उत्तर प्रदेश: तीन माह से नहीं दिया गया दलित बच्चों को पोषक आहार, दलित बच्चों के परिजनों को धक्के मारकर भगाती नजर आईं आशा बहू!

पोषक आहार लेने आए दलित बच्चों के परिजनों को धक्के मार बाहर करती नजर आईं आशा बहू!
पोषक आहार लेने आए दलित बच्चों के परिजनों को धक्के मार बाहर करती नजर आईं आशा बहू!
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दलित समाज के लोगों का आरोप अन्य जातियों को दो-दो बार दिया गया पोषक आहार, जबकि दलित बच्चों के परिजनों को नहीं बांटा। 19 मई को बच्चों के लिए पोषक आहार न मिलने पर हंगामा। आशा बहू दलित महिला को धक्के देते हुए कैमरे में हुई कैद। दलित परिवारों का आरोप— प्रधान ने पोषक आहार देने से मना किया।

उत्तर प्रदेश। बदायूं जिले के दातागंज के सुखौरा के प्राइमरी स्कूल में 19 मई को दलित बच्चो के परिजनों ने बच्चो के लिए बांटे जा रहे पोषक आहार के दौरान हंगामा खड़ा कर दिया। परिजनों का आरोप है कि, ग्राम प्रधान के कहने पर उनके बच्चों को आंगनबाड़ी में सरकार की तरफ से बंटने वाला मुफ्त राशन नहीं दिया जा रहा है। इस घटना एक वीडियों पीड़ित परिजनों ने सोशल मीडिया पर डालकर पुलिस से मदद मांगी। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुँच गई। पुलिस ने भी जांच में पाया की कुछ बच्चों को राशन नहीं मिल पाया है, जिस कारण लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया।

दलित बच्चों के परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने ग्राम प्रधान सहित दोनों पक्षों से बातचीत की। पुलिस का दावा है कि पुलिस की मौजूदगी में प्रधान ने सहमति जताते हुए अगली बार राशन वितरण के दौरान उन बच्चों को पहले राशन दिए जाने की बात कही जिन्हे अब तक राशन नहीं मिल पाया है। पुलिस ने सूझबूझ से मामले को शांत कराया। इसके साथ ही पुलिस ने पूरे मामले की जांच के बाद कार्रवाई करने की भी बात कही है। वहीं पूरे मामले में खबर लिखने तक जिलाधिकारी बदायूं से दो बार सम्पर्क किया गया, जिलाधिकारी के स्टेनो नितिन सक्सेना ने जिलाधिकारी के मीटिंग में व्य्स्त होने की बात कही।

क्या है पूरा मामला?

बदायूं जिले के दातागंज के सुखौरा के सरमेर ब्लॉक में प्राइमरी स्कूल स्थित है। प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की पुष्टा आहार योजना की तरह से हर माह सभी बच्चों को पोषक आहार का वितरण किया जाता है।

सुखौरा के रहने वाले सचिन वाल्मीकि बताते हैं कि, उनके गाँव में 30 परिवार दलित समाज के हैं। आशा बहू हिरकाली राशन बांटती हैं। वह भी दलित परिवार से ही हैं, लेकिन प्रधान ने उन्हें दलित परिवारों को राशन बांटने से मना किया है।

सचिन ने बताया कि, यदि आशा बहू हीरकली दलित परिवारों को राशन बांटती है तो ग्राम प्रधान उन्हें नौकरी से हाथ धोने की चेतावनी देता है। पिछले तीन महीने से इन 30 परिवारों को उनके बच्चों के लिए सरकार द्वारा मुफ्त भेजा गया पोषक आहार नहीं दिया गया है। जब भी दलित समाज के लोग राशन लेने गए उन्हें राशन न होने की बात कहकर बैरंग लौटा दिया गया।

आरोप है कि, सवर्ण जाति से आने वाले सभी परिवारों को पोषक आहार का राशन बांटा गया। सचिन वाल्मीकि ने बताया कि, 19 मई को भी पोषक आहार बांटा जा रहा था। इस दौरान दलित बच्चों के परिजन भी समय पर पहुँच गए, लेकिन उन्हें राशन देने से मना कर दिया गया। इस पर दलित बच्चों के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इस घटना के दौरान पीड़ित परिजनों में से एक ने घटना का वीडियो कैमरे में कैद कर लिया। प्राइमरी स्कूल में आशा बहू हीराकाली वीडियो में दलित बच्चों के परिजन को धक्का देकर बाहर करते नजर आ रही हैं।

घटना का वीडिओ वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले को संभाल

ग्रामीणों का आरोप है कि, ग्राम प्रधान ने दलित बच्चों के परिजनों को राशन देने से मना किया है। पूरे मामले का वीडियो पीड़ित परिजनों ने सोशल मीडिया पर भी डालकर पुलिस से मदद मांगी। घटना की जानकरी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँच गई और सभी को शांत कराया। दलित बच्चों के परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने ग्राम प्रधान सहित दोनों पक्षों से बातचीत की।

पुलिस का दावा है कि, पुलिस की मौजूदगी में प्रधान ने सहमति जताते हुए अगली बार राशन वितरण के दौरान उन बच्चों को पहले राशन दिए जाने की बात कही जिन्हे अब तक राशन नहीं मिल पाया है।

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