी ऐसा व्यवहार कर सकते थे। इन लोगों ने जरा सी भी एक महिला की इज्जत के लिए नहीं सोचा। कोई ऐसा कैसे कर सकता है। सभी के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज हो गया है और कल इनको जेल भेजा जाएगा", उन्होंने बताया.

बेटे की गलती की सजा मां को मिली

न्यायमूर्ति संजय वशिष्ठ ने मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से इस "बर्बर और शर्मनाक घटना" का स्वत: संज्ञान लिया और मामले को जनहित याचिका के रूप में मानने का फैसला किया। जस्टिस वशिष्ठ तरनतारन सेशन डिवीजन के प्रशासनिक जज भी हैं। बाद में मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति लापीता बनर्जी की खंडपीठ के समक्ष रखा गया, जिसने पंजाब सरकार को प्रस्ताव का नोटिस जारी किया।

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