उत्तर प्रदेश: 10 साल बाद मुजफ्फरनगर दंगों में पीड़िता को मिला इंसाफ, गैंगरेप की पहली सजा

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान मुस्लिम महिला से सामूहिक बलात्कार के दोषियों को कोर्ट ने 20 साल की सज़ा सुनाई है.
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न्याय विभागसांकेतिक तस्वीर
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मुजफ्फरनगर ज़िले की एक निचली अदालत ने 10 साल बाद दिए अपने फैसले में 3 आरोपियों कुलदीप पुत्र ओमकार, महेश वीर पुत्र प्रकाश और सिकंदर पुत्र इकबाल में से 2 को आईपीसी की धारा 376(2)(G), 376 D और 506 के तहत दोषी माना है क्योंकि इनमें से कुलदीप की सुनवाई के 2 साल पहले ही मौत हो चुकी थी, कोर्ट ने दोनों दोषियों को 20-20 साल सज़ा और 15-15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तेज हुई सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि की केस टाला नहीं जाए और प्राथमिकता से इसकी सुनवाई की जाए। इसके बाद प्रतिदिन इसकी सुनवाई होने के बाद यह फैसला आया। 2013 में आपराधिक कानून संशोधन के मुताबिक आईपीसी की धारा 376 2 G के तहत यह है पहला केस है। इस धारा के तहत दंगों के दौरान रेप के मामलों में सजा का प्रावधान किया गया है, वहीं हिंसा के बीच एक विशिष्ट अपराध के रूप में चिन्हित किया गया है।

लोकल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता के वकील एडवोकेट रिजवान अहमद का कहना है कि "कोर्ट ने पीड़िता के बयान और सबूतों के आधार पर यह सजा सुनाई है। आरोपी कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रख पाए। न्याय मिलने के बाद पीड़िता खुश है"।

SIT बनाई थी जांच के लिए

महिला ने तीनों के खिलाफ 5 महीने बाद केस दर्ज करवाया था। दंगे में हुए सभी अपराधों की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था। चार्जशीट दाखिल होने के बाद सभी आरोपियों को साल 2014 में जेल भेज दिया गया था। बाद में यह सभी जमानत पर बाहर आ गए थे। दोषी सिकंदर और महेश वीर ने अपने ऊपर लगाए आरोपों को गलत बताया था। उनका कहना है कि पहले से मारपीट और आगजनी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। बाद में रेप की धारा भी जोड़ दी गई। हम लोगों को फंसाया गया है।

बेटे के कारण नहीं भाग पाई पीड़िता

मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार महिला ने अपनी FIR में लिखा है कि "मैं अपने छोटे बेटे और ससुराल वालों के साथ थी। मेरे पति मेरे बड़े बेटे को लेकर डॉक्टर के पास शामली गए हुए थे। क्योंकि मेरे बड़े बेटे को काफी टाइम से बुखार था। हमें 7 सितंबर शाम को पता चला कि मुजफ्फरनगर में दंगे हो रहे हैं। मैं अपने पति और बेटे के लिए परेशान हो गई। लोग कहने लगे कि यहां पर रहना सुरक्षित नहीं है। यहां पर जान को खतरा है। जिसके बाद हम अपना जरूरी सामान लेकर गांव से निकल गए. हमारे साथ गांव के 10 लोग और थे। हम लोग कुछ ही दूर पहुंचे थे कि हाथ में हथियार लिए महेश सिकंदर और महेश वीर ने हमें घेर लिया। मौका पाकर मेरे साथ आए सभी लोग वहां से भाग गए। और मैं अपने बेटे के कारण वहां से भाग नहीं पाई। मैं उन आरोपियों को जानती थी। मुझे डरा धमकाकर वह लोग अपने साथ ले गए और मेरे बेटे को भी। उन्होंने मेरे बेटे की गर्दन पर चाकू रख दिया और मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे। मेरे बेटे के सामने ही बारी-बारी से उन्होंने मेरे साथ रेप किया। इसी बीच मेरा बेटा बेहोश हो गया और यह देखकर वह लोग भाग गए."

किसी तरह मैं अपने बेटे को उठाकर खेत तक लेकर आई। कुछ दूरी पर कुछ लोगों ने बताया कि जिनके घर छूट गए हैं, वहां पास में ही उन कैंप लगे हुए हैं। बड़ी मुश्किल से मैं कैंप तक पहुंची। मेरे पति पहले से ही मौजूद थे और मैंने उनको सारी घटना बताई।

क्यों हुए थे दंगे!

मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच 27 अगस्त 2013 को झड़प हो गई थी। कथित तौर पर जाट समुदाय की लड़की को मुस्लिम समुदाय के लड़के ने छेड़खानी कर दी थी। जाट समुदाय ने उस लड़के को पीट-पीट कर मार डाला था। इसके बदले में मुस्लिम समुदाय ने लड़की के दो घर वालों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई। दोनों पक्षों ने अपने अपने समुदाय के लोगों को बुलाकर पंचायते रखी। इसके बाद हिंसा बढ़ती ही चली गई जगह-जगह पर हिंसा होने लगी। इस दंगे में 40 लोगों की मौत हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट का जताया आभार

पीड़िता ने इस लड़ाई को बेहद कठिन बताया। उन्होंने कहा कि राहत शिविर में मेरी तरह और भी महिलाएं थीं, जो इस दर्द को झेल रही थीं। कुछ महिलाओं ने यौन मामलों को अधिकारियों के सामने उठाया उससे भी हिम्मत मिली। पीड़िता ने फैसले को लेकर खुशी जाहिर की।

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