दिल्ली अब किसी भी लिहाज से महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं बन सकती। कितनी बार दिल्ली में ऐसी वारदातें हुईं हैं जिनसे दिल सहम जाता है, और यह सभी वारदातें महिलाओं के साथ ही देखी गईं हैं। ताजा मामले में, गीता कॉलोनी में एक फ्लाइओवर के पास महिला की लाश के टुकड़े मिले हैं। बुधवार सुबह आई सूचना से चर्चित श्रद्धा हत्याकांड की यादें ताजा हो गईं। पुलिस ने लाश के कई टुकड़े मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है। मौके पर फोरेंसिक टीम पहुंच गई है। इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, उन्हें सुबह 9:15 बजे सूचना दी गई कि फ्लाइओवर के पास कुछ मानव अंग पड़े हैं। अंगों को कई जगह बिखेरा गया था। अभी तक महिला की पहचान नहीं हो सकी है। इस मामले की पुष्टि करते हुए डीसीपी नॉर्थ सागर सिंह कलसी ने बताया कि जमुना खादर इलाके में दो टुकड़ों में कटी हुई बॉडी मिली है। मौके पर एफएसएल और क्राइम टीम पहुंचकर छानबीन कर रही है। शुरुआती दौर में लग रहा है कि मृतक की उम्र 35 से 40 साल के बीच में होगी। कोतवाली थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया है। आसपास के इलाकों में भी छानबीन की जा रही है।
पिछले सप्ताह पुलिस को सफदरजंग अस्पताल के पीछे जंगल में एक सड़ी-गली लाश मिली थी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था। अभी यह भी पता नहीं चल सका है कि शव महिला का है या पुरुष का है। पुलिस 174 सीआरपीसी के तहत मामला दर्ज शव की पहचान करने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा था कि शव करीब 15 दिन पुराना है और शव के ऊपर नमक डाला गया था, जिससे उसकी पहचान भी नहीं हो पा रही है।
बता दें कि 18 मार्च 2023 को गीता कॉलोनी अंडरपास इलाके से एक विदेशी लड़की का शव बरामद होने के बाद हड़कंप मच गया था। लड़की का शव इतना सड़ गया था कि उसे पहचानना भी मुश्किल था। मई 2023 में दिल्ली के महरौली में श्रद्धा के शव टुकड़ों में मिले थे। श्रद्धा के प्रेमी आफताब ने 18 मई को उसकी गला दबाकर हत्या कर दी थी। श्रद्धा की हत्या के बाद उसने शव के 35 टुकड़े कर वसंत कुंज के जंगलों में फेंक दिए थे। इसी तरह से एक लड़की की हत्या का मामला और आया था। इस घटना में साहिल गहलोत ने अपनी लिव इन पार्टनर निक्की यादव की हत्या कर दी थी। इस मामले में चौंकाने वाली यह थी कि हत्यारोपी साहिल ने निक्की की हत्या करने के लगभग 12 घंटे बाद दूसरी लड़की से शादी कर ली थी।
दिल्ली के कंझावला में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था। 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरमियानी रात को एक्सीडेंट के बाद एक युवती गाड़ी के नीचे फंस गई और 7-8 किलोमीटर तक घिसटती चली गई थी। इस घटना में युवती की मौत हो गई। उसके शरीर से सभी कपड़े फट कर उतर गए थे। बाद में युवती की लाश नग्न अवस्था में पाई गई। जिसपर सुनवाई के बाद पांचों आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेज दिया था।
अपराध का लेख-जोखा रखने वाली संस्था राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेशों में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की उच्चतम दर दिल्ली में दर्ज की गई थी। पिछले तीन सालों में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा के मामलों की संख्या साल 2019 में 13,395 से बढ़कर 2021 में 14,277 हो गई। इतना ही नहीं एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सभी 19 महानगरों की श्रेणी में कुल अपराधों का 32.20 फीसदी हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में हर दिन दिल्ली में औसतन दो लड़कियों से बलात्कार हुआ। ऐसे में साफ है कि महिला सुरक्षा के मामले में भारत की राजधानी दिल्ली की कोई अच्छी छवि नहीं है।
वैसे पूरे देश में ही महिला सुरक्षा का बेड़ागर्क है। हमारे पास अभी तक महिलाओं की हत्या के आंकड़े तक सही नहीं हैं। श्रद्धा वालकर की हत्या हो या गाड़ी से कई किलोमीटर तक घसीटकर दर्दनाक मौत या ऐसे ही दूसरे मामले, भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या इतनी विकराल हो चुकी है कि उसके अलग-अलग पहलुओं को समझने की सख्त जरूरत है। एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट में पुलिस द्वारा दर्ज हत्याओं के कारण तो जारी किए जाते हैं, लेकिन यह कहीं स्पष्ट नहीं किया जाता कि महिलाओं को खासतौर पर क्यों मारा गया। इसके अलावा कत्ल कर दी गईं महिलाओं की संख्या रिपोर्ट में दर्ज कुल हत्याओं के आंकड़ों से भी मेल नहीं खाती है। बलात्कार के बाद हत्या, दहेज के कारण हत्या और आत्महत्याओं की संख्या ही कुल हत्याओं से ज्यादा निकलती है। इसकी वजह वे श्रेणियां हैं, जिनमें एक से ज्यादा अपराधों के मामलों को दर्ज किया जाता है और आंकड़े जमा करने के लिए रिपोर्ट में श्रेणियां हर बार बदल दी जाती हैं। इसलिए इस साल के आंकड़ों की पिछले साल से तुलना ही नहीं कर सकते।
बहरहाल, अब वक्त आ गया है कि सरकार खोखले वादों से निकलकर जमीनी तौर पर महिलाओं के सशक्तिकरण की ओर ध्यान दे। सड़कों को महिलाओं के लिए बेखौफ बनाएं और पुलिस को ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए संवेदनशील बनाए। क्योंकि ज्यादातर मामलों में पुलिस के असंवेदनशील रवैए और लापरवाही की खबरें ही सुर्खियों में रहती हैं। इसके साथ ही इन मामलों को राजनीतिक हस्तक्षेप या प्रभाव से दूर रखें, इसकी वजह है कि बीते कई मामलों में सत्ता पक्ष के लोगों का कनेक्शन सुनने और देखने को मिला है, जो बहुत हद तक केस में अलग प्रभाव रखते हैं।
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