पुलिस छावनी बना रानियामऊ गांव, बिना अनुमति गांव के बाहर जाने पर लगी पाबंदी। बेटे की मौत के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहा है गरीब परिवार। दलित युवक की कथित तौर पर बम लगाकर हत्या के मामले में द मूकनायक के "साइकिल रिपोर्टर" ने 40 डिग्री तापमान में 80 किमी. साइकिल से चलकर की ग्राउंड रिपोर्ट।
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के माल इलाके में गत माह 19 जून की रात को घर के बाहर सो रहे एक दलित युवक की चारपाई के नीचे विस्फोटक लगा कर धमाका किया गया, जिसके बाद इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। मामले में करीब दो सप्ताह गुजर जाने के बाद पुलिस अब तक एक भी नामजद आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इधर, मृतक का परिवार दहशत में है। गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।
इस पूरे मामले की छानबीन करने के लिए द मूकनायक के "साइकिल रिपोर्टर" ने रविवार को तपती धूप में लगभग 80 किमी की दूरी ग्राउंड रिपोर्ट करने के लिए तय की।
राजधानी लखनऊ के सेंटर से लगभग 50 किमी की दूरी पर माल कस्बा है। माल जाने के लिए सीतापुर रोड नेशनल हाइवे 24 से दुबग्गा बाईपास कटा हुआ है। लगभग 7 किमी दूरी पर जागर्स पार्क से पहले ही एक चौराहे से दाएं तरफ का रास्ता माल और मलिहाबाद को जाता है। इस चौराहे से माल की दूरी 24 किमी है। रानीयामऊ जाने के लिए इस रोड पर 20 किमी बाद गोपरामऊ पेट्रोल टंकी है। इस पेट्रोल टंकी के बगल से ही दाईं ओर का रास्ता सीधे रानियामऊ तक जाता है। इसी गांव में वह परिवार रहता है, जिसके 18 साल के नौजवान बेटे को धमाके के साथ मौत के घाट उतार दिया गया था।
गांव की सड़क एक तालाब तक जाकर खत्म हो जाती है। ठीक इसी तालाब के किनारे शिवम का घर बना हुआ है। घर के बाहर एक ऊंचा चबूतरा बना हुआ है। बल्लियों के सहारे फूस से बना हुआ छप्पर (मूज) है। उसी के नीचे कुछ महिलाएं और पुरुष बैठे थे।
एक महिला अपने डेढ़ साल के बच्चे को दूध पिला रही थी। द मूकनायक ने वहां बैठे लोगों से पूछा, 'शिवम रावत कहां रहता है, उसके माता-पिता से बात हो पाएगी?'
डेढ़ साल के बच्चे को दूध पिला रही महिला फफक कर रोने लगी। महिला बोली, "शिवम मेरा बड़ा बेटा था, उसको गांव के लोगों ने बम से मार डाला।" पुरानी लाल रंग की मठमैली सारी पहने हुए महिला से उसका नाम पूछा। उसने धीमी सी रुधें आवाज में बोला- 'सावित्री'
सावित्री घटना वाले दिन को याद कर बताती हैं, "बेटा शिवम घर के बाहर ही सो रहा था। जब तेज धमाका हुआ, तब हम सब घर के बाहर आ गए। जिस जगह शिवम लेटा हुआ था। वहां एक बड़ा गड्ढा बन गया था। शिवम चारपाई से दूर जमीन पर पड़ा हुआ था। उसका शरीर बुरी तरह जल रहा था। आस-पास घुआं ही धुआं था। गांव के चार लोग भागते हुए नजर आये थे। मैंने अपने हाथों से आग बुझाना शुरू कर दिया। शरीर में कई जगह छेद हो गए थे। इन छेदों से खून भी निकल रहा था। हम लोग शिवम को लेकर अस्पताल भागे।"
