भोपाल। बालिका गृह से लापता 26 बच्चियों को पुलिस प्रशासन ने शनिवार देर शाम ढूंढ लिया है। पुलिस ने सभी बच्चियों को सकुशल बरामद कर वेरिफिकेशन किया है। राष्ट्रीय बाल आयोग के निरीक्षण के दौरान शहर के परवलिया क्षेत्र में स्थित आंचल बालगृह के भर्ती रिकॉर्ड की जब जांच की तो मौके से 26 बच्चियां लापता थी।
बाल आयोग ने तुरंत कार्यवाही करते हुए मुख्य सचिव वीणा राणा को पत्र लिखकर बालगृह से जुड़े संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। आयोग की फटकार के बाद हरकत में आए पुलिस प्रशासन ने बच्चियों को ढूढ़ना शुरू कर दिया था। शनिवार शाम को ही 10 बच्चियां आदमपुर छावनी क्षेत्र से मिली। वहीं, 13 को अयोध्या नगर की झुग्गियों से बरामद किया गया। 2 लड़कियां टॉप नगर और एक को रायसेन से बरामद किया गया है। पुलिस ने सभी का वेरिफिकेशन कर उन्हें घर भेज दिया है। अब ये बच्चियां अपने-अपने घरों पर सुरक्षित हैं।
बताया जा रहा है कि बिना परमिशन के चल रहे इस अवैध बालिका गृह से कुल 26 बालिकाएं गायब हुई थीं, बाल आयोग की जांच में भर्ती रजिस्टर में कुल 68 बच्चियां दर्ज थी, वहीं बालगृह में सिर्फ 41 बच्चियां ही मिली थी। आयोग के मुताबिक बालिका छात्रावास का संचालन अवैध रूप से किया जा रहा था। प्रशासन की तरफ से इसको कोई परमिशन नहीं थी। बालिका गृह में कुल 68 बच्चियां हैं, जिनमें से बाकी 41 सुरक्षित हैं। गायब हुई 26 लड़कियों में धीरे-धीरे कर के समय के साथ सभी का पता लगा लिया गया और पुलिस ने उनका वेरिफिकेशन किया। वहीं, पूर्व सीडीपीओ विजेन्द्र प्रताप सिंह और सुपरवाइजर कोमल उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया गया है। फिलहाल अभी इस मामले की जांच की जा रही है।
मामला संज्ञान में आते ही, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को ही अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में अवैध बाल संरक्षण गृहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में ये निर्देश दिया। सीएम यादव ने निर्देश दिया है कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार इंस्पेक्शन करते रहना होगा कि मध्य प्रदेश में एक भी बाल संरक्षण गृह अवैध न हो।
बाल गृह से लापता बच्चियों के मिल जाने के बाद सीएम मोहन यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया है, उन्होंने लिखा, "भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में संचालित बाल गृह से लापता बालिकाओं की तस्दीक हो गई है। सभी बेटियां सुरक्षित हैं और इनकी पहचान भी कर ली गई है। एक भी दोषी और लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा."
एनजीओ के नाम पर चल रहे इस अवैध हॉस्टल का मामला संज्ञान में आते ही मौके पर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, आईजी देहात अभय सिंह समेत एसडीएम और पुलिस फोर्स यहां पहुंची। साथ ही, हॉस्टल के फादर अनिल मैथ्यू के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय आयोग की जांच के दौरान जो 41 बच्चियां वहाँ मिली थी। उन सभी को मान्यता प्राप्त शासकीय बालगृह में शिफ्ट कर दिया है। अभी इन बच्चियों से बातचीत की जाएगी। बाकी 26 लापता बच्चियों को पुलिस द्वारा ढूंढ लेने के संबंध में हमें कोई प्रतिवेदन नहीं मिला है। जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद कार्रवाई करेंगे।
पुलिस टीम की सर्चिंग के बाद बरामद हुईं बच्चियों की काउंसलिंग बाल कल्याण समिति (CWC) द्वारा की जा रही है। जेजे बोर्ड एवं बाल कल्याण समिति के सदस्य, कानूनी विशेषज्ञ डॉ. कृपाशंकर चौबे ने द मूकनायक को बताया कि, "फिलहाल बच्चियों की काउंसलिंग की जा रही है। यह प्रक्रिया दो से तीन दिन तक चलेगी। बच्चों के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार तो नहीं हुआ। वह कैसे वहां से घर पहुँची सभी पर बात कर रहे हैं। "
बाल गृह के निरीक्षण के दौरान जेजे एक्ट का उल्लंघन सामने आया था। डॉ. कृपाशंकर चौबे ने बताया कि बाल कल्याण समिति (CWC) को बिना बताए या उनके माता-पिता के अनुमति के बगैर बाल गृह में रखना किशोर न्याय अधिनियम की धारा 33 के अंतर्गत अपराध है।
"ऐसे नाबालिग बच्चे जो अनाथ हैं, सड़क या कहीं पर भी घूम रहे हैं। तो इसकी सूचना बाल कल्याण समिति को देना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर किशोर न्याय अधिनियम की धारा 33 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में हैं। इसके उल्लंघन पर एक साल की सजा और अर्थ दण्ड का प्रावधान है", उन्होंने कहा.
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