जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के चलते गर्भवती हुई दलित युवती को 28 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दी है। अदालत ने महिला चिकित्सालय, जयपुर की अधीक्षक को निर्देश दिए हैं कि पीड़िता की सहमति के बाद उसके गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था करें।
जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश बलात्कार पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। हाईकोर्ट ने महिला चिकित्सालय जयपुर को गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। 20 साल की युवती रेप के बाद प्रेग्नेंट हो गई थी, जो अब 28 हफ्ते की गर्भवती हो गई है।
द मूकनायक को दलित अधिकार केंद्र जयपुर के निदेशक एडवोकेट सतीश कुमार ने बताया कि दलित युवती ने एफआईआर दर्ज कराई की 7 महीने से मुझे डरा धमका कर मेरा रेप किया जा रहा है। 22 अप्रैल को फिर उस आरोपी ने बुलाया, तो पीड़िता ने उसको मना कर दिया। आरोपी ने मारपीट की धमकी दी। वह डर गई और उसने अपने घर वालों को सारी बात बताई। और उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई। उसके बाद जब पुलिस ने मेडिकल करवाया तो पता चला कि पीड़िता गर्भवती है। उसने एससी/एसटी एक्ट में याचिका डाली कि वह अनचाही गर्भवती है और उसकी इस गर्भ को नहीं रखना है और उसे अबॉर्शन की परमिशन दी जाए।
पीड़िता की याचिका डालने से पहले हमको पता चल गया था। हम इस केस की सारी जानकारी लेकर उसके पास पहुंचे। मैंने उनको बोला कि लोअर कोर्ट कुछ नहीं करेगा। इसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ही कुछ कर सकते हैं। हाई कोर्ट में यह मामला गया। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले में मेडिकल बोर्ड बैठाया। उसमें बताया गया की भ्रूण 28 हफ्ते का हो गया है। हाई रिस्क के तौर पर अबॉर्शन किया जा सकता है।
फिर हमने अपनी याचिका में डाला कि यह अबॉर्शन होना जरूरी है क्योंकि यह महिला के पूरे जीवन की बात है। वह बहुत सारी कठिनाइयों से गुजर सकती है। गर्भपात अधिनियम के तहत बीस सप्ताह तक ही गर्भपात की अनुमति है। ऐसे में यदि उसे अवांछित संतान को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है तो इससे याचिकाकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने हमारी याचिका मंजूर की और आज उसका अबॉर्शन भी हो गया है।
सतीश ने आगे बताया कि हमने यह भी कहा कि यदि इस दौरान भ्रूण जीवित मिलता है तो उसकी उचित देखरेख की जाए। इसके अलावा अन्य स्थिति में साक्ष्य सुरक्षित रखने के लिए कार्रवाई की जाए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की नाबालिग को अनचाहे गर्भ को हटाने की एबॉर्शन को लेकर अनुमति दे दी है। नाबालिग की तरफ से उसके माता-पिता ने राजस्थान हाईकोर्ट में एबॉर्शन के लिए याचिका दायर की थी। जिस पर जस्टिस डॉ. नुपूर भाटी की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस डॉ. नुपूर भाटी की एकलपीठ के समक्ष अधिवक्ता हिमांशु चौधरी ने 13 साल की नाबालिग के माता- पिता की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में बताया गया था कि नाबालिग फरवरी 2024 को अचानक गायब हो गई थी। माता- पिता ने उसकी गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने किशोरी को बरामद कर लिया था।
पुलिस पूछताछ में किशोरी ने बताया कि आरोपियों ने उसके साथ बलात्कार किया, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लड़की का मेडिकल कराया, जिसमें वह 14 सप्ताह की गर्भवती थी। नाबालिग इस अनचाहे गर्भ को नहीं रखना चाहती थी। पुलिस ने उसे उप जिला अस्पताल में गर्भपात के लिए लेकर गई। चिकित्सकों ने किशोरी की जांच की। नाबालिग को एबोर्शन के लिए मेडिकली फिट माना है। किसी भी तरह का रिस्क न हो, इसलिए उसे बड़े अस्पताल में जाने की सलाह दी।
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