दिल्ली में फिर इंसानियत हुई शर्मसार, इंसाफ के इंतजार में गैंगरेप पीड़िता की मौत

दिल्ली में फिर इंसानियत हुई शर्मसार, इंसाफ के इंतजार में गैंगरेप पीड़िता की मौत
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देश की राजधानी दिल्ली से 1 मई को सामूहिक बलात्कार की दिल दहला देने वाली घटना सामने आयी है, जहां 45 वर्षीय गैंगरेप पीड़िता को दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के आईसीयू में छह दिनों के बाद रविवार को मृत घोषित कर दिया. इस मामले को पुलिस और अस्पताल द्वारा बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया गया था.

पीड़ित परिवार के सदस्यों ने इस घटना की तुलना 'निर्भया केस' से की है, हालांकि इसे वैसा कवरेज और समर्थन नहीं मिला। न्याय मिलने के इंतजार में पीड़िता ने दम तोड़ दिया।

पीड़िता दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में पेशेंट केयरटेकर थी, जहां वह पिछले 15-16 साल से काम कर रही थी. द मूकनायक से बात करते हुए मृतका के भाई ने बताया कि, वह दोपहर 1 बजे से रात 10 बजे तक काम करती थीं. उनके पति के गुजर जाने के बाद, वह परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य थी, उनके चार बच्चे हैं. सबसे बड़े बच्चे की उम्र करीब 17-19 साल है, जबकि अन्य तीन छोटे हैं.

'प्राइवेट पार्ट में डाली रॉड'

मृतका के बेटे के अनुसार वह 1 मई की रात को अपनी शिफ्ट खत्म करके अस्पताल से घर लौट रहीं थी, तभी कुछ लोगों ने उनका अपहरण कर लिया. उन्होंने उसे किसी वस्तु से मारा, जिससे वह बेहोश हो गईं. उसके बाद उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया. दरिंदों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी और उनके प्राइवेट पार्ट में रॉड जैसी वस्तु डाली, जिसने उनकी आंतों को तक चीर दिया.

पीड़ित परिवार को अगली सुबह पुलिस का फोन आया और उन्हें लोक नायक अस्पताल बुलाया गया. उन्हें बताया गया कि यह एक दुर्घटना का मामला है. जब पीड़िता के परिजन पहुंचे तो शुरुआत में उन्हें उससे मिलने नहीं दिया गया. बाद में जब पीड़िता को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया तो उसके बेटे को कुछ देर के लिए उससे मिलने दिया गया. अपनी अर्धचेतन अवस्था में, उसने बताया किया कि अपराधी भी जीबी पंत अस्पताल में एक कर्मचारी था और वह उसे अच्छी तरह से जानती थी. वह उसके साथ छेड़छाड़ कर रहा था, और वह आगे कुछ नहीं कह सकी.

पीड़िता की सर्जरी के बाद हालत नाजुक थी. परिवार के सदस्यों को मिलने नहीं दिया जाता था. लोक नायक अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़िता के बेटे को बताया कि मारपीट के कारण उसके गुप्तांग पूरी तरह से ज़ख्मी हो गए हैं.

परिजन का दावा- दिल्ली पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई

पीड़िता के बेटे ने बताया कि, "मैं अपने 5 दोस्तों के साथ मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन गया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने मुझे धमकी दी और मेरे दोस्तों को स्टेशन से बाहर जाने के लिए कहा, नहीं तो वे उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे," पीड़िता के बेटे ने यह भी दावा किया कि मामले का संज्ञान लेने के लिए पुलिस पर दबाव बनाने के कई प्रयासों के बाद, पुलिस अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा किया, लेकिन अभी तक मामले में कोई बयान दर्ज नहीं किया है.

द मूकनायक ने उत्तर प्रदेश में रहने वाली पीड़िता की बहन से बातचीत की जिसमें उन्होंने बताया कि "हमारे परिवार के सदस्य कई बार पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए गए लेकिन पुलिस द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई."

पीड़िता की छोटी बहन ने कहा, "हमने सुना है कि 02 मई को उनका निधन हो गया था, लेकिन उन्हें आईसीयू में रखा गया था और किसी को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं थी."

दिल्ली में रहने वाली पीड़िता की बड़ी बहन ने द मूकनायक से कहा कि हमें सिर्फ़ न्याय चाहिए. "हमने अपने परिवार के सदस्य को खो दिया है लेकिन अब हम उनके लिए न्याय चाहते हैं, पुलिस को शुरू से ही इस मामले में सहानुभूति रखनी चाहिए थी लेकिन वे हमें धमकी दे रहे थे."

मामला आईपी एस्टेट थाना क्षेत्र का है. द मूकनायक ने फोन पर आईपी एस्टेट पुलिस स्टेशन के एसएचओ से संपर्क किया और मामले पर अपडेट मांगा, जिस पर उन्होंने जवाब दिया, "एफआईआर दर्ज की गई है और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है." इसके बाद उनसे पूछा गया कि परिवार को एफआईआर की कॉपी क्यों नहीं दी गई और उन्हें गिरफ्तार व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं है जिसके बाद फोन लाइन कट गई. द मूकनायक ने फिर से आईपी एस्टेट एसएचओ से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह आगे कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए.

सूत्रों के मुताबिक मुख्य अपराधी जीबी पंत अस्पताल में एक कर्मचारी है जोकि पैसों से काफ़ी प्रभावशाली व्यक्ति है, यही कारण है कि इस मामले को गम्भीरता से नहीं लिया गया.

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