IFA 2024 : पितृसत्ता को चुनौती देने पहली बार एकजुट होंगी भारत की मछुआरिनें!

तिरुवनंतपुरम में 5 और 6 नवंबर को प्रस्तावित भारत मछुआरिन महासभा (IFA 2024) मत्स्य पालन क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने का एक सशक्त मंच बनेगा।
पिछले वर्षों में मछुआरिनों ने आजीविका, गरिमा, और न्याय के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ी हैं।
पिछले वर्षों में मछुआरिनों ने आजीविका, गरिमा, और न्याय के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ी हैं।
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तिरुवनंतपुरम– स्वतंत्र भारत में पहली बार भारत मछुआरिन महासभा (India Fisherwomen Assembly - IFA) 2024 का आयोजन 5 और 6 नवंबर को तिरुवनंतपुरम, केरल में होने जा रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष के एक महत्वपूर्ण पड़ाव के क्रम में यह महासभा देशभर की मछुआरिनों को एकजुट करेगी। यह आयोजन विभिन्न मछुआरा संघों द्वारा केरल के थेरदेसा महिला वेदी और केरल स्वतंत्र मत्स्यतोरिलाली फेडरेशन (KSMTF) के सहयोग से किया जा रहा है।

IFA का आयोजन फादर थॉमस कोचेरी सेंटर और चेरू रश्मि सेंटर में होगा, जो मछुआरा समुदाय के लिए ऐतिहासिक स्थान हैं। ये केंद्र वर्षों से वैश्विक नेताओं जैसे थॉमस कोचेरी और हरेकृष्ण देबनाथ का गढ़ रहे हैं, जिन्होंने भारत में मछुआरा आंदोलनों को आकार दिया। इस महासभा का उद्देश्य देश के तटीय और अंतर्देशीय क्षेत्रों की मछुआरिनों को एकजुट करना है, जिन्होंने भाषा, भौगोलिक दूरी और सामाजिक बाधाओं जैसी कई चुनौतियों का सामना किया है।

Courtesy - Trip Advisor
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मछुआरिनों का कठिन संघर्ष

इतिहास में, मछुआरिनें मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई हैं, लेकिन उनकी सेवाओं को अक्सर नजरअंदाज किया गया है। कई महिलाएं सीधे तौर पर मछली पकड़ने और समुद्री शैवाल एकत्र करने जैसे कार्यों में भी शामिल होती हैं। फिर भी, पितृसत्तात्मक समाज और उनके ही समुदाय के पुरुष नेताओं की ओर से मान्यता की कमी के कारण उनकी भूमिका कमतर आंकी गई।

पिछले वर्षों में मछुआरिनों ने आजीविका, गरिमा, और न्याय के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ी हैं। चाहे वह मछली बेचने का अधिकार हो या प्रसंस्करण इकाइयों में समान अधिकार की मांग, उन्होंने अपने संघर्षों से भारत के मछुआरा समुदाय की पहचान को मजबूत किया है। अब, IFA के माध्यम से, मछुआरिनें वैश्विक चुनौतियों जैसे ब्लू इकोनॉमी और महासागर हड़पने के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व की भूमिका निभाने को तैयार हैं।

भारत मछुआरिन महासभा अपने आप में एक राजनीतिक घोषणा है, जो मछुआरिनों, नारीवादी संगठनों और एकजुटता समूहों के बीच एकजुटता पर जोर देती है। महासभा में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनमें ब्लू इकोनॉमी, महासागर हड़पना, जलवायु संकट, और खाद्य संप्रभुता शामिल हैं। इस आयोजन में राजनीतिक सम्मेलन, प्रतिनिधि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जो मछुआरा समुदाय के संघर्षों को उजागर करेंगे।

यह महासभा नवंबर 2024 में ब्राजील में होने वाली विश्व मछुआरा मंच (WFFP) 8वीं महासभा का भी अग्रदूत है, जहाँ चार भारतीय महिला नेता भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। इस वैश्विक महासभा में विशेष रूप से महिलाओं की एक सभा, युवा सभा और स्वदेशी समुदायों की सभा आयोजित की जाएगी।

IFA का समापन केरल की राजधानी में एक भव्य रैली के साथ होगा, जिसमें मछुआरिनों की सांस्कृतिक प्रतिरोध की भावना को मनाया जाएगा। इस महासभा का उद्देश्य देशभर से मछली व्यवसायी महिलाओं, शिक्षाविदों और राजनीतिक नेताओं को एकजुट करना है, जिससे मछुआरा आंदोलन के लिए एक नई ऊर्जा का संचार हो सके।

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