उत्तर प्रदेश: नाई ने दलित व्यक्ति का बाल काटने से किया इंकार, गांव के लोगों पर सामाजिक बहिष्कार का आरोप

नाई ने दलित व्यक्ति का बाल काटने से किया इंकार
नाई ने दलित व्यक्ति का बाल काटने से किया इंकार
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बदायूं देशभर में दलितों – आदिवासियों पर अत्याचार की ख़बरें अब आम हो गई हैं. शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब बहुजनों को तथाकथित ऊंची जाति के लोग अपना शिकार न बनाते हों. अब एक ऐसी ख़बर सामने आई जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी.

मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले के दातागंज थाना क्षेत्र के नूरपुर गांव का है जहां एक नाई (बाल काटने वाला) ने कथित रूप से एक व्यक्ति के बाल काटने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि वो दलित समाज से है. नाई ने साफ मना करते हुए कहा कि वो दलित समाज के किसी भी व्यक्ति के बाल नहीं काटेगा.

इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इतना ही नहीं दलित व्यक्ति ने जब इसकी शिकायत पुलिस से की तो गांव के लोग पीड़ित का ही समाजिक बहिष्कार की बात भी करने लगे. हालांकि, मामले में अभी तक किसी भी प्रकार की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. लेकिन थानाध्यक्ष वीरपाल सिंह तोमर ने कहा है कि, अगर समाजिक बहिष्कार जैसा अगर कोई मामला सामने आता है तो उस पर कार्रवाई की जायेगी .

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो उत्तरप्रदेश के नूरपुर गांव का बताया जा रहा है. वीडियो में कथित तौर पर नाई पीड़ित बबलू और भूरे को उनके बाल काटने से मना कर रहा है. पीड़ित जब अपनी जाति बताते हैं तो दुकान पर ही सेविंग करवा रहे व्यक्ति ज़िसका नाम छत्रपाल बताया जा रहा है उससे भी उनकी बहस हो जाती है. ज़िसमें छत्रपाल भी उनको वहां बाल कटवाने से मना करता दिख रहा है.

पीड़ित बबलू बताते हैं कि, इससे पहले वो लोग गांव से दूर बाल कटवाने जाते थे जहां उन्हें कोई जनता न हो. लेकिन इस बार उन्होनें गांव में ही बाल कटवाने की सोची जिसके बाद नाई ने बाल काटने से मना कर दिया और इसका वीडियो वायरल हो गया.

मामले की शिकायत के लिए उन्होनें पुलिस में भी सम्पर्क किया. पुलिस में शिकायत करने को लेकर गांव के जातिवादी लोग नाराज हो गये. पीड़ित बबलू बताते हैं कि, गांव के लोग अब उनका समाजिक बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. साथ घर आने-जाने का रास्ता भी बंद करने की बात हो रही है.

वो आगे कहते हैं कि, गांव के लोग ये भी कह रहे हैं कि उन्हें गांव की किसी भी दुकान से राशन न दिया दिया. मेड़िकल स्टोर से उन्हें कोई दवाई भी न दे. पीड़ित बबलू ने ये भी बताया कि, गांव के सरपंच उन्हें मामले को खत्म करने की बात कर रहे हैं और पुलिस में शिकायत न करने की बात कह रहे हैं. बबलू ने बताया कि, उन्हें गांव के लोगों से डर भी है कही उसके और उसके परिवार के साथ कोई कुछ गलत न कर दे.

आपको बताते चले कि, बदायूं का ये इलाका ठाकुर बहुल्य है. यहां के विधायक राजीव कुमार सिंह भी ठाकुर बिरादरी से आते हैं, और थानाध्यक्ष भी ठाकुर ही हैं. इस इलाके को पूरी तरह समझने और जानने के लिए द मूकनायक ने भीम आर्मी के मंडल प्रमुख महासचिव विकास बाबू से बात की जो इस पूरे मामले पर अपनी नज़र बनाये हुए हैं और लगातार पीड़ित के सम्पर्क में साथ ही पुलिस थाने में उनकी शिकायत दर्ज करवाने में मदद कर रहे हैं.

विकास बाबू गंभीर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि, "पूरे दातागंज विधानसभा में सोची समझी साजिश के तहत अनुसूचित जाति के लोगो को विकास से दूर रखने की हर संभव कोशिश हो रही है. क्योंकि इस विधानसभा में विधायक मुख्यमंत्री की जाति से हैं और पूरे क्षेत्र में ठाकुरों का दबदबा है".

इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति की खासकर वाल्मिकी जाति के लोगो की हालत अत्यंत दयनीय है. यहां इन लोगो की संख्या ज्यादा से ज्यादा किसी भी गांव में 40 या 50 से ज्यादा नही है और शिक्षा का बहुत ही ज्यादा अभाव है. अभी तक इस जाति के लोगो के घर कच्ची मिट्टी और छप्पर के हैं जो या तो तालाब के किनारे या फिर घूर (जहां पूरे गांव का कूड़ा – कचरा, मानव मल, पशु मल फेंका जाता है) के पास बने हुए है. जिस वजह से इनकी बस्तियां तंग और गंदगी से भरी हुई है. न पीने के साफ पानी के लिए हैंडपंप है, न ही पक्की गलियां और न ही गंदा पानी निकलने के लिए पक्की नाली है. गंदगी के कारण ही ये लोग जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे है. इलाज महंगा होने कारण ये लोग अपनी उम्र बमुश्किल ही पूरी कर पाते हैं. गंदगी से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी प्रभावित होता है.

ठाकुरों का बोलबाला होने के कारण इस जाति के लोगों को जातिगत काम करने के लिए मजबूर भी किया जाता हैं. इस क्षेत्र में अगर कोई वाल्मिकी ठाकुरो के अत्याचार का विरोध करता है, थाने या चौकी में जाने की हिम्मत करता है तो उसे ठाकुरों की पंचायत द्वारा गांव निकाला, हुक्का पानी बंद, और खेतों में ट्रैक्टर ट्राली या कृषि यंत्रों या फिर खेतों में पानी देने की मनाही के फरमान सुना दिया जाता है. अगर कोई समाजसेवी या नेता इन लोगो की समस्याओं को लेकर थाने पर पहुंचता है तो थाने से कोई कार्यवाही नही होती है.

सोशल मीडिया पर पुलिस साफ झूठ बोलकर अपना पल्ला झाड़ लेती है. ठाकुर जाति का विधायक होने के कारण इस पूरे क्षेत्र में — थाने, चौकी, तहसील या विकासखंड कार्यालय, सब जगह मुख्य पद पर सिर्फ ठाकुर ही तैनात हैं. उसके बाद सर्वणों में अन्य जातियों की तैनाती होती है.

एक बात और गौर करने वाली है कि इस क्षेत्र में सफाई कर्मी ज्यादातर उच्च जातियों के तैनात हैं, लेकिन वो अपनी जगह काम वाल्मिकी जाति के लोगो से कराते हैं जिसके उन्हें 2-3 हज़ार रूपये दे दिये ज़ाते हैं. नूरपुर गांव का हाल तो सबसे ज्यादा दयनीय है. इस गांव की वाल्मिकी बस्ती एक ओर से गहरे तालाब के किनारे है और दूसरी ओर से गांव के अन्य घरों से कटी हुई है. इनकी पूरी बस्ती में कच्ची मिट्टी और छप्पर के घर बने है. बस्ती को गांव की मुख्य सड़क से जोड़ने का एक मात्र कच्चा रास्ता है जिस पर गांव के मनबढ़ों ने अवैध कब्जा कर बंद कर दिया है और रास्ते पर भैंस का तबेला बना दिया है. इस वजह से ये लोग तालाब को पार करके मुख्य सड़क की ओर जाते है. बारिश के मौसम में आए दिन बच्चे तालाब में गिर जाते हैं जिससे कई बच्चों के मौत भी हो चुकी है.

"वाल्मिकी जाति के लोगों के बाल न काटने की समस्या सिर्फ इसी गांव में नही बल्कि पूरे क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में बनी हुई है. इस पूरे क्षेत्र में वाल्मीकियों को शादी समारोह और अन्य कार्यक्रमों के लिए अछूत होने के कारण टेंट तक नही दिया जाता."

इस पूरे मामले पर द मूकनायक ने थानाध्यक्ष वीरपाल सिंह तोमर से बात की. उन्होनें बताया कि, बाल न काटने वाली बात पूरी तरह से ठीक नहीं हैं. नाई ने किसी और कारण से बाल काटने से मना किया था. वायरल वीडियो के बारे में पूछने पर उन्होनें जवाब दिया कि, "इसकी पुष्टी की जा रही है. वीडियो में आरोपी ने कहीं भी जाति के कारण बाल काटने से मना नहीं किया है. पीड़ित खुद अपनी जाति बताकर मामले को तूल देने में लगा है."

गांव द्वारा पीड़ित के समाजिक बहिष्कार की बात के बारे में पूछने पर उन्होनें कहा कि, अभी तक इस प्रकार की कोई बात सामने नहीं आई है. लेकिन, अगर आती है तो उसपर उचित कार्रवाई भी की जायेगी. फिलहाल मामले में किसी भी प्रकार का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.

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