लखनऊ. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2022 की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की आई हालिया रिपोर्ट ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि उत्तर प्रदेश में महिला उत्पीड़न के मामले सर्वाधिक होते है। आयोग को महिलाओं के खिलाफ अपराध के 12600 शिकायतें मिलीं हैं. इसमें सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से हैं. उसके बाद दिल्ली और महाराष्ट्र है. घरेलू हिंसा की 3,213 तो दहेज उत्पीड़न की 1,963 शिकायतें मिलीं हैं. 2023 में भी महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचार की सबसे ज्यादा शिकायतें यूपी से ही मिलीं थी.
राष्ट्रीय महिला आयोग में सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश से, इस नंबर पर दिल्ली, मणिपुर से सिर्फ 3 कंप्लेंट महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 12600 शिकायतें दर्ज 12,600. यह महज एक आंकड़ा नहीं है. बल्कि इस साल महिलाओं पर हुए अत्याचार से जुड़ी शिकायतें हैं. 2024 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 12,600 शिकायतें दर्ज की गई हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग यानी NCW ने ये जानकारी दी है. इसमें सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश से दर्ज की गई है.
यूपी के बाद दिल्ली दूसरे नंबर पर और महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर रहा. दिलचस्प बात यह है कि मणिपुर जो पिछले एक साल से बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है, वहां से महिलाओं के खिलाफ अपराध की केवल तीन शिकायतें ही दर्ज की गई हैं.
द मूकनायक को महिला अधिकार कार्यकर्ता व लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में सबसे बड़ा प्रदेश है, लेकिन जनसंख्या के लिहाज से भी देखें तो उत्पीड़न के मामले कई गुना अधिक हैं। इसका एक बड़ा कारण यूपी पुलिस का असहयोग और पीड़ितों की सुनवाई न होना है। पीड़ित महिलाएं आयोग का दरवाजा तभी खटखटाती हैं, जब उनकी पुलिस में सुनवाई नहीं होती। यदि पुलिस समय रहते कदम उठा ले तो आयोग के सामने आने वाले मामले अपने-आप कम हो जाएंगे।
महिला आयोग की पूर्व सदस्य रेखा शर्मा ने आरोप लगाया था कि ऐसे मामलों में प्रदेश पुलिस सुनवाई नहीं करती, जिससे शिकायतें राष्ट्रीय महिला आयोग तक पहुंच रही हैं, लेकिन आयोग के हस्तक्षेप के बाद भी राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों के अधिकारी इन मामलों को सुलझाने में मदद नहीं कर रहे हैं।
2024 में अब तक NCW को प्राप्त कुल 12,648 शिकायतों में से 6,492 उत्तर प्रदेश से थीं. पैनल के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली 1,119 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर थी, जबकि महाराष्ट्र की संख्या 764 थी. बाकी दूसरे राज्य जैसे तमिलनाडु में 304, कर्नाटक में 305, बिहार में 586, मध्य प्रदेश में 516, हरियाणा में 509, राजस्थान में 409 और पश्चिम बंगाल में 307 शिकायतें दर्ज की गईं.
जहां तक महिलाओं के खिलाफ अपराधों की श्रेणियों का सवाल है, सबसे अधिक 3,567 शिकायतें उत्पीड़न से जुड़ी हैं. इसके बाद घरेलू हिंसा की 3,213 शिकायतें दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार, दहेज उत्पीड़न की 1,963 शिकायतें मिलीं, छेड़छाड़ की 821, 524 शिकायतें महिलाओं के खिलाफ पुलिस के ढुलमुल रवैये से जुड़ी है रेप के प्रयास की शिकायतें 658 रहीं.
इसमें कहा गया है कि यौन उत्पीड़न की 495, साइबर अपराध की 339, पीछा करने की 345 और सम्मान अपराध की 206 शिकायतें थीं. 2023 में NCW द्वारा महिलाओं से संबंधित कुल 28,811 शिकायतें दर्ज की गईं.
राष्ट्रीय महिला आयोग के 2023 के जारी आंकड़ों के मुताबिक भी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे था. 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित कुल 28,811 शिकायतें मिलीं थी जिसमें यूपी में करीब 16,109 यानी 55 प्रतिशत शिकायतें अकेले उत्तर प्रदेश से मिलीं.
पिछले साल भी दिल्ली दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर था. दिल्ली में 2,411 और महाराष्ट्र में 1,343 शिकायतें दर्ज हुईं. मध्य प्रदेश (11,155), बिहार (1,312), हरियाणा (1,011), राजस्थान (608), तमिलनाडु (569), पश्चिम बंगाल (569), और कर्नाटक (501) शामिल थे. एनसीडब्ल्यू को 2022 में देश भर से 30,864 शिकायतें मिलीं, जो 2014 के बाद से सबसे अधिक आंकड़ा था.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2022 की रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों में, उत्तर प्रदेश, आईपीसी और विशेष और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा 65,743 की संख्या के साथ फिर से सूची में शीर्ष पर है, इसके बाद महाराष्ट्र 45,331 मामले, राजस्थान 45,058 मामलों के साथ है. 2021 में, यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56,083 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान (40,738 मामले) था. केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली 2022 में 14,247 मामलों के साथ इस कटेगरी में सबसे आगे है.
2022 में ‘बलात्कार/गैंगरेप के साथ हत्या’ की कटेगरी में उत्तर प्रदेश 62 पंजीकृत मामलों के साथ फिर से सूची में शीर्ष पर है, इसके बाद मध्य प्रदेश 41 के साथ दूसरे नंबर पर है.
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