नई दिल्ली: रेलवे, बस, सड़क, फ्लाइट कहीं पर भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। हाल ही में इंटरनेशल फ्लाइट में महिला के साथ छेड़खानी का मामला सामने आया है। महिला की शिकायत के बाद 52 साल के आरोपी को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना फ्रैंकफर्ट-बेंगलुरु लुफ्थांसा फ्लाइट की है। पीड़िता की उम्र 32 साल थी। पीड़िता आंध्र प्रदेश के तिरूपति की रहने वाली है। 6 नवंबर की घटना के दिन महिला उस वक्त विमान में सो रही थी। शिकायत में कहा गया है कि जब महिला सो रही थी तो उसके बगल में बैठे व्यक्ति ने उसे गलत तरीके से छुआ। महिला ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी ने उसके निजी अंगों को छुआ और अनुचित व्यवहार किया।
महिला ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि उसने आरोपी को दूर रहने को कहा तो वह अभद्रता करने लगा। बाद में महिला ने क्रू मेंबर्स से कहकर अपनी सीट बदलवा ली, क्योंकि आरोपी यात्रा के दौरान उसे लगातार परेशान कर रहा था। परेशान महिला ने बेंगलुरु में फ्लाइट लैंड होने के बाद केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया था।
जांच के बाद फ्लाइट के पैसेंजर रिकॉर्ड से उस यात्री की जानकारी निकालकर उसे हिरासत में लिया गया। केस की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि, आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था। अदालत ने उसे इस मामले में जमानत दे दी।
आए दिन कुछ ना कुछ बदसलूकी मामले सामने आते रहते हैं। एयर इंडिया की 10 अप्रैल 2023 को दिल्ली से लंदन जा रही फ्लाइट में एक पैसेंजर ने दो क्रू मेंबर्स के दुर्व्यहार किया। बार-बार समझाने के बाद भी जब यात्री नहीं माना तो उड़ान को वापस दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर लैंड करा दिया गया। इसके बाद एयर इंडिया की ओर से पुलिस को मामले की शिकायत दी गई। फ्लाइट में बदसलूकी का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई यात्रियों के अपने सहयात्रियों या क्रू मेंबर्स के साथ बदसलूकी या मारपीट के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे यात्रियों को एयरलाइन नो फ्लाई लिस्ट में डाल देती है।
मीडिया रिपोर्ट में फ्लाइट के दौरान यात्रियों के गलत व्यवहार को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 2017 में दिशानिर्देश जारी किए थे। इनके मुताबिक, अगर कोई हवाई यात्री प्लेन में गलत व्यवहार करता है तो पायलट को रिपोर्ट दर्ज करानी होती है। इसके बाद मामले की आंतरिक जांच होती है। बदसलूकी करने वाले यात्री को 30 दिन के लिए नो-फ्लाई लिस्ट में डालने का अधिकार एयरलाइन के पास होता है। अगर विमानन कंपनी तय समय के भीतर मामले पर कोई फैसला नहीं ले पाती है तो आरोपी यात्री फिर फ्लाइट से यात्रा कर सकता है।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन नागरिक उड्डयन का नियमन करता है। डीजीसीए इंडियन एयरक्राफ्ट रूल्स 1937 के प्रोविजन 22, 23 और 29 के तहत विमान में हंगामा करने, ज्यादा शराब पीने या मुंहजुबानी बदसलूकी करने वाले पैसेंजर को हवाई यात्रा करने से रोक सकता है। यहां तक कि जरूरत महसूस होने पर उसे विमान से भी उतार सकता है। प्रोविजन 23 के मुताबिक, अगर पैसेंजर शराब या किसी दूसरे नशे में विमान या किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरे में डालता है तो उसे विमान से उतारा जा सकता है। ये नियम भारत आने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी समान रूप से लागू होते हैं। हालांकि, अगर घटना विदेश में होती है और एयरलाइन भी विदेश की हो तो ये नियम लागू नहीं होते हैं।
अगर बदसलूकी की घटना एयरपोर्ट पर हुई है तो संबंधित थाना या हवाई अड्डे पर मौजूद सुरक्षा एजेंसी कार्रवाई कर सकती है। वहीं, एयरपोर्ट पर खड़े विमान में बदसलूकी होने पर डीजीसीए एक्शन लेगा। अगर कोई यात्री किसी दूसरे देश के हवाई क्षेत्र में विमान के पहुंचने पर बदसलूकी करता है तो उस देश के कानून के आधार पर उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बदसलूकी को 3 श्रेणियों में बांटकर 3 महीने से लेकर 2 साल और कुछ मामलों में अनिश्चितकाल के लिए दोषी पैसेंजर की हवाई यात्रा पर पाबंदी का प्रावधान किया है। पहली श्रेणी के तहत अगर कोई यात्री किसी सहयात्री या क्रू मेंबर्स को गलत तरीके से इशारा करता है या उनके साथ मुंहजुबानी बदसलूकी करता है या नशे में धुत हो जाता है तो उसे तीन महीने के लिए नो-फ्लाई लिस्ट में डाला सकता है। दूसरी श्रेणी में अगर कोई यात्री धक्का-मुक्की करता है या लात मारता है या किसी सहयात्री व क्रू मेंबर को गलत तरीके से छूता तो उस पर 6 महीने की पाबंदी लगाई जा सकती है। दो साल या अनिश्चितकालीन पाबंदी उस यात्री पर लगाई जाती है, जो विमान को नुकसान पहुंचाने की या किसी को हत्या की धमकी देता है या मारपीट करता है।
अगर किसी यात्री को लगता है कि उसे बेवजह या गलत तरीके से नो-फ्लाई लिस्ट में डाला गया है, तो उसे मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन के तहत आने वाली अपीलेट कमेटी में आवेदन का अधिकार होता है। मामला कमेटी के पास जाने बाद जो भी फैसला होगा, वो पैसेंजर को स्वीकार करना होगा. हालांकि, अगर बैन गृह मंत्रालय ने लगाया है तो उसे आवेदन का कोई अधिकार नहीं होता है।
सहयात्री या क्रू मेंबर से मारपीट या पेशाब करने जैसे मामलों में भारतीय विमान अधिनियम की धारा 23 के साथ ही आईपीसी की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। इनमें सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत, अश्लील गाना गाने, महिलाओं से मुंहजुबानी छेड़छाड़ करना आईपीसी की धारा 294 के तहत अपराध हैं। इस अपराध में 3 हीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. फ्लाइट को सार्वजनिक स्थान माना जाता है। आईपीसी की धारा 354 के तहत महिला की लज्जा भंग करने वाली आपराधिक हरकत या हमला करने या यौन उत्पीड़ने के मामले में कम से कम एक साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। किसी सहयात्री की निजता का हनन आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध है और दोषी को 3 साल तक की सजा हो सकती है। नशे में धुत यात्री के कारण बाकी लोगों को दिक्कत होना आईपीसी की धारा 510 के तहत अपराध है। इसमें 24 घंटे की सजा और जुर्माना हो सकता है।
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