उत्तर प्रदेश। यूपी में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विक्रम द्वारा 'राम और कृष्ण को जेल भेजने' को लेकर सोशल मीडिया पर किए गए टिप्पणी पर विवि ने नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के बाद प्रोफेसर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। नोटिस में सात दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक में बाकायदा इसका प्रस्ताव पारित किया गया है। बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने प्रोफेसर के अमर्यादित बयान पर स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी करने पर सहमति दी है। हालांकि, इस मामले में प्रोफेसर ने सार्वजनिक रूप से वीडियो जारी कर माफी भी मांगी थी।
गौरतलब है कि बीते 22 अक्टूबर को इलाहाबाद विवि के मध्यकालीन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए भगवान श्री राम और श्री कृष्ण को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट किया था. प्रोफेसर ने लिखा था, 'यदि आज प्रभु श्री राम होते तो मैं ऋषि शम्भुक का वध करने के लिए उनको आईपीसी की धारा-302 के तहत जेल भेजता। यदि आज कृष्ण होते तो महिलाओं के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस के लिए उनको भी जेल में भेजता?' यह पोस्ट वायरल होने के बाद छात्र आक्रोशित हो उठे। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हिंदू संगठनों ने कर्नलगंज थाने में तहरीर दी थी। साथ ही विवि प्रशासन से भी कार्रवाई की मांग की थी। पुलिस ने इस मामले में आचार्य राजेश कुमार त्रिपाठी की तहरीर पर प्रोफेसर विक्रम के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्य परिषद ने भी प्रोफेसर के बयान की निंदा की। फिलहाल मामला तूल पकड़ने के बाद प्रोफेसर ने इस मामले में वीडियो जारी कर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। उन्होंने वीडियो में कहा था कि, उनका उद्देश्य था कि इस मामले में उनका मकसद किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। हालांकि, अपने विचारों और शोध को लेकर वह अभी भी अपने बयान पर कायम हैं। उनका कहना है कि धार्मिक ग्रंथ और संविधान के दायरे में रहकर पोस्ट किया था।
प्रोफेसर डॉ. विक्रम को विवादित बयान के लिए नोटिस भी मिल चुकी है। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता है तो प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी कार्य परिषद की तरफ से की जा सकती है।
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