नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA गठबंधन की सरकार भी बन गई है और मंत्रियों ने शपथ ग्रहण भी कर ली है। इसके साथ ही 17वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया है। कार्यकाल खत्म होने के साथ ही पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की उम्र में समानता लाने वाला विधेयक भी समाप्त हो गया है।
ये विधेयक दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था। इसके बाद इस विधायक को शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवाओं और खेल से संबंधित स्थायी समिति को भेजा गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कानून और संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए, पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पी डी टी आचार्य ने बताया कि 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद, 'बिल अब समाप्त हो गया है।'
इस विधेयक का उद्देश्य महिलाओं की शादी की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 साल करने के साथ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में संशोधन करना है। इसके अलावा, विधेयक किसी भी अन्य कानून,प्रथा को खत्म कर देगा।
2006 अधिनियम के तहत, न्यूनतम आयु से कम आयु में शादी करने वाला व्यक्ति एडल्ट होने के दो साल के अंदर (यानी, 20 वर्ष की आयु से पहले) विवाह रद्द करने के लिए आवेदन कर सकता है। बता दें कि इससे पहले भी समिति को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए विस्तार दिया गया था। सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने विधेयक की जांच करने और अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए पैनल को 24 जनवरी, 2024 तक तीन महीने का और अधिक समय दिया था।
द मूकनायक को महिलाओं के कल्याण के लिए काम कर रही संस्था 'परी' की योगिता बताती है कि "हम ऐसे ही संस्था से जुड़े हैं जो महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम करती है। 18 की उम्र बहुत ज्यादा नहीं होती है। लड़कियां इस उम्र में शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी परेशानी से गुजरती है। शादी जीवन भर की बात है। उसके लिए उम्र का कम होना सही नहीं है। पूरी तरह से लड़कियों की शादी की उम्र 21 ही होनी चाहिए। अगर विधेयक समाप्त हो गया है तो तुरंत इस पर काम करना चाहिए और इसको दोबारा लाने की कोशिश करनी चाहिए।"
द मूकनायक ने ख्यात समाजसेवी सुभाषिनी अली से बात की। वह बताती है कि "भाजपा अंतर जातीय व अंतरधार्मिक विवाह के बहुत खिलाफ हैं। उन्होंने सोचा कि लड़कियों की ज्यादा उम्र बताकर उनको फायदा होगा। वह लड़कों पर आरोप लगा सकते हैं कि 20 साल की लड़की नाबालिग है तो वह लड़कों के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगे। अगर 21 साल की उम्र कर दी जाएगी तो लड़की को नाबालिक साबित करना और आसान हो जाएगा। यह बहुत ही संवेदनशील मामला है।"
विधेयक पेश करने के तुरंत बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा अध्यक्ष से विधेयक को विस्तृत जांच के लिए स्थायी समिति को भेजने का अनुरोध किया था। उन्होंने सदन को बताया था कि सरकार पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता लाना चाहती है। उन्होंने कहा कि विधेयक में सभी मौजूदा कानूनों को रद्द करने का भी प्रावधान है, जो विवाह के संबंध में किसी भी रीति-रिवाज, उपयोग या प्रथा सहित सभी मौजूदा कानूनों को खत्म करने का प्रयास करता है।
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