मध्य प्रदेश: सात महिलाओं ने ऐसा क्या किया की कोर्ट ने दी पांच साल की सजा?

राशन घोटाले में सात महिलाओं पर दोष सिद्ध, कुल 11 आरोपियों को कोर्ट ने सुनाई सजा.
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सांकेतिक तस्वीरफोटो साभार- इंटरनेट
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भोपाल। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिला न्यायालय ने राशन घोटाला मामले में 11 लोगों को सजा सुनाई है। मामला 18 साल पुराना है। 87 करोड़ रुपए से ज्यादा के राशन घोटाला प्रकरण में गत सोमवार को किशोर कुमार गहलोत की विशेष कोर्ट ने आरोपियों को पांच साल की जेल का फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में 4 पुरुष और 7 महिला आरोपियों को दोषी करार दिया है। राशन घोटाला 2002 में सामने आया था। जांच के बाद 2005 में मामला कोर्ट में पहुंचा था।

न्यायालय ने 4 पुरुष आरोपियों को 5-5 साल और 7 महिला आरोपियों को 4-4 साल जेल की सजा सुनाई। हर आरोपी पर 4 लाख 61 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। इस मामले में कुल 16 आरोपी थे। इनमें पांच आरोपियों की मौत हो चुकी है। करीब 18 साल कोर्ट में सुनवाई के दौरान 252 पेशी हुई। इन सभी पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को बांटे जाने वाली खाद्य सामग्री गेहूं आदि को खुले बाजार में बेचने का दोषी पाया गया।

ऐसे किया घोटाला

जिला अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी दीपक जमरा ने बताया कि 24 जुलाई 2002 को थाना प्रभारी अनिल सिंह राठौर को मुखबिर से सूचना मिली थी। उसने बताया था कि सहकारी बाजार मंदसौर का कर्मचारी रामचंद्र दरक सिविल आपूर्ति निगम से शासकीय गेहूं को ट्रक में भरकर शांतनु कॉम्पलेक्स में वीरेंद्र जैन के क्लीनिंग मिल में जेठानंद सिंधी को बेच रहा है। वो सरकारी गेहूं के 50-50 किलो के कट्टों में वीआईपी ब्रांड लगाकर अवैध लाभ ले रहे हैं। इस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मौके पर जेठानंद सिंधी और मुश्ताक को पकड़ा। पुलिस ने गेहूं से भरे ट्रक को जब्त कर केस दर्ज किया था। आरोपियों ने सरकारी गेहूं को वीआईपी ब्रांड का लेबल लगाकर बेचा था।

पुलिस ने जांच के दौरान पाया था कि भाजपा नेता राजेंद्र सिंह गौतम, उनकी पत्नी समेत सभी आरोपियों ने गरीबों को बांटे जाने वाले राशन को गरीब लोगों का नहीं बांटा। इन लोगों ने राशन को खुले बाजार में मर्चेंट जेठानंद सिंधी को बेच दिया। इसके लिए आरोपी भारतीय खाद्य निगम का मार्का लगी बोरियों को पलटकर उन पर वीआईपी और अन्य ब्रांड का लेबल लगाते थे। यह आरोप जांच के दौरान सही पाए गए थे।

अभियोजन के मुताबिक आरोपियों ने साजिश के तहत 87 करोड़ 83 लाख 92 हजार 28 रुपए की आर्थिक अनियमितता की। सरकारी गेहूं को खुले बाजार में बेचकर 35 लाख 83 हजार 596 रुपए का गबन किया और लोकसेवा पद का दुरुपयोग कर शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाते हुए भ्रष्टाचार किया।

इन आरोपियों को कोर्ट ने सुनाई सजा

राजेन्द्र सिंह गौतम (68), मेहमूद पिता इब्राहिम मंसूरी (66), रामचंद्र दरक (65), नजमा पति लियाकत हुसैन (52), शीला देवी शर्मा (62), रमादेवी राठौर (50), राखी राठौड़ (48), मालती देवी सोनी (64), योगेश देवी गौतम (66), हेमा पति हेमंत कुमार हिंगड (57), हेमंत पिता मिश्रीलाल हिंगड (60) को सजा सुनाई गई है।

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