लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमती नगर की एक वीडियो रविवार शाम से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यह वीडियो 1090 चौराहे से लेकर समता मूलक चौराहे के बीच में गोमती पुल का है. इस वीडियो में कश्मीरी युवकों को सड़क से नगर निगम के कर्मी भगाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस दौरान कुछ कर्मचारी ड्राई फ्रूट के कारोबारियों को जबरन गाड़ी में बैठने की कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि लगभग 50 कश्मीरी युवक गोमती नगर स्थित गोमती पुल से लेकर समता मूलक चौक तक ड्राई फ्रूट बेचते हैं और परिवार का भरण पोषण करते हैं. इनको नगर निगम कर्मियों ने वहां से हटा दिया. इस घटना की वीडियो वायरल होने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है. सोशल मीडिया पर लोगों ने कश्मीरियों युवकों के साथ दुर्व्यवहार करने पर नगर निगम कर्मचारियों के इस एक्शन पर सवाल खड़े किए हैं. लोगों ने कहा कि नगर निगम के कर्मचारी कश्मीरियों से अपराधियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं.
मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार घटना का वीडियो वायरल होने के बाद लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि इन लोगों को नो वेंडिंग जोन में सामान बेचने के चलते हटाया गया है. उन्होंने कहा कि गत दिनों एक हादसा हो गया, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया है. नगर आयुक्त ने कहा कि जब यहां पर दुकान लगती है तो मौके पर भीड़ इकट्ठा हो जाती है. जिससे यहां पर ट्रैफिक जाम हो जाता है.
कश्मीरी युवकों को हटाने की वजह बताते हुए नगर आयुक्त ने कहा कि ट्रैफिक जाम और बीते दिनों हुए हादसे को देखते हुए इन लोगों को यहां से हटाया गया. इस दौरान किसी के सामान का कोई नुकसान नहीं हुआ है. जितने लोगों को यहां से हटाया गया, उनको सामान लौटा दिया गया है और उनको वेंडिंग जोन की लिस्ट दी गई है. जिससे वह वहां जाकर अपना सामान बेच सकते हैं. उन्होंने वेंडिंग जोन की लिस्ट शेयर करते हुए कहा कि कोई रेहड़ी पटरी दुकानदार वेंडिंग जोन में अपनी दुकान लगा सकता है.
हालाँकि, कुलगाम के एक विक्रेता मेहराज (बदला हुआ नाम), जो 1090 चौराहे पर बैठते हैं, ने कहा, “मैं 2011 से यहां आ रहा हूं। हम यहां खाने-पीने का सामान बेचते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जब उनसे इस सड़क के वीआईपी रोड और नो-वेंडिंग जोन होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “वहां अन्य स्थानीय विक्रेता भी बेल्ट और जैकेट बेच रहे हैं, लेकिन कोई उन्हें कुछ नहीं कहता। पुलिस और प्रशासन केवल कश्मीरियों को ही निशाना क्यों बनाता है?”
बुचरी ग्राउंड में बैठे फैयाज अहमद कहते हैं, “देश भर से लोग कश्मीर आते हैं और हम उनके साथ परिवार की तरह व्यवहार करते हैं. उसी तरह, यहां लखनऊ में भी प्रशासन को हमारे साथ परिवार की तरह व्यवहार करना चाहिए।“ वह कहते हैं कि अगर लोग कश्मीर को भारत का हिस्सा मानते हैं, तो उन्हें कश्मीरियों को भी स्वीकार करना चाहिए। लोगों को राजनीतिक मुद्दों को रोजमर्रा के मुद्दों से अलग करना चाहिए। हम गरीब लोग हैं और उच्च स्तर पर क्या हो रहा है, इसकी हमें कोई चिंता नहीं है. उन्होंने उल्लेख किया कि कुल मिलाकर, लखनऊ में लोग मिलनसार हैं, लेकिन प्रशासन में कुछ ही लोग हैं जो गलत तरीके से काम करते हैं।
इसी तरह की एक घटना में, एलडीए अधिकारियों ने खाद्य सामग्री फेंक दी। फरवरी में एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत 35,000-40,000 कीमत का सूखा मेवा गोमती नदी में बहा दिया गया। हिन्दूवादी संगठनों द्वारा पिछली घटनाएं कश्मीरी समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह का प्रमाण हैं। अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने वाले प्रशासन के अलावा, पहले कश्मीरी व्यापारियों को आम लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा था।
2019 में, एक हिंदुत्व संगठन के लोगों के एक समूह ने शहर के पुराने इलाके में दो कश्मीरी विक्रेताओं पर हमला किया। कुछ स्थानीय लोगों ने हस्तक्षेप किया और लोगों को विक्रेताओं को पीटने से रोका। हमलावरों ने लोगों से कहा कि चूंकि कश्मीरी भारत विरोधी नारे लगाते हैं और कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते हैं, इसलिए उन्हें देश में अपनी सामग्री बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
बाद में, लखनऊ के हसनगंज पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 323 और 504 के तहत मामला दर्ज किया गया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसे समय में जब सरकार कश्मीर के लोगों के साथ दूरियों को पाटने का प्रयास कर रही है, ऐसी घटनाएं उस पूर्वाग्रह की ओर इशारा करती हैं जिसका सामना कश्मीरियों को अपने ही देश में करना पड़ता है।
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