मेवालाल के परिवार में तीन छोटे बच्चे और एक नौजवान बेटा शिव कुमार रावत (18) था। मेवालाल का शरीर कमजोर होने के कारण वह कुछ भी कर पाने में असमर्थ हैं। उनका बड़ा बेटा हरिद्वार में लगभग डेढ़ साल से मजदूरी कर पूरे परिवार का पेट पाल रहा था। 19 जून को दोपहर 12 बजे शिव हरिद्वार से लौटा था। देर रात खाना खाने के बाद घर के बाहर ही चारपाई लगा ली और सो रहा था।
मेवालाल ने बताया, "रात लगभग 12 बजकर 55 मिंनट पर तेज धमाके की आवाज से उनकी नींद खुली। मैं जब घर के बाहर आया तो धुआ ही धुआ था। छप्पर सुलग रहा था। मेरा बेटा खून से सना हुआ चारपाई से 10 मीटर की दूरी पर पड़ा था। हम उसे माल सीएचसी ले गए। डाक्टरों ने उसे ट्रामा सेंटर लखनऊ ले जाने के लिए कहा। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।" प्रत्यक्षदरर्शी रही शिवम की बड़ी मां बताती हैं कि, घटनास्थल पर धमाके के बाद तीन किलोमीटर तक स्टील के टुकड़े, बजरी, बारूद और घड़ी के सेल पड़े हुए थे और पुलिस उसे मामूली सुतली बम बता रही थी।
मेवालाल को मारने के लिए हुआ था हमला!
दलित किसान मेवालाल रावत का कहना है, "गांव के ही सवर्ण (ठाकुर जाति) के तेज बहादुर सिंह और दीपू सिंह से विवाद चल रहा था। तेज बहादुर सिंह ने गांव के अर्जुनसिंह से जमीन खरीदी थी। लेकिन चेक बाउंस होने के कारण दाखिल खारिज पर रोक लग गई। इस जमीन की खरीद बिक्री में मैं गवाह के रूप में हूँ। तेज बहादुर सिंह और उनके साथी मुझे मारने आये थे, लेकिन इसमें मेरे बेटे की मौत हो गई।"
खुश मिजाज था शिवम
गांव के रहने वाले भूपेंद्र पासी बताते हैं, "शिवम बहुत ही सीधा लड़का था। उसने आज तक गांव में किसी को गाली तक नहीं दी थी। ना ही उसने किसी के साथ आज तक कोई विवाद या लड़ाई की। वह सभी से हंसकर मिलता था। कभी कोई ऐसा मामला नहीं हुआ की उसे पुलिस पकड़ कर ले गई हो।"
गांव बना पुलिस छावनी
19 जून की घटना के बाद गांव में पुलिस बल तैनात है। शिवम के परिवार पर पुलिस का पहरा रहता है। घर के किसी भी सदस्य को कहीं भी जाने की अनुमति नहीं है। शिवम की मां सावित्री ने बताया कि, लोग कहीं भी जाते हैं तो पुलिस पीछे-पीछे आती है। बिना पुलिस की अनुमति के हम लोग कहीं नहीं जा सकते हैं।
घर में पैसे की किल्लत
शिवम की मां सावित्री ने बताया कि, शिवम की कमाई से कुछ पैसे जोड़ कर रखे थे। जब वह आया था तो कुछ और पैसे लेकर आया था। शिवम के घायल होने के बाद कुछ पैसा उसके इलाज और भागदौड़ में खर्चा हो गया था। बाकी बचा हुआ पैसा उसके अंतिम संस्कार में खत्म हो गया। शिवम घर में इकलौता कमाने वाला था। उसकी मौत के बाद आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
विवेचना में बढ़ाई धाराएं, गिरफ्तारी नहीं
पुलिस ने मेवालाल की तहरीर पर आईपीसी की धारा 307, 504, 506 एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था। इलाज के दौरान शिवम की मौत हो गई जिसके बाद विवेचना में पुलिस में आईपीसी की धारा 302, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा की बढोत्तरी की है।
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण हृदेश ने द मूकनायक से बताया कि, "पूरे मामले की गहनता से जांच की जा रही है। इस मामले में अभी कोई भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।"
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