भोपाल। बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने संसद की ओर इशारा कर हमें इंगित किया है कि "ऐ मेरे समाज के लोगों, संसद पहुंचकर राजनीतिक हिस्सेदारी अर्जित करो व वंचित वर्ग की आवाज बनो।" उनके इस इशारे को आत्मसात करने के लिए मैंने राज्य प्रशासनिक सेवा का सर्वोच्च पद त्याग दिया। मैं उस समय यह समझती थी कि कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर समाज के शोषित पीड़ित और वंचित लोगों का प्रतिनिधित्व कर बाबा साहब के सपनों को साकार कर सकूंगी किंतु मेरे साथ वादाखिलाफी की गई...।"
पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने पत्र में अपनी पीड़ा लिखकर कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने पत्र में कांग्रेस राज्य इकाई पर गंभीर आरोप लगाए है।
बांगरे ने त्याग पत्र में आगे लिखा- "मैं बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर की जयंती के पावन अवसर पर कांग्रेस पार्टी के समस्त दायित्वों से मुक्त होना चाहती हूं। कांग्रेस में नारी सम्मान के लिए कोई स्थान नहीं है, जिसका ताजा उदाहरण लोकसभा चुनाव 2024 में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व न मिलना भी है।"
"बाबा साहब स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत के पुरोधा पुरुष थे। उनका मानना था कि सभी भारतीयों को उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना आगे बढ़ाने के लिए समान अधिकार व अवसर मिलने चाहिए। मैं इन्हीं सिद्धांतों को आत्मसात कर समाज और देशसेवा के लिए सदैव तत्पर हूं। इसी ध्येय को लेकर मैं कांग्रेस की राजनीति में व्यापक स्तर पर कार्य करना चाहती थी, लेकिन इस हेतु कांग्रेस पार्टी ने मेरी, योग्यता को ही अयोग्यता बना दिया।" बांगरे ने लिखा।
आपको बता दें इसके पहले जनवरी महीने में ही निशा बांगरे डिप्टी कलेक्टर के पद पर शासकीय सेवा में पुनः सेवा में वापसी के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिख चुकी हैं, हालांकि सरकार की ओर से अभी तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।
बांगरे ने 8 फरवरी को भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बारे में निशा का कहना था कि यह अनौपचारिक भेंट थी। द मूकनायक ने जब नरोत्तम मिश्रा से इस मुलाकात के बारे में पूछा तो निशा का कहना है कि वह नौकरी के संबंध में ही पूर्व गृहमंत्री से मिली थी। भाजपा में शामिल होने या आयोग, निगम मंडल में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल इस तरह का कोई भी ऑफर नहीं है। यदि प्रस्ताव मिला तो विचार करेंगे।
निशा ने कहा- "मेरा लक्ष्य सिर्फ समाजसेवा है। भले वह नौकरी में रहकर हो या राजनीति में जाकर हो। मैं तो राजनीति करना चाहती हूँ, मगर परिवार का दवाब भी है, परिवार के लोगों का कहना है कि वह डिप्टी कलेक्टर रहते हुए राष्ट्र सेवा कर सकती हैं, इसलिए मुख्य सचिव को पत्र लिख कर सेवा में पुनः वापसी का अनुरोध किया है। अभी सरकार की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला है।"
बांगरे ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पहला आरोप वादाखिलाफी का है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने का वादा किया था। विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने के बाद उन्हें लोकसभा में भिंड और टीकमगढ़ की आरक्षित सीटों पर टिकट देने का आश्वासन दिया था। लोकसभा चुनाव में भी दोनों सीटों पर अन्य प्रत्याशी बना दिए गए । टिकट न मिलने से नाराज निशा ने कांग्रेस पार्टी पर दलित विरोधी होने और वंचित वर्ग को छलने का आरोप लगाया।
निशा ने अपने त्याग पत्र में लिखा- " बाबा साहब ने कहा था कि "कांग्रेस जलता हुआ घर है" यह महसूस भी किया। कांग्रेस ने बाबा साहब को कभी टिकट नहीं दिया बल्कि उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़े करके उन्हें चुनाव में हरा दिया। कांग्रेस ने न्याय तब भी नही किया था और कांग्रेस न्याय अब भी नही कर पा रही है।"
सूत्रों के मुताबिक निशा बांगरे जल्द ही भाजपा जॉइन कर सकतीं हैं। हालांकि द मूकनायक ने जब उनसे पूछा तो कहना है कि जो उनके और समाज के लिए अच्छा होगा वह करेगी। सरकार की ओर से उन्हें सकारात्मक सूचनाएं मिली हैं, उनके सेवा में वापस जाने के पत्र पर सरकार विचार कर रही है। निशा ने कहा- 'आगे जो भी होगा अच्छा ही होगा।'
बांगरे पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के टिकट पर आमला सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं। हालांकि, जब तक सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया, कांग्रेस ने इस सीट से एक और उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी।
छतरपुर जिले के लवकुश नगर की एसडीएम रही बांगरे ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 23 जून, 2023 को इस्तीफा दे दिया था, लेकिन जीएडी ने उनका इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, इसके बाद वह हाईकोर्ट गई थी। सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर किया पर वह चुनाव नहीं लड़ सकी।
अक्टूबर 2023 में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा स्वीकार करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास के सामने आमरण अनशन करने जा रही थी। इसके बाद राजधानी के बोर्ड ऑफिस चौराहे से जैसे ही वह आगे बढ़ी वहां भारी संख्या में मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने जबरन उन्हें गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया। जिसके बाद निशा बांगरे और उनके साथ मौजूद समर्थक सड़क पर बैठ गए। पुलिस की खींचतान से उनके हाथों में डॉ. आंबेडकर की फोटो भी टूट गई थी। पुलिस ने उनके समर्थकों घसीटते हुए पुलिस बैन में बंद कर दिया। इस दौरान उनके कपड़े भी फट गए थे।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने करीब एक दर्जन समर्थकों को हिरासत में लिया था जिन्हें शाम को छोड़ दिया, लेकिन पुलिस ने निशा बांगरे पर धारा 151, 107 और 116 में कार्रवाई की शाम को उन्हें पुलिस कमिश्नर ऑफिस ले जाया गया था, जहाँ जमानत की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण लालघाटी स्थित केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.