भोपाल। मध्य प्रदेश में दुष्कर्म पीड़िता को मेडिकल परीक्षण कराने के लिए अस्पताल के दो दिनों तक चक्कर लगाने पड़े। पीड़ित किशोरी को हुई परेशानी के साथ ही देरी से हुई मेडिकल जांच के मामले में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने कार्रवाई करते हुए सीएमएचओ सागर को नोटिस भेजा है। बाल आयोग ने पूछा है कि महिला डॉक्टर होने के बावजूद भी पीड़िता को परेशान क्यों किया गया? आयोग ने सात दिन के भीतर सीएमएचओ से जवाब मांगा है।
दरअसल सागर जिले के बीना के सिविल अस्पताल में चार महिला डॉक्टरों के होने के बाद भी दुष्कर्म पीड़ित किशोरी को मेडिकल परीक्षण के लिए बीना और खुरई सिविल अस्पताल में परेशान होना पड़ा। पीड़िता का समय पर मेडिकल परीक्षण नहीं हो पाने के कारण मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है।
बीना थाना क्षेत्र की रहने वाली 16 वर्षीय किशोरी 13 जून को अपने घर से लापता हो गई थी। साइबर सेल की मदद से पुलिस किशोरी को गुजरात के कच्छ से लेकर अपने साथ बीना लेकर पहुंची। यहां किशोरी ने अपने बयानों में बताया कि उसके साथ यौन शोषण हुआ है। न्यायालय के आदेश पर पुलिस बुधवार की रात एमएलसी कराने किशोरी को लेकर सिविल अस्पताल पहुंची, लेकिन ड्यूटी पर महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण पुलिस को गुरुवार सुबह ओपीडी में आने को कहा गया। गुरुवार की सुबह जब पुलिस किशोरी को लेकर फिर अस्पताल पहुंची, तो ड्यूटी पर उपस्थित महिला चिकित्सक डॉ. सेवी जैन और डॉ. रिचा राय ने खुद का अनुभव नहीं होने की बात कर एमएलसी जांच करने से मना कर दिया। इसके अलावा महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू कैथोरिया ने क्लास वन अधिकारी होने का हवाला देकर एमएलसी करने से मना कर दिया। किशोरी को मेडिकल परीक्षण के लिए खुरई भेज दिया।
पुलिस के मुताबिक दुष्कर्म से पीड़ित किशोरी का बीना सिविल अस्पताल में मेडिकल परीक्षण नहीं हुआ, तब पुलिस की टीम किशोरी को लेकर खुरई सिविल अस्पताल पहुंची। यहां पर भी मेडिकल परीक्षण नहीं हुआ। खुरई की सिविल अस्पताल में भी ड्यूटी पर महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण पुलिस किशोरी को लेकर वापस बीना सिविल अस्पताल आ गई। बाद में पुलिस अधिकारियों के प्रयास के बाद खुरई सिविल अस्पताल में महिला डॉक्टर को बुलाकर मेडिकल परीक्षण कराया गया जिसके लिए बीना पुलिस को किशोरी को दूसरी बार खुरई के अस्पताल लेकर जाना पड़ा।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि हमें यह जानकारी मिली थी कि बलात्कार से पीड़ित एक किशोरी का समय पर मेडिकल परीक्षण नहीं हो पाया और पीड़िता को अस्पताल प्रबंधन के कारण इधर से उधर भटकना पड़ा है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने बताया कि हमने तुरंत मामले को संज्ञान में लेकर सीएमएचओ डॉ. ममता तिमोरी को नोटिस जारी कर मामले की पूरी जानकारी मांगी है। जांच प्रतिवेदन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बीना के थाना प्रभारी कमल निगवाल ने बताया कि किशोरी को गुजरात के कच्छ से लाया गया था। इसके साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था। पीड़िता की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म, अपहरण एवं पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। आरोपी फिलहाल जेल में है।
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल की फॉरेन्सिक विभाग अध्यक्ष डॉ. अरनीता अरोरा ने द मूकनायक से बातचीत में बताया की दुष्कर्म के मामलों में घटना से 72 घण्टों के बीच जांच होना आवश्यक होता है। इस समय में मजबूत साक्ष्य के लिए सेल्स, टिशू का कलेक्शन आसानी से हो जाता है। इसके बाद लैब जांच में पुष्टि की जाती है। डीएनए रिपोर्ट या अन्य जांच में भी यह उपयोगी साबित होती है। इसके साथ शरीर की अन्य छोटी-मोटी चोटें भी एमएलसी में शामिल होती है। जो हील होने से पहले रिपोर्ट में शामिल हो सकती हैं।
मध्य प्रदेश नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के मामले में नंबर वन पर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2021 की रिपोर्ट में देश में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के 33036 तो मध्य प्रदेश में 3515 मामले दर्ज हुए। जबकि कुल ज्यादती के मामलों में 6462 एमपी में ही हुए। रिपोर्ट के मुताबिक हर तीन घंटे में एक बच्ची से दुष्कर्म हुआ। साल 2020 में भी यही स्थिति थी। तब 5598 दुष्कर्म के केस दर्ज हुए थे, इनमें 3259 नाबालिग बच्चियों के थे। साल 2020 में भी एमपी देश में नंबर वन था।
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