उत्तर प्रदेश: दूसरी बार नातिन होने पर, नानी ने ही कर दी अपनी नातिन की हत्या

महिला एक्टिविस्ट ने कहा- मानसिकता बदलने की जरूरत
उत्तर प्रदेश: दूसरी बार नातिन होने पर, नानी ने ही कर दी अपनी नातिन की हत्या
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बुलंदशहर। लड़कियां आज प्लेन से लेकर ट्रेन तक चला रही है। अभी कल ही चंद्रयान 3 को लीड करने वाली महिला ही है। फिर भी पता नहीं क्यों अभी भी हमारे देश के कुछ हिस्सों में लड़कियों को कमतर समझा जाता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गुरुवार देर रात एक निजी अस्पताल में अपनी बेटी की दो दिन की बच्ची की कथित तौर पर गला दबाकर हत्या करने के आरोप में एक महिला को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कहा कि आरोपी महिला को उम्मीद थी कि उसकी बेटी का दूसरा बच्चा एक लड़का होगा। हालांकि उसे यह जानकर निराशा हुई कि मंगलवार को पैदा हुई नवजात लड़की थी।

सास पर हत्या का आरोप

बच्ची के 30 वर्षीय पिता दानिश खान ने इस संबंध में शुक्रवार को सियाना पुलिस स्टेशन में पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई। उसमें दावा किया गया कि मेरठ के हसनपुर इलाके की रहने वाली 45 वर्षीय उसकी सास मीना ने शिशु की हत्या कर दी। पुलिस ने शुक्रवार शाम हत्या के आरोप में मीना को गिरफ्तार कर लिया।

बेटी के कहने पर बच्ची को ताजी हवा के लिए बाहर निकाला

एफआईआर के मुताबिक, 22 साल की आयशा खातून ने बुलंदशहर के एक निजी अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। उनकी बड़ी बेटी दो साल की है। दानिश ने कहा, “बुधवार सुबह मेरी सास मेरी पत्नी की देखभाल के लिए अस्पताल आई थीं और वह अस्पताल में आयशा के साथ रुकी थीं। गुरुवार की रात आयशा ने अपनी मां से बच्ची को ताजी हवा के लिए गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) से बाहर ले जाने के लिए कहा। मेरी सास मेरी बेटी को आईसीयू से बाहर ले गईं और जब वह लौटीं तो नवजात बच्ची मर चुकी थी।”

आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज

स्याना पुलिस स्टेशन के प्रभारी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा, “अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि मीना नवजात को आईसीयू से बाहर ले गई और जब वह वापस लौटी तो उसने वहां मौजूद डॉक्टर से बच्चे की जांच करने के लिए कहा। इसके बाद पता चला कि बच्ची मर चुकी है। हमने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज की है।” वहीं, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने कहा, “आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन हमारी जांच जारी है। सीसीटीवी फुटेज भी चल रही जांच का हिस्सा है।”

मानसिकता बदलने की जरूरत

द मूकनायक से जीसीडीडब्ल्यू संस्थापक सदस्य और दलित महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता शोभना स्मृति कहती है कि लड़कियों को हमेशा लड़कों से कमतर आंका जाता है। पता नहीं यह भेदभाव कब खत्म होगा। अगर लड़कियों को लड़कों के बराबर ना समझने की भावना आदमी या औरत किसी के भी अंदर है, तो यह बहुत ही चिंताजनक बात है। क्योंकि आज जहां लड़कियां चांद पर जाने के लिए काम कर रही हैं। प्लेन से लेकर ट्रेन तक चला रही हैं, तो वही लड़कियां क्या नहीं कर सकती हैं। फिर भी समाज यह सोच होना बहुत ही निंदनीय है। लोगों के दिमाग में अभी भी वही पुरानी बातें चल रही हैं कि बेटी हो जाए तो बस मायूस हो जाओ। क्योंकि यह लोग इन चीजों पर अभी भी विश्वास रखते हैं कि लड़कियां सिर्फ बोझ होती हैं। आगे चलकर कुछ नहीं कर सकती। वह सिर्फ घर का काम कर सकती हैं।

उन्होंने आगे कहा हमारे समाज में लड़कियों को लेकर जो सोच बनी हुई है। पहले हमें उस सोच पर काम करना पड़ेगा सरकार हमेशा कुछ ना कुछ महिलाओं लड़कियों के लिए नई-नई योजनाएं बनाती रहती है। क्या उन योजनाओं पर काम होता है। उनकी सुरक्षा को लेकर उनके जीवन के लिए भी नए-नए कार्य सरकार सामने लाती है। परंतु यदि इस तरह की घटनाएं होती है तो कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ खामियां हैं अभी भी। जिससे समाज में ऐसी कुरीतियां खत्म नहीं हो पा रही है। इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। पूरे देश में गांव शहर व समाज के हर तबके में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

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