नई दिल्ली। दिल्ली के रोहिणी में हुई 16 साल की लड़की की क्रूरता से हत्या का CCTV वीडियो वायरल होते ही पूरी दिल्ली में हड़कंप मच गया। मीडिया से ले कर सोशल मीडिया तक टिप्पणियों का दौर शुरू हुआ तो लड़की के घर नेताओं की कतार भी लग गई। लेकिन हत्या का यह वीडियो आम नहीं था, वह बता रहा था की 28 मई की रात न सिर्फ एक लड़की की हत्या हुई बल्कि उस रात लोगों में भीतर की "मानवीयता" की भी मानो किसी ने हत्या कर दी हो। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक लड़का एक लड़की पर चाकू से हमला कर रहा है और आसपास से गुजरते लोग उन दोनों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते हुए जा रहे हैं। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट बताती है की लड़की के शरीर पर लगभग चाकू के 20 घाव थे और सर में कई चोटें थीं। हमलावर का नाम साहिल बताया जा रहा है, जिसे पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है।
जिस इलाके में लड़की की हत्या हुई वह लड़की के घर से बहुत दूर नहीं था। जिस तरह रात में लोगों ने लड़की पर हमला होते देखा और तमाशबीन बने रहे वैसी ही भीड़ अगले दिन भी दिखाई दी। गुड़िया (बदला हुआ नाम) जिस इलाके में रहती है वहां तक पहुंचना ही जद्दोजहद भरा काम था। पीड़ित परिवार के घर तक जाने वाली गली संकरी थी। एक ओर से एक व्यक्ति ही एक बार में निकल सकता था और सड़क तो 2KM पहले ही रास्ते का साथ छोड़ चुकी थी। ऐसी गली में भी पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी। स्थानीय लोगों की भीड़ तो थी ही पर मीडिया के कैमरे, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या इतनी थी की इलाका छावनी से कम नहीं लग रहा था। एक के बाद एक नेता आ रहे थे, 10 मिनट पीड़ित परिवार से बात कर 20 मिनट मीडिया को फुटेज दे रहे थे, अपने-अपने आश्वासन भी गिनवा रहे थे। एक नेता दूसरे नेता पर सवाल भी दाग रहे थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री और केंद्र तक की राजनीति से जुड़ी बातें की जा रहीं थी। पर उस रात और अगली दोपहर में एक बात समान थी, तमाशबीनों की कमी तब भी नहीं थी और अब भी नहीं है। मानो पूरी दिल्ली ही मौन होकर बड़े-से-बड़े घटना को अनदेखा करते हुए गुजर जाना चाहती हो।
मीडिया की कवरेज में एक बात लगातार बनी हुई थी जो कि आज कल हर कवरेज में दिखाई देती ही है, एक "मसालेदार" एंगल की तलाश। गुड़िया के घर के बाहर मीडिया का जमावड़ा था। हर कोई परिवार की एक बाईट लेने का इंतज़ार कर रहा था। बड़े चैनलों के बड़े-बड़े कमरे और बड़े पत्रकार, बस एक टीन की छत वाले घर के नीले दरवाज़े से किसी के बहार आने का इंतजार कर रहे थे। हर बीतते मिनट के साथ मीडिया वालों की तादाद बढ़ती जा रही थी। पुलिस से हो रही शांत बातचीत अब बहस में बदल गई और इस ही बीच एक बड़े चैनल के पत्रकार ने कहा "आप (दिल्ली पुलिस) नेताओं को अंदर जाने दे रहे हैं तो मीडिया को क्यों नहीं?" इतना कहने की देर थी की सभी के कैमरे एक साथ ऑन हुए और दिल्ली पुलिस पर इल्ज़ामीरोपर्टिंग शुरू हुई, कि वे मीडिया को परिवार से मिलने नहीं दे रहे हैं। कौन पहले जाएगा इस बहस को शुरू होने में भी समय नहीं लगा। भीड़ ने तुरंत अपना नेता भी चुन लिया वे थीं मौजूद सब से बड़े चैनल की रिपोर्टर। असल में परिवार मीडिया से मिलना ही नहीं चाहता था, पर मजबूरन गुड़िया के पिता को शोर शराबे के कारण बाहर आना पड़ा। उनका बहार आना और मीडिया का उन्हें घेर लेना, इस दृश्य का कोई उपमा दे पाना सम्भव नहीं है। हर कोई उनसे कुछ उगलवा लेना चाहता था। हेडलाइन के लिए अपने शब्द उनके मुंह में ठुसे जा रहे थे, और नोच खाने के लहजे में सवाल पूछे जा रहे थे।
