कानपुर। सीएम योगी के राज्य उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से आम आदमी के अधिकारों का हनन हुआ। इस बार भी कानून के लम्बे हाथों से आम जनता के अधिकारों को दबोचा गया। वैसे तो यूपी पुलिस को हम लाठीचार्ज करते कई बार देख चुके हैं लेकिन इस बार जो रुप दिखा वो मानवता को शर्मसार करने वाला है। अभी कुछ दिन पहले ही देश के युवा छात्रों को लखनऊ की सड़को पर पुलिस ने दौडा दौड़ कर रात को पीटा, वो भी बस इसलिए क्योंकि छात्रों ने सरकार से अपने हिस्से का रोजगार मांगने की कशिश की थी।
अब एक बार फिर से यूपी पुलिस के लाठीचार्ज का वीडियो सामने आया है और ये कानपुर देहात का वीडियो है। कानपुर देहात में यूपी पुलिस की क्रूरता का ये वीडियो देखकर मानवता शर्मसार हो जाएगी। वीडियो में दिख रहा है एक पुलिसकर्मी एक व्यक्ति पर लाठी बरसा रहा है जबकि उस व्यक्ति की गोद में बच्चा और वह रो रहा है। उस आदमी का चिल्लाना छोड़ दीजिए पुलिसकर्मी के कानों में तो इस मासूम के रोने की भी आवाज नहीं गई।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक कानपुर देहात के जिला अस्पताल के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन चल रहा था। अस्पताल के कर्मचारियों के विरोध को खत्म करने का जिम्मा पुलिस को दिया गया। दरअसल अस्पताल के कर्मचारी अस्पताल के बगल में चल रही खुदाई का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि मिट्टी उड़कर अस्पताल में आ रही है जिससे काफी दिक्कत हो रही है।
पुलिस की माने तों गुरुवार सुबह कर्मचारियों ने अस्पताल के पर्चा कक्ष, दवा वितरण काउंटर आदि पर कार्य बंद करा दिया। ओपीडी में बैठे डॉक्टर व मरीजों को चिकित्सालय से बाहर करते हुए गेट पर ताला डालकर धरने पर बैठ गए। सीएमएस की सूचना पर सीएमओ, एसडीएम सदर वागीश कुमार, सीओ अरुण कुमार, अकबरपुर कोतवाल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया। इसी दौरान वार्ड ब्वॉय ने कोतवाल वीके मिश्रा का अंगूठा दांतों से चबा लिया और दरोगा राहुल कुमार से हाथापाई कर दी। इसके बाद ही वहां पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
कानपुर देहात की पुलिस ने कहा प्रदर्शनकारियों द्वारा अस्पताल की ओपीडी सेवाएँ बंद करने के कारण सीएमएस के अनुरोध पर अस्पताल की सेवाओं को सुचारू रूप से चलवाने हेतु पुलिस द्वारा प्रयास किया गया जिस दौरान पुलिस से अभद्रता की गयी।उग्र प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के दौरान दुःखद घटना घटित हुई जो आपत्तिजनक है।
पुलिस ने किया मानवता को शर्मसार
पुलिस ने इस प्रदर्शन को हटाने का जिम्मा तो लिया लेकिन इसका उपाय सिर्फ लाठीचार्ज को ही बनाया। एक बार फिर से लाठी भांजते हुए यूपी पुलिस दिखी। इसी लाठीचार्ज का एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह एक आदमी जो गोदी में अपने बच्चे को लिए हुए हैं उनको पुलिस बेरहमी से पीट रही है। दौड़ा दौड़ा कर पुलिस उनको लाठियों से पीट रही है और वो इंसान चिल्ला रहा है साहब बच्चा है आराम से.. इंस्पेक्टर ने न सिर्फ लाठियों से हमला किया, बल्कि उसके बच्चे को भी छीनने की कोशिश की। वीडियो में आदमी बच्चे को लग जाएगी, मत मारिए, कहते हुए सुनाई दे रहा है। वहीं इंस्पेक्टर सहित कई पुलिसकर्मी उसका पीछा करते हैं और कुछ अधिकारी बच्चे को जबरदस्ती उससे दूर खींचने की कोशिश करते हैं। इस दौरान उस इंसान ने ये भी बताया कि बच्चे की मां नहीं है। इस पूरे वीडियो को देखने के बाद सवाल ये है कि छोटे से बच्चे को लेकर जा रहे पिता से पुलिस की ऐसी कौन सी दुश्मनी थी जिससे उन्हें वो बच्चा नहीं दिखा जो गोदी में रो और बिलख रहा था।
वीडियो वायरल, राजनीतिक हलचल..
सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल होते ही लोग एक बार फिर से यूपी पुलिस की क्रूरता से वाकिफ हुए। आम जनता से लेकर राजनेता भी इस पुलिसिया कार्यवाही पर सवाल उठा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने ट्वीट करके सरकार को घेरा।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके मानवाधिकार के हनन का आरोप लगाया।
न सिर्फ विपक्ष बल्कि खुद बीजेपी के नेता वरुण गांधी ने योगी सरकार और यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं..
सस्पेंड हुआ पुलिसकर्मी
इस अमानवीय हरकत के बात जब पुलिस की किरकिरी शुरु हुई तो आनन फानन में पुलिस ने कार्यवाही की।
ताजा अपडेट की मानें तो फिलहाल पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया है लेकिन ये तब हुआ जब ये बात डीजीपी तक पहुंची। जी हां वीडियो वायरल हुआ, चौतरफा फजीहत हुई। बात डीजीपी मुख्यालय तक पहुंची तो एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर को जांच सौंपी गई। एडीजी ने अपनी जांच में विनोद कुमार मिश्रा को बर्बरता का दोषी पाया और अब सस्पेंड कर दिया है
पुलिसकर्मी को निलंबित तो कर दिया गया है लेकिन इस पुलिस की इस हिंसा का शिकार हुए उस शख्स का क्या जो अपने बच्चे के लिए पुलिस के सामने गिड़गिड़ा रहा था। इस पूरे वाक्ये पर सूबे के मुखिया ने चुप्पी साध रखी है जो दावा करते है यूपी में गुंडाराज खत्म हो गया है। मान लिजिए हो ही गया है क्योंकि अब कानून के रखवाले ही गुंडे की तरह बर्ताव कर रहे हैं।
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