राजस्थान: देह व्यापार के लिए नाबालिग लड़कियों की हो रही खरीद फरोख्त, बहनों को दलदल से निकालने के लिए सरकारी सिस्टम से जूझ रही महिला

भीलवाड़ा में देह कारोबार के दलदल से बाहर निकली एक महिला ने एसपी को बताई पीड़ा। खरीददार आरोपियों ने उससे 15 साल तक देह व्यापार करवाया। अपनी चार छोटी बहनों को देह व्यापार से निकालने की गुहार।
पीड़ित महिला एसपी कार्यालय के बाहर न्याय की गुहार लगाते हुए।
पीड़ित महिला एसपी कार्यालय के बाहर न्याय की गुहार लगाते हुए। फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक
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जयपुर। राजस्थान का भीलवाड़ा स्टाम्प पेपर पर नाबालिग लड़कियों की खरीद फरोख्त के मामलों को लेकर सुर्खियों रहता आया है। इसे लेकर कई बार मीडिया रिपोर्ट भी हुई है, लेकिन कम उम्र की बेटियों की खरीद फरोख्त कर उन्हें देह व्यापार में धकेल देने की कुप्रथा पर शासकीय अंकुश नहीं लग पा रहा है।

यह भी सच है कि वर्षों से देह व्यापार के कारोबार से परम्परागत रूप से जुड़ी जातियों में से ही कुछ लोग इस प्रथा को बंद करने के लिए सामाजिक सुधार की दिशा में भी कम कर रहे हैं, लेकिन इन जातियों के परम्परागत कानून कहीं न कहीं ऐसे लोगों को बेबस कर देते हैं।

बचपन में पिता के कर्ज की भरपाई के लिए देह व्यापार में धकेली गई मूल रूप से जयपुर जिले के कोटपूतली इलाके में रहने वाली एक महिला ने इस धंधे निकल कर शादी कर ली है। यह महिला अब भीलवाड़ा जिले के ही एक गांव में पति के साथ दाम्पत्य जीवन गुजार रही है, लेकिन इस की चार छोटी बहनों को दलालों ने राजस्थान के अलग-अलग जिलों में बेच दिया है।

इनमें एक 17 और दूसरी 15 साल की नाबालिग भी शामिल है। अपनी चारों बहनों को देह व्यापार के दलदल से बाहर निकालने के लिए महिला पति और समाजसेवियों के साथ मिलकर संघर्ष कर रही है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। इस महिला ने "सेक्स वर्कर-डे" से ठीक एक दिन पहले पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा को चार पन्नों में लिखित शिकायत देकर अपनी बहनों को देह व्यापार धंधे से आजाद कराने की गुहार लगाई है।

महिला ने कहा कि अपनी बहनों को देह व्यापार के दलदल से निकालकर सामाजिक रीति से शादी कर उन्हें भी सम्मानित सामाजिक जीवन में वापस लाना चाहती है।

शिकायत पत्र के साथ पीड़ित महिला और साथ में समाज सेवी भागचंद कंजर
शिकायत पत्र के साथ पीड़ित महिला और साथ में समाज सेवी भागचंद कंजरफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देने के दौरान इस महिला के साथ कंजर समाज भीलवाड़ा के जिलाध्यक्ष भागचंद कंजर भी थे। शिकायत में महिला ने नाबालिगों को खरीद कर देह व्यापार के लिए बेचने वाले दलालों और इन से खरीदकर अलग-अलग जगहों पर देह व्यापार करवाने वालों के नामों का खुलासा भी किया है।

8 साल की उम्र बेचा गया था उसे

पीड़ित महिला ने एसपी को लिखी शिकायत में बताया कि वह पांच बहने हैं। सबसे बड़ी वह खुद है। पीड़िता ने एसपी को बताया कि सबसे पहले दलालों ने उसे ही बेच कर देह व्यापार में धकेला था। तब उसकी उम्र करीब 7 से 8 साल रही होगी। शिकायत में बेचने का कारण बताते हुए उसने कहा कि दलालों ने उसके पिता के सर बहुत अधिक कर्जा निकाल कर उसे बेचा था।