गुड़िया के पिता के बहार आने से पहले गुड़िया के चचेरे भाई से द मूकनायक ने बात की। परिवार मीडिया से बात क्यों नहीं करना चाहता? इस सवाल पर वे कहते हैं कि, "हमारे चाचा चाची (गुड़िया के माता पिता) इस हालत में ही नहीं हैं कि वे बात कर सकें, चाचा सदमे में हैं जैसे तैसे कुछ बात कर पा रहे हैं और चाची की तबीयत बहुत ख़राब है।" क्या साहिल के बारे में घर में किसी को कुछ पता था? इस पर वे कहते हैं, "नहीं इस लड़के के बारे में हमने पहली बार सुना है, हम बस नीतू के बारे में जानते हैं जिसकी बेटी के जन्मदिन में गुड़िया गई थी, वहां से गुड़िया कुछ कारण दे कर निकली उसके बाद ही यह वारदात हुई।" इस पूरे मामले के साथ लव जिहाद का भी एंगल जोड़ा जा रहा है। इस बारे में भी लड़की के पिता से सवाल किए गए। इस पर उनका कहना है कि, "वे साहिल या उनकी बेटी के बीच किसी संबंध के बारे में नहीं जानते थे, यह पहली बार है कि वे साहिल का नाम सुन रहे हैं, उसकी बेटी ने भी उन्हें या अपनी माँ को साहिल के बारे में कुछ नहीं बताया।" ऐसी बातें भी की जा रहीं है कि साहिल अपना नाम बदल कर राहुल नाम से इलाके में रह रहा था। हालांकि, इस बात की पुष्टि नहीं की गई है।
साहिल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। रात भर चली पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस ने बताया की साहिल को उसके किए का कोई पछतावा नहीं है। उसका कहना है कि गुड़िया ने उसे धोखा दिया था। वे रिलेशनशिप में थे लेकिन गुड़िया और लड़कों से भी बात करती थी। साहिल 20 साल का है और गुड़िया 16 साल की थी। उसने अभी-अभी 10वीं पास की थी साथ ही वह छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ती थी। दिल्ली के जिस इलाके में सड़क और पानी की लाइन न पहुंची हो वहां तक अमानवीयता का पहुंचना आसान हो गया। वहां से लौटते वक्त स्थानीय लोगों ने चेताया "अँधेरा होने से पहले मुख्य सड़क तक पहुँच जाइएगा"। यह सोचने वाली बात थी हम देश की राजधानी में हैं और ऐसी चिंताओं का ध्यान रखना पड़ रहा था। हम तो मुख्य सड़क तक पहुंच जाएंगे पर उनका क्या जिन्हें हर रात उस मुख्य सड़क से 2 KM दूर बितानी है। पौरूष के दंभ में चूर एक पुरुष कितना खतरनाक हो सकता है इसका यह एक और उदाहरण है। लेकिन यह कारण नहीं बनना चाहिए हमारी बेटियों पर लगने वाली एक और बंदिश का।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है, कि बेटी के अंतिम संस्कार के लिए कर्ज मांगना पड़ा. बेटी के अंतिम संस्कार के बाद जब परिवार शमशान घाट से निकलने लगा तो परिसर में काम करने वाले कर्मचारी ने अपनी फीस के तौर पर 3500 मांगी, लेकिन पीड़ित पिता इसे देने में समर्थ नहीं थे। उन्होंने हाथ जोड़कर रुपए कम करने को कहा, इस पर आसपास के लोगों ने कुछ पैसे इकट्ठे किए, इस पर वहां खड़े पुलिसकर्मियों ने भी कर्मचारियों से कुछ कम रुपए लेने की बात कही। जिसके बाद शमशान घाट के केयरटेकर ने 3000 रुपये ले लिए। पीड़ित पिता ने बताया कि यह 3000 रुपये भी उन्होंने आस पड़ोस और रिश्तेदारों से कर्ज के तौर पर लिए थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोपी युवक साहिल को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी को बुलंदशहर से गिरफ्तार किया गया है। नाबालिक लड़की की हत्या के मामले में दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने एसएचओ शाहबाद डेरी को नोटिस भेजकर एफआईआर की कॉपी और कार्रवाई की रिपोर्ट 31 मई तक शाम 4 बजे तक मांगी है। स्वाति मालीवाल ने कहा है कि, "एक मासूम नाबालिग को चाकू से गोद-गोद कर मारा गया है और उसके बाद पत्थर से कुचल दिया गया। दिल्ली में दरिंदों के हौसले बुलंद हैं। सभी हदें पार हो गई हैं। आयोग ने पुलिस से कहा है, कि अगर लड़की या उसके परिवार ने धमकी मिलने की कोई शिकायत पुलिस को मिली थी तो ऐसी हर शिकायत और उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी भी आयोग को दी जाए।"
