नई दिल्ली. आधुनिकता की कितनी ही बातें कर लें, महिला सशक्तिकरण के चाहे जितने नारे लगा लें लेकिन गौर से देखा जाए तो भारतीय समाज में आज भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर ही आंका जाता है और शायद यही वजह है कि घरेलू हिंसा के मामले कम ही नहीं हो रहे हैं। खासकर देश की राजधानी दिल्ली में ऐसे मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी हैं।
लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायत के लिए उपलब्ध दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन नंबर 181 को पिछले 7 सालों में 40 लाख कॉल्स मिली हैं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने हाल ही हेल्पलाइन पर एक रिपोर्ट जारी किया। मालीवाल ने बताया कि पिछले साल जुलाई 2022 से जून 2023 में 181 हेल्पलाइन पर 6 लाख 30000 से ज्यादा कॉल्स मिली।
जारी डेटा के मुताबिक दिल्ली में बड़ी तादाद में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं। महिला हेल्पलाइन 181 में 1 साल में सबसे ज्यादा 38342 शिकायत घरेलू हिंसा की आईं। यानी हर दिन करीब 115 मामले सामने आते हैं जिसमें कोई महिला या लड़की को उंसके अपने ही प्रताड़ित करते हैं। दिल्ली में इस प्रकार की शिकायत सबसे ज्यादा कल्याणपुरी, बुराड़ी, बसवा डेरी, गोविंदपुरी और नरेला जैसे इलाकों से मिली है। आयोग की चेयरपर्सन स्वामी मालीवाल कहती है कि कई साल से देख रहे हैं कि सबसे ज्यादा शिकायतें घरेलू हिंसा की आती है , लड़कियों संग रिश्तेदार द्वारा मारपीट की शिकायतें मिलती हैं।
इसके बाद महिलाओं की ओर से पड़ोसियों के साथ संघर्ष और विवाद की शिकायतें रही हैं। इस मामले में 9,516 मामले सामने आए. इसके बाद रेप और यौन उत्पीड़न के 5,895, POCSO के 3,647, अपहरण के 4,229 और साइबर क्राइम से जुड़े 3,558 मामले दर्ज किए गए।
गुमशुदगी के सबसे अधिक मामले नरेला से- महिला आयोग को अपनी 181 हेल्पलाइन पर 1,552 मामले गुमशुदगी से जुड़ी शिकायतें प्राप्त हुई। पिछले साल दर्ज आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि महिला आयोग को नरेला क्षेत्र से सबसे अधिक 2,976 शिकायतें मिलीं, फिर भलस्वा डेयरी से 1,651 और बुराड़ी से 1,523 शिकायतें आईं।
राजधानी दिल्ली के शीर्ष 3 क्षेत्र जहां से रेप और यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले हेल्पलाइन पर दर्ज कराए गए हैं उसमें बुराड़ी सबसे आगे है। बुराड़ी में रेप से जुड़े 175 मामले, नरेला से 167 और गोविंदपुरी से 105 मामले सामने आए. POCSO से जुड़े मामलों में नरेला से 141 और भलस्वा डेयरी से 91 से दर्ज कराए गए। इसी तरह नरेला में अपहरण के सबसे ज्यादा 209 मामले सामने आए. नरेला के बाद भलस्वा डेरी से 106, बुराड़ी से 75, बवाना से 71 और संगम विहार से 63 मामले सामने आए।
घरेलू हिंसा की सबसे अधिक शिकायतें कल्याणपुरी से 769 और बुराड़ी में 709 से की गई। आयोग को घरेलू हिंसा की सबसे अधिक मामले जुलाई 2022 में (10,442 केस) और सबसे कम मामले जनवरी 2023 में (3894 केस) दर्ज कराए गए।
महिला हेल्पलाइन नंबर पर फोन कॉल्स 41.5% यानी (38,140) मामले 21-31 उम्र की महिलाओं से आए हैं। 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 4% (3,735) मामले प्राप्त हुए हैं, जिनमें 90 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के 40 मामले शामिल हैं।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल बताती हैं, हेल्पलाइन के पीछे ग्राउंड टीम होती है।
अगर कोई महिला कॉल करती है कि उसे उसके घर में बंद कर दिया गया है तो तुरंत हमारी टीम वहां जाकर उसे रेस्क्यू करती है।
अगर कोई लड़की कहती हैं कि उसे पति ने पीटा है, तो हम उसके साथ पुलिस थाने जाकर FIR दर्ज करवाते हैं।
कई बार महिला सिर्फ सुझाव लेना चाहती है कि वह क्या कानूनी कदम उठा सकती हैं।
जरूरतमंद महिलाओं को फ्री लीगल सपोर्ट भी देते हैं, उन्हें वकील दिया जाता है।
