परिजनों का आरोप है कि, लड़का पुलिस वालों के पैर पकड़कर उनको रुकने के लिए कह रहा था, लेकिन उसकी किसी ने उसकी नहीं सुनी, उसे बेरहमी से पीटा और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
लखीमपुर खीरी। प्रदेश सरकार ने यूपी में दुरुस्त कानून व्यवस्था के वादे इन पांच सालों में कई बार किए हैं। इन दावों की सच्चाई से पूरा देश वाकिफ है कि, कैसे कानून के रखवाले ही आम जनता की जान की दुश्मन बनते जा रहे हैं।
आपको उन्नाव का वो रेप केस याद होगा जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर आरोपी था। उस केस में पीड़िता के पिता की कथित रूप से पुलिस कस्टडी में पिटाई के बाद मौत हो गई थी। गोरखपुर के एक होटल में एक बिजनेसमैन की कानून के रखवालों द्वारा ऐसी पिटाई की गई की उसकी मौत हो गई थी, और उससे पहले की घटना में एप्पल के मैनेजर का एक पुलिसकर्मी ने एनकाउंटर कर दिया था।
वैसे उत्तर प्रदेश में ऐसे न जाने कितने मामले हैं, जिन्हें गिनाने बैठ गए तो शब्द कम पड़ जाएंगे। अब एक बार फिर से उत्तर प्रदेश से ऐसा ही मामला सामने आया है जहां 17 साल के दलित लड़के की मौत हो गई। उसके मौत का कारण मोबाइल चोरी के आरोप में पुलिस कस्टडी में उसकी बेरहमी से पिटाई बताया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को 17 वर्षीय राहुल ने कथित मोबाइल चोरी के आरोप में पुलिस कस्टडी से लौटने के चार दिन बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। लड़के के परिजनों ने इस मामले में पुलिस पर कई आरोप लगाए हैं। परिवार के सदस्यों ने पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाया है जिसके कारण लड़के की मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, मृतक लड़के के चाचा ने उसके खिलाफ मोबाइल चोरी के आरोप में पुलिस में शिकायत की थी। परिजनों का आरोप है कि, जब लड़के को चाचा के सेलफोन चोरी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया, तब पुलिस ने उसे बेरहमी से पीटा।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मामले में तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इसमें एक सब-इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल शामिल है। लखनऊ से लगभग 230 किलोमीटर दूर संपूर्णनगर थाना क्षेत्र में हुई घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं।
पुलिस पर पिटाई का आरोप
ये मामला देखते ही देखते सुर्खियों में आ गया है। लड़के की मौत से आक्रोशित परिजनों ने शव के साथ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कथित चोरी के एक मामले में पूछताछ के दौरान पुलिस की पिटाई के बाद ही 17 साल के दलित लड़के की तबीयत बिगड़ी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
आरोप है कि पिटाई के कुछ दिनों बाद रविवार की सुबह लड़के की मौत हो गई। लड़के के परिवार में उसकी मां और दो बहनें हैं।
चाचा ने लगाया था चोरी का आरोप
इंडिया टाइम्स के अनुसार, ये पूरा मामला मोबाइल चोरी के आरोप से शुरु हुआ। स्थानीय ग्राम प्रधान ने कहा कि 17 जनवरी को लड़के के चाचा उसके घर पहुंचे और उस पर एक दिन पहले उनका सेल फोन चोरी करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि फोन उनके बेटे का है।
पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव सुमन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "आरोपी और उसके चाचा को पुलिस चौकी पर बुलाया गया था। लड़का अपने माता-पिता के साथ आया था। उसके चाचा और ग्राम प्रधान [प्रमुख] भी बैठक में शामिल हुए थे। लड़का था और इन लोगों की मौजूदगी में हमने पूछताछ की।"
संजीव सुमन ने आगे कहा, "दो घंटे के बाद दोनों पक्षों में समझौता हो गया। समझौता लिखित में था और यह पुलिस के पास उपलब्ध है। लड़के को परिवार को सौंप दिया गया और वे 19 जनवरी को दोपहर करीब 3 बजे घर लौट आए।"
उन्होंने कहा कि लड़के को उसी रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कल सुबह उसकी मौत हो गई।
उन्होंने कहा, "तभी लड़के के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि पुलिस की पिटाई से उसकी मौत हुई है। हम लगाए गए सभी आरोपों की जांच करेंगे। अगर पुलिसकर्मी जिम्मेदार पाए जाते हैं, तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।"
परिवार वालों ने बताई सच्चाई
पुलिस ने अपना पक्ष तो रख दिया लेकिन दलित लड़के के घरवालों ने जो बताया वो इससे अलग था। लड़के की बहन ने मीडिया को बताया कि, पुलिस ने जब भाई को बुलाया तब मां भी गई थी। पुलिस वालों ने मां को बाहर भेज दिया और भाई को बेरहमी से बेल्ट से पीटा।
परिवार वालो ने आगे कहा कि, "वह उनके पैरों पर गिर पड़ा और उन्हें रुकने को कहा।" उसके गिड़गिड़ाने पर भी वो लोग नहीं रुके।
हालांकि, इस केस में 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
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