राष्ट्रीय महिला आयाेग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि तीन सदस्यों की समिति का गठन किया गया है, जो मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेगी और साक्षी के स्वजन से मुलाकात करेगी। समिति के सदस्य जांचकर्ता पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने हत्याकांड के बाद दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को घेर लिया है. उन्होंने लिखा, "दिल्ली में खुलेआम एक नाबालिग बच्ची की बेरहमी से हत्या कर दी जाती है। ये बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। अपराधी बेखौफ हो गए हैं, पुलिस का कोई डर ही नहीं है। LG साहब, कानून व्यवस्था आपकी ज़िम्मेदारी है, कुछ कीजिए। दिल्ली के लोगों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।"
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी पाठक ने कहा जिस समय लड़की को मारा जा रहा था अगर वहां मौजूद लोग थोड़ी हिम्मत दिखाकर आरोपी का विरोध करते तो शायद उसकी जान को भी बचाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लड़की को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर इस तरह बर्बरता होते देखें तो जरूर उन्हें मामले में दखल देना चाहिए, कम से कम शोर ही मचा देते ताकि लोग इकट्ठे हो जाते और आरोपी डर के कारण पीछे हट जाता।
द मूकनायक ने श्रुति यादव, आरसीआई प्रमाणिक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से बात की, जो क्रोध प्रबंधन, घरेलु हिंसा, आपस टक्कर और स्वभाव एवं व्यक्तित्व की अन्य समस्याओं लिए काम करती हैं। श्रुति यादव ने परवरिश, आत्मा छवि और मानसिकता के विकास से संबंध विषयों का भी अध्ययन किया है। श्रुति हमें बताती हैं कि, "हमारे समाज में पहले से ही माइंड-सेट है कि लड़कों को कभी नहीं सिखाएंगे की लड़की की हमेशा इज्जत करनी चाहिए और उन्हें प्यार से रखना चाहिए। हमेशा ही लड़कों को यही सिखाया जाता है कि लड़कियां कमजोर होती हैं और उनको मारा पीटा जा सकता है। और लड़कियों को सिर्फ यह सिखाया जाता है कि अपनी परेशानियों और बातों को सिर्फ अपने तक रखो। चाहे कुछ भी झेलो लेकिन पर चुप रहो।"
आगे वह कहती हैं कि, "अगर कोई लड़का गुस्से में आकर ऐसा करता है तो समझिए कि वह कहां तक परेशान हो गया कि उसने उस लड़की की दर्द में चिल्लाने और खून तक देखकर वह नहीं रुका। सोचिए उसके घर का माहौल, उसकी संगत और उसका बर्ताव भी इस फैसले के लिए जिम्मेदार होगा। मैंने जब यह वीडियो देखी तो मैं इतना परेशान हो गई कि बहुत देर तक मेरी समझ में नहीं आया कि ऐसा कोई कैसे कर सकता है। मैंने यह बात भी देखी कि जब लड़का उस लड़की को मार रहा था तो उसके पास से कितने लोग गुजर रहे थे परंतु किसी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी। एक लड़के ने उसे रोकने की कोशिश भी की परंतु वह भी कुछ नहीं कर पाया क्योंकि वह अकेला था और यदि चार-पांच लोग मिलकर उस लड़के को रोकने की कोशिश करते तो शायद उस लड़की की जान नहीं जाती। परंतु हमारे समाज में कोई किसी का साथ नहीं देना चाहता।"
"हमें अपने बच्चों को सिखाना चाहिए, कोई भी रिश्ता जबरदस्ती या गुस्से से प्राप्त नहीं होता है। अगर कोई तुम्हारे साथ नहीं आना चाहता तो उसे जाने देना चाहिए। दिल्ली की 16 साल की लड़की को जिस वक्त मारा जा रहा था। उस वक्त 10 से ज्यादा लोग वहां से गुजरे और किसी ने नहीं रोका। कुछ महीने पहले दिल्ली के एक बहादुर पुलिसकर्मी को भीड़ के बीच एक हत्यारे ने मार दिया था। सीसीटीवी की वजह से लोगों की संवेदनहीनता बार-बार सामने आ रही है। एक समाज के तौर पर दिल्ली वाले बहुत कमजोर नजर आ रहे हैं, अपराधों को रोकने के लिए आम लोगों को ही यह सूरत बदलनी होगी", उन्होंने कहा।
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