हेल्पलाइन के अलावा ईमेल, सोशल मीडिया, महिला पंचायत शिकायतें मिलती हैं।
डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, “पिछले सात वर्षों में, हमें 40 लाख कॉल प्राप्त हुए हैं और एक वर्ष में हमने 181 हेल्पलाइन पर 6.3 लाख से अधिक कॉलों को पूरा किया और इन कॉलों के आधार पर 92,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। आयोग सदैव 181 हेल्पलाइन के माध्यम से संकटग्रस्त महिलाओं एवं लड़कियों की मदद करने का प्रयास करता है। हम यह रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को भेजेंगे और राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर नियंत्रण में उनका सहयोग मांगेंगे।”
महिलाओं के साथ बढ़ते इन अपराधों को लेकर द मूकनायक ने बीना पल्लिकल से बात की। बीना दलित मानवाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान की महासचिव है।
बीना बताती हैं कि हमारा समाज ही ऐसा बना हुआ है कि महिलाओं को यहां खुलकर जीने का कोई अधिकार नहीं है। उनके फर्ज है- रसोई में काम करना, बच्चे संभालना, घर के काम चुपचाप करना, अन्याय सहना आदि। उनको यह समाज कभी आगे बढ़ने ही नहीं दे सकता। आज जहां महिलाएं देश के हर वर्ग में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। फिर भी उनका कम ही समझा जाता है। घरेलू हिंसा तो महिलाएं ही रोक सकती हैं। उनको यह बताना होगा, सामने आना होगा। क्योंकि रूढ़िवादी कुछ धारणाएं बदलने को तैयार ही नहीं है। घरों में पति ही सब कुछ है। पत्नी चाहे बाहर जाकर काम करें या घर का काम करें। उनकी नजरों में उसकी कोई इज्जत ही नहीं होती। उसको घर और बाहर दोनों चीजों को संभालना ही पड़ेगा। पति चाहे छोटी-छोटी बातों को लेकर आपको मारे पीटे। तब भी आपको उसके साथ ही रहना पड़ेगा। क्योंकि पहले से ही ऐसा होता आ रहा है"।
आगे कहती हैं "गलती से अगर कोई महिला अपने आप पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ बोल भी गई तो तुरंत उसे घर से बाहर निकाल देते हैं। या घर में बंद कर देते हैं। कुछ महिलाओं को इसी चीज का डर रहता है, कि अगर वह घर से बाहर निकल जाती है तो उनका क्या होगा ? बच्चे भी उनकी बहुत बड़ी कमजोरी होती है। क्योंकि वह बच्चों को छोड़ना नहीं चाहती इसलिए सब कुछ चुपचाप होकर सहती रहती हैं। घर में कुछ महिलाएं या और भी कुछ लोग उनका साथ नहीं देते बल्कि उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों में भागीदारी का काम करते हैं। यहां औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है"।
बीना कहती हैं कि "महिलाओं को बचपन से ही यही सिखाया जाता है, कि यह मत करो, वह मत करो। यहां मत जाओ, वहां मत जाओ। और लड़कों को कुछ भी करने की इजाजत होती है। जबकि लड़कों को हमेशा लड़कियों की इज्जत करना सीखना चाहिए। घर में जब तक समानता की बात नहीं होगी तब तक ऐसा ही माहौल बना रहेगा"।
बीना कहती है कि स्कूलों में सेक्स शिक्षा दी जानी चाहिए। आप बाहर देशों के स्कूलों में देखें वहां पर सेक्स की शिक्षा दी जाती है। हमारे देश में भी ऐसा ही होना चाहिए, क्योंकि लड़कियों का पता चले कि शोषण क्या होता है। और छोटे स्कूल में बच्चों को गलत और सही छुने की शिक्षा भी दी जानी चाहिए। जिससे वह बचपन से ही गलत और सही को समझ सके। और लड़कों को लड़कियों की इज्जत करना बचपन से ही सिखाएं।
आगे वह कहती है कि "यह आंकड़े तो बहुत कम है कितने मामले है, जो दर्ज होते ही नहीं है। पता नहीं कितनी महिलाएं अभी तक इन सारी चीजों को सहन कर रही हैं। इसके लिए थोड़े और सख्त कानून लाने की जरूरत है''।
181 टोल फ्री नंबर पर 24X7 कॉल की जा सकती है।
महिला से हिंसा, अपराध समेत भेदभाव के हर मामले की शिकायत इस हेल्पलाइन में की जा सकती हैं।
महिलाओं के अधिकारों के हनन के मामले में भी दिल्ली महिला आयोग से संपर्क कर सकते हैं।
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