मध्य प्रदेश: लिव इन महिला पार्टनर की यौन उत्पीड़न की शिकायत पर तुरन्त नहीं हो सकेगी कार्यवाही

मध्य प्रदेश: लिव इन महिला पार्टनर की यौन उत्पीड़न की शिकायत पर तुरन्त नहीं हो सकेगी कार्यवाही
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पुलिस महिला शाखा ने दिए निर्देश, रेप के आंकड़ों को कम करने के लिए निकाला रास्ता।

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस ने रेप की घटनाओं को कम करने के लिए प्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए है। मध्य प्रदेश पुलिस की महिला सुरक्षा शाखा ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही या पूर्व में रह चुकी महिला अपने पार्टनर के खिलाफ सीधे बलात्कार और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराध दर्ज नहीं करवा सकेंगी।

पुलिस करेगी मध्यस्थता

लिव इन में रह रही महिलाओं की शिकायत मिलने पर पुलिस पहले दोनों के बीच में मध्यस्थता करेगी। पुलिस उसके पार्टनर का भी पक्ष सुनेगी। यह भी पता लगाएगी कि आखिर महिला क्यों ज्यादती का केस दर्ज करवाना चाहती है। महिला का पक्ष सही पाए जाने के बाद ही केस दर्ज किया जाएगा। लेकिन सीधे शिकायत के बाद मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। हालांकि, महिला शाखा के यह निर्देश केवल उन मामलों के लिए हैं, जिनमें लिव-इन पार्टनर बालिग हैं।

बढ़ते रेप के मामलों को कम करने की कोशिश

दरअसल, मध्यप्रदेश में बढ़ते रेप के आंकड़ों को देखते हुए यह निर्देश जारी किए गए हैं। एनसीआरबी आंकड़ों में भी प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती घटनाओं के आंकड़े सामने आए थे। मप्र महिला सुरक्षा शाखा ने पिछले तीन सालों के रेप केसों और उनमें सजा दर का अध्ययन किया है।

फरियादी बयान से पलट कर लेतीं है समझौता

महिला शाखा के अध्ययन में पाया गया कि अपराधियों को सजा की दर केवल 30-35 प्रतिशत ही है। जिन मामलों में अपराधी को सजा नहीं मिलती, उनमें पाया गया कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में फरियादी अपने बयान बदल देती हैं या आरोपी से समझौता कर लेती हैं। इनमें से ज्यादातर मामले वो हैं जिनमें फरियादी लिव-इन रिलेशनशिप में थीं या आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। अध्ययन में पाया गया कि साथ में रह रही महिलाओं ने उत्पीड़न के मामलों में शिकायत की और बाद में बयानों से पलट कर राजीनामा कर लिया।

यह रहा आंकड़ा

अगस्त माह में मध्यप्रदेश के सभी जिला न्यायालयों में कुल 392 मामलों में फैसला आया। इसमें केवल 99 मामलों यानी 25.26 प्रतिशत में ही सजा हुई, जबकि 293 आरोपी दोषमुक्त हुए। 10 जिले ऐसे हैं, जहां सभी मामलों में आरोपी दोषमुक्त हो गए। पुलिस हेडक्वार्टर ने जिला इकाइयों को मामलों की समीक्षा करने को कहा है, जिनमे आरोपियों को सजा नहीं मिली है।

महिलाओं से रेप के मामले में मध्यप्रदेश कई सालों से देश में अव्वल है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में कुल 6462 रेप के मामले दर्ज हुए। जिनमें से 2947 मामलों में पीड़िता की उम्र 18 से ज्यादा थी। कुल 2947 मामलों में केवल 1042 मामलों में ही अपराधी को सजा हो सकी। यानी कन्विक्शन रेट 35.35 प्रतिशत।

ऐसे होगी कार्यवाही

पुलिस महिला शाखा के निर्देश के पहले तक महिला की शिकायत मिलने पर तुरंत पुलिस ज्यादती और शोषण का मामला दर्ज कर लेती थी। पुलिस पहले केस दर्ज करती है, उसके बाद जांच करती है। लेकिन अब ऐसे मामलों में पुलिस पहले जांच कर दोनों पक्षों की बात सुनेगी। महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के अनुसार कन्विक्शन रेट का एनालिसिस करने के बाद लिव-इन के मामलों में मध्यस्थता करने का निर्देश सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को दिया है। दुष्कर्म के आरोप का कारण और पार्टनर को पक्ष सुनने के बाद ही कार्यवाही की जाएगी।

द मूकनायक ने इस मामले को लेकर भोपाल के अधिवक्ता और विधि सलाहकार मयंक सिंह से बातचीत की। उन्होंने बताया, "बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में फरियादी की शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की जाती है। लिव इन में साथ रह रहे महिला की शिकायत पर आरोपी पर आईपीसी 376 एन गैरजमानती धारा में प्रकरण पंजीबद्ध होता है।"

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