"सभी ने कहा मंहगा खेल है, मैंने इस बाधा को भी पार कर लिया"- भवानी देवी

एशियाई फेंसिंग चैम्पियनशिप में भारतीय तलवारबाज ने कांस्य पदक जीत रचा इतिहास
भवानी देवी.
भवानी देवी.Indianexpress.com
Published on

चेन्नई. ”मैं जब स्कूल में थी तो तलवारीबाजी खेल की ओर आकर्षित हुई। उस समय सहेलियों और टीचर ने कहा कि यह महंगा खेल है। मुश्किल होगी। मैंने वो मुश्किल पार कर ली। आज परिणाम सबके सामने है।” एक स्थानीय समाचारपत्र से बात करते हुए यह बात तलवारबाज भवानी देवी ने साझा की। उन्होने कहा कि खेल के लिए उपकरण जुटाने के लिए उनको लोगों से रुपए उधार तक लेने पड़े।

भवानी ने एशियाई फेंसिंग चैम्पियनशिप में पहली बार कांस्य पदक देश के नाम किया है। गत 19 जून को एशियाई फेंसिंग चैम्पियनशिप में इतिहास रच भवानी ने चीन के वुक्सी में महिला सेबर स्पर्धा के सेमीफाइनल में हारने के बावजूद कांस्य पदक जीत लिया है। ये देश के लिए अब तक का पहला मेडल है। बता दें कि सेमीफाइनल में भवानी को उज्जबेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकोवा के खिलाफ कांटेदार जंग का सामना करना पड़ा। इस मुकाबले में भवानी को 14-15 से हार मिली, लेकिन उन्होंने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर देश की शान बढ़ाई। सीए भवानी देवी भारत के तमिलनाडु के मध्यवर्गीय परिवार से आती हैं।

एशियाई फेंसिग चौंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में मिसाकी इमूरा को हराकर भवानी देवी ने मेडल पक्का कर लिया था, लेकिन चीन के वुक्सी में महिला सेबर स्पर्धा के खिलाफ सेमीफाइनल में भवानी को हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बावजूद उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम दर्ज कराया। बता दें कि सीए भवानी देवी ने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जापान की मिसाकी इमूरा को 15-10 से मात देते हुए सेमीफाइनल में एंट्री की थी। इस मैच में मिली जीत के साथ उन्होंने भारत के लिए मेडल भी पक्का कर लिया था। क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने के लिए भवानी ने जापान की सिरी ओजाकी को 15-11 से हराया था।

मध्यवर्गीय परिवार से सीए भवानी देवी

चडालवाड़ा आनंदा सुंदररमन भवानी देवी उर्फ सीए भवानी देवी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला हैं। भवानी देवी का जन्म 27 अगस्त 1993 को चेन्नई, तमिलनाडु में सीए रमानी और सी आनंद सुंदररमन के घर हुआ था। रमानी एक गृहिणी हैं और आनंद सुंदररमन एक पुजारी हैं। भवानी एक मध्यमवर्गीय परिवार की पांचवीं संतान हैं। उनके दो भाई और दो बड़ी बहनें हैं। भवानी देवी ने 2004 में मुरुगा धनुषकोडी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान तलवारबाजी शुरू की थी। भवानी का राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व 2004 में मध्य प्रदेश से शुरू हुआ। तब से, उन्होंने चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए पेशेवर रूप से कृपाण खेलना शुरू कर दिया था।

File Photo
File PhotoInternet

दसवीं कक्षा खत्म करने के बाद, भवानी देवी केरल के थालास्सेरी में भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में शामिल हो गईं। 15 साल की उम्र में, वह 2007 में तुर्की में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट कैडेट और जूनियर वर्ल्ड फेंसिंग चौंपियनशिप में शामिल हुईं। यात्रा का खर्च और बाड़ लगाने के उपकरण खरीदना भवानी के परिवार के लिए आसान नहीं था। खर्चों को पूरा करने के लिए उनकी मां को दोस्तों और परिवार से पैसे उधार लेने पड़े। खेल के प्रति भवानी के समर्पण ने उन्हें कई सम्मान दिलाये। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय के रूप में जाना जाता है। उन्होंने देश के लिए पहली बार सैटेलाइट टूर्नामेंट और कॉमनवेल्थ चौंपियनशिप में सेबर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता, जिसने भारतीय तलवारबाजी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया।

चैम्पियनशिप में हासिल किए पदक

2009 में मलेशिया में आयोजित कॉमन वेल्थ चौंपियनशिप में कृपाण के लिए कांस्य पदक से शुरुआत करते हुए, भवानी ने कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें 2010 में थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल ओपन में कांस्य, 2010 में फिलीपींस में आयोजित कैडेट एशियाई चौंपियनशिप में कांस्य, 2010 में आयोजित एशियाई चौंपियनशिप में कांस्य शामिल है। फिलीपींस जर्सी में आयोजित कॉमन वेल्थ चौम्पियनशिप-2012 में रजत। 2014 में फिलीपींस में आयोजित एशियाई चौंपियनशिप में अंडर-23 वर्ग में रजत पदक जीता और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय बनीं।

वह 2017 में आइसलैंड के रेकजाविक में व्यक्तिगत कृपाण प्रतियोगिता में जीत हासिल कर विश्व कप प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय फेंसर बनीं। 2019 में उन्होंने बेल्जियम और आइसलैंड में आयोजित टूरनोई सैटेलाइट फेंसिंग प्रतियोगिता में महिला सेबर व्यक्तिगत वर्ग में रजत और कांस्य पदक जीता। भवानी ने 2018 में ऑस्ट्रेलिया में सीनियर कॉमनवेल्थ फेंसिंग चौंपियनशिप में सेबर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। भवानी को अब तक तीन गोल्ड मेडल मिल चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने युवा श्रेणियों में भी कई पदक जीते हैं और अब तक आठ से अधिक व्यक्तिगत राष्ट्रीय खिताबों की विजेता हैं।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com