खरीददार आरोपियों ने उससे 15 साल तक देह व्यापार करवाया। इस बीच उसे सवाईमाधोपुर जिले के दो अलग गांवों में भी बेचा गया।

पिता की मौत के बाद बहनों को भी बेच दिया

पीड़िता ने शिकायत में बताया कि लगभग 15 साल पहले उसके पिता की मौत हो गई थी। इनके 3 साल बाद मां भी चल बसी। अब पांचों बहनों के सर पर कोई साया नहीं था। इस दौरान दलालों ने छोटी बहनों को बेच दिया। यह 23, 20, 17 और 15 साल की हैं। दो बहनें सवाईमाधोपुर जिले बेची गई हैं। आरोपी नाबालिगों से भी देह व्यापार करवाकर मोटी कमाई कर रहे हैं।

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पीड़िता ने बताया कि दलाल जो कि भीलवाड़ा जिले के ही अलग-अलग गांवों के रहने वाले हैं। जिनके नाम शिकायत में भी लिखे गए हैं। यह उसकी छोटी बहनों को बार-बार मोटी रकम लेकर बेच रहे हैं। खरीदने वाले इनसे देह व्यापार करवाकर मुनाफा कमा रहे हैं।

पीड़िता ने कहा आरोपी दलालों ने नाबालिग बहनों को मरे के नाम मंडवा दिया ( यह एक जातीय परम्परा है। जिसमें दलालों द्वारा लड़की की एवज में बार-बार रकम मांगने से निजात पाने के लिए खरीदने वाला यह लिखवाता है कि अब इसका कोई नहीं है। यह हमारे [दलालों] लिए मर गई है।) उन्हें 15 से 20 लाख रुपये लेकर मरे के नाम लिखा गया है। आरोपियों ने उसे भी मरे के नाम लिखवाया था, लेकिन वह इस दलदल से निकलने में कामयाब रही।

भाजपा घुमन्तु प्रकोष्ठ जिला संयोजक भीलवाड़ा एवं कंजर समाज जिलाध्यक्ष भीलवाड़ा भागचंद कंजर ने द मूकनायक से बात की। भागचंद ने द मूकनायक को बताया कि "मैं एक समाज सेवी हूं। पीड़ित कोई हमारे पास आता है तो, हम कानूनी कार्रवाई के लिए शासन-प्रशासन के लोगों से मिलकर पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। यह मानवीय धर्म है। मैं अपना फर्ज निभा रहा हूं।"

उन्होंने बताया एक पीड़िता आई थी। उसने बताया कि उसकी चार बहने देह व्यापार के धंधे में फंसी हैं। उन्हें वह इस दलदल से बाहर निकालना चाहती है। तीन महीने से अधिकारियों के चक्कर लगा रही है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। इसलिए पीड़ित महिला के साथ एसपी से मिला था।

एफआईआर दर्ज हुई? सवाल पर भागचंद ने बताया कि शासन-प्रशासन के लोग जांच करेंगे। जांच में जो भी होगा सामने आ जाएगा। "हमने शिकायत दी है। अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। जब तक एफआईआर की कॉपी नहीं मिल जाती कुछ भी नहीं कह सकते हैं।"

'मरे के नाम लिख देते हैं, यह क्या परम्परा है?'

