उत्तर प्रदेशः बीआरडी अस्पताल में चिकित्सकों के पद रिक्त, मरीजों को होती है परेशानी : ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेशः बीआरडी अस्पताल में चिकित्सकों के पद रिक्त, मरीजों को होती है परेशानी : ग्राउंड रिपोर्ट
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  • प्रतिदिन ओपीडी में 500 मरीज देखने की चुनौती, लोगों को इलाज के लिए लाइन में करना पड़ता है घंटों इंतजार

लखनऊ। यूपी में लखनऊ के महानगर स्थित सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीजों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है। यहां ओपीडी में लगभग 500 से अधिक मरीज इलाज कराने रोजाना पहुंच रहे हैं, जबकि चिकित्सकों की संख्या नगण्य है। इसके चलते मरीजों को अपनी बारी के लिए 2 घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है। इससे कई मरीज बिना इलाज कराए ही लौट जाते है। पढि़ए राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे की पोल खोलती ग्राउंड रिपोर्ट।

लाइन में लगे मरीज।
लाइन में लगे मरीज।

जानिए क्या है पूरा मामला

यूपी के लखनऊ में महानगर में भाऊ राव देवरस (बीआरडी) अस्पताल मौजूद है। इस अस्पताल में 24 घण्टे आपातकालीन सेवा उपलब्ध है। इस अस्पताल में वन डॉट सेंटर व जच्चा-बच्चा केंद्र भी अस्पताल में बना हुआ है। महिलाओं की प्रसव की सुविधा भी उपलब्ध है। यह अस्पताल सिविल अस्पताल के नाम से जाना जाता है। महानगर में कहीं भी कोई दुर्घटना हो जाती है तो इस अस्पताल को आपातकालीन सेवा के लिए बनाया गया है। महानगर में आने वाले सभी थाना क्षेत्रों में पहुंचने वाले अपराधियों को भी मेडिकल कराने के लिए अस्पताल में लाना पड़ता है।

अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी

भाऊराव देवरस (बीआरडी-सिविल) अस्पताल डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है। रेडियोलॉजिस्ट पिछले साल सेवानिवृत्त हो गए थे। जिसके बाद रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली है।

बीआरडी अस्पताल में फिजिशियन की कमी के कारण मरीजों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। बीआरडी अस्पताल में पुनर्नियोजन के जरिए तीन डॉक्टरों की तैनाती की गई है। नियमानुसार इन डॉक्टरों को मेडिको-लीगल से जुड़े विभिन्न कार्यों को करने के अधिकार प्राप्त नहीं है। करीब 60 बेड के इस अस्पताल में मौजूदा समय में कुल सात चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

डॉक्टर पर बढ़ जाता है काम का लोड

बीआरडी अस्पताल में दूसरे सरकारी अस्पतालों से आए डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। इस दौरान बढ़ी मरीजों की संख्या उनके शोर-शराबे से डॉक्टर परेशान हो जाते हैं। बीआरडी अस्पताल में आज दो ओपीएडी चल रही थी।

लाईन में घण्टो लगे होकर थक कर जमीन पर बैठा बुजुर्ग मरीज
लाईन में घण्टो लगे होकर थक कर जमीन पर बैठा बुजुर्ग मरीज

जिसमें से एक डॉक्टर के पास लगभग 175 नए मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे थे। इन मरीजो में 100 से अधिक मरीज वह थे जिन्हें डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण दिखाई दे रहे थे। करीब 75 मरीजों को मधुमेह,रक्तचाप एवं अन्य समस्याएं थीं। जबकि दूसरे ओपीडी में लगभग एक डॉक्टर के पास लगभग 150 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे थे। आज अस्पताल में लगभग 350 नए एवं 200 पुराने मरीज इलाज कराने पहुंचे थे।

अल्ट्रासाउंड कराने के लिए निजी जांच केंद्रों का लेना पड़ता है सहारा

बीआरडी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड का कमरा पिछले कई महीनों से बन्द पड़ा है।

अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर डॉक्टर सेवानिवृत्त हो चुके है, अतः यह सुविधा उपलब्ध नहीं चस्पा कर दिया गया है। अस्पताल में इलाज कराने आई गर्भवती महिलाओं सहित अन्य मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है।

इमरजेंसी सेवाओं में होती है दिक्कत

बीआरडी अस्पताल में 24 घन्टे आपातकालीन सेवा उपलब्ध है। किंतु डाक्टरों के अभाव के कारण यह सेवा भी कई बार बाधित होने लगती है।

सबसे ज्यादा समस्या रात में पहुँचने वाले मरीजों के लिए होती है। ट्रांस गोमती क्षेत्र में महज एक राजकीय अस्पताल होने से मरीज भारी संख्या में इस अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते है। लेकिन अस्पताल में फिजीशियन, रेडियोलॉजिस्ट, हड्डी रोग, बेहोशी के चिकित्सक नहीं होने से अल्ट्रासांउण्ड जांच होना तो दूर की बात, सामान्य मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।

क्या कहना है जिम्मेदारों का ?

इस मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी बीआरडी अस्पताल का कहना है कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस कारण अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है उसके लिए हमें खेद है। अस्पताल में डॉक्टरों का भी अभाव है। कई बार इमरजेंसी की सेवा के लिए समस्याएं आती है, लेकिन इसकी व्यवस्था आस-पास के अस्पतालों से कर ली जाती है। आशा है सरकार जल्द ही नया मेडिकल स्टाफ उपलब्ध करवाएगी।

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