सवाल करने पर समाज सेवी भागचंद कंजर ने बताया कि दलाल छोटी बच्चियों को खरीद कर लाते हैं। कहां से खरीदते हैं? इस को उन्होंने टालते हुए आगे बताया कि दलाल 5 से 8 साल उम्र तक की बच्चियों को लाकर देह व्यापार से जुड़े लोगों को बेचते हैं। यह लोग इनका पालन पोषण कर इन्हें देह के सौदे के लिए तैयार करते हैं। दलाल फिर पैसों की डिमांड करते हैं। और खरीददार को मोटी रकम देना पड़ता है। इनसे निजात पाने के लिए खरीददार दलालों से लिखवाते हैं कि अब यह हमारे लिए मर गई है। हमारा इनसे कोई रिश्ता या वास्ता नहीं रहा। इसे ही 'मरे के नाम लिखवाना' कहते हैं।

अपने नाम बनाते हैं दस्तावेज

समाज सेवी भागचंद कंजर ने बताया कि लड़कियों को बचपन में 5 से 6 साल की उम्र में ही देह व्यापार के धंधे में धकेल देते हैं। देह व्यापार के धंधे में जाने के बाद यह बच्चियां यह भी भूल जाती है कि उनके असल मां बाप कौन हैं। इस बीच दलाल उनके पहचान बदल कर नए दस्तावेज बना कर खुद ही उनके मां बाप बन जाते हैं। फिर यह 10 से 20 लाख रुपये तक में खरीददार को बेचते हैं।

दो दर्जन जातियाँ और 12 कबीले

समाज सेवी भागचंद ने बताया कि देह व्यापार के अनैतिक कारोबार में देश भर में 25 जातियां और 12 कबीले जुड़े हैं। यह वर्षों से इसी परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता इस मुद्दे को शासन-प्रशासन तक पहुंचाते ही नहीं। मोटी कमाई के लालच में कोई नहीं चाहता कि समाज से यह बीमारी खत्म हो जाये। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन को नहीं पता होता कि समाज में क्या चल रहा है। समाज के लोग ही शासन को बताएंगे तो सुधार होगा।

नहीं मानते कानून, जातीय फरमान सर्वोपरि

भागचंद कंजर भी ऐसी जाति से आते हैं जो वर्षों से देह व्यापार से जुड़ी रही है। उन्होंने बताया कि इस धंधे से जुड़े 25 जाति और12 कबीले हैं। इन घुमन्तु समाज में आज भी इनका बनाया कानून चलता है। जातीय पंचायत का फरमान चलता है। यह लोग आज भी कानून को नहीं मानते। इसलिए यह समाज पिछड़ रहे हैं।

स्टाम्प की जगह बही खातों में लिखते हैं लड़कियों का बेचान

देह व्यापार से जुड़े बेटियों की खरीद फरोख्त का सहमति पत्र स्टाम्प पर नहीं लिख कर इनके बही खातों में लिख कर गवाहों के दस्तखत भी करवाते हैं। यह बात भीलवाड़ा कंजर समाज जिलाध्यक्ष भागचंद कंजर ने द मूकनायक को बताई है। उन्होंने कहा दलाल स्टाम्प की जगह बही खातों में लिखवाते हैं लड़कियों को। बही में लड़की खरीदने पर देह व्यापार के लिए नहीं बल्कि नाच गाना और डांस प्रोग्राम में प्रस्तुति का हवाला दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह कड़वा सच है कि खरीदी गई लड़कियों को देह व्यापार में धकेल देते हैं।

भागचंद कहते है कि "मुझे दुःख होता है जब 6 से 7 साल की बच्ची को ले जाकर तोते की तरह पिंजरे में कैद कर दिया जाता है। इन्हें दुनिया का कोई पता नहीं होता। यह उनके साथ अन्याय है।"

बढ़ रहा सामाजिक दबाव

पुलिस अधीक्षक से मिलने के बाद कार्यालय से बाहर आकर पीड़िता ने मीडिया से बात भी की थी, लेकिन इसके बाद ही उस पर सामाजिक दबाव बढ़ने लगा था। कंजर समाज के भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष ने भी इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि शिकायत वापस लेने के लिए दलाल जातीय पंचायत के माध्यम से दबाव बना रहे हैं।

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मामले में कार्रवाई की जानकारी हेतु द मूकनायक ने पुलिस अधीक्षक से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका जवाब नहीं मिला।

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