डॉ. कफील खान की किताब “द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रैजिडि” में पढिए 10 अगस्त 2017 की उस खौफनाक रात का सच

dr kafeel khan new book
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नई दिल्ली। गोरखपुर ऑक्सीजन कांड से सभी परिचित हैं और इस कांड में जिन डॉक्टर का नाम सुर्खियों में आया था उनसे भी हम सभी परिचित है। जी हां हम बात कर रहे हैं डॉ. कफील खान की। वैसे तो देश ने डॉ. कफील के संघर्ष को जाना है लेकिन अब वो अपने शब्दों को पन्नों पर उकेर चुके हैं और अपने नहीं बल्कि गोरखपुर ऑक्सीजन कांड की सच्चाई दुनिया को बताने के लिए तैयार है। डॉ. कफील खान ने (The Gorakhpur Hospital Tragedy) 'गोरखपुर अस्पताल त्रासदी' विषय पर एक किताब लिखी है। शुक्रवार यानि की कल 17 दिसंबर को डॉ. कफील की इस किताब को लॉन्च किया गया। इस किताब में डॉक्टर कफील ने 'एक दर्दनाक चिकित्सा संकट' का जिक्र किया है और उस सच्चाई को बताने का प्रयास किया है जो शायद देश नहीं देख पाया था।

किताब के बारे में

"द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रैजिडि" के नाम से छपी डॉ. कफील खान की इस किताब में उस हादसे के बारे में बताया गया है जिसे उन्होंने उस वक्त अपनी आंखों से देखा था। किताब के शुरुआत में इस उस पूरी किताब का सारांश दिया गया है जो इस प्रकार है..

"10 अगस्त 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकार की ओर से चलाए जा रहे बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई।

रिपोर्ट्स की माने तों, अगले दो दिनों में, अस्सी से अधिक मरीजों ने अपनी जान गंवा दी। इसमें  63 बच्चे और 18 वयस्क शामिल थे। उस दिन कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे वरिष्ठ लैक्चरार डॉ. कफील खान ने ऑक्सीजन सिलेंडर सुरक्षित करने के लिए निर्धारित समय से भी ज्यादा काम कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने इमरजेंसी उपचार किए और साथ ही अधिक से अधिक मौतों को रोकने के लिए उन्होंने कर्मचारियों को भी एकत्रित किया।

जैसे ही त्रासदी की खबर ने देश का ध्यान अपनी ओर खींचा,  डॉ. कफील खान को लोगों ने हीरो कहा। जी हां इस संकट के समय में बच्चों की जान बचाने के लिए जो प्रयास डॉ. खान ने किया उससे उनकी तारीफ हुई। इस त्रासदी को नियंत्रित करने के लिए लगातार उनके काम करने और इसके साथ ही इस खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को तुरन्त ठीक करने के लिए ध्यान आकर्षित करने के लिए नायक कहा गया। जहां एक ओर देश उनकी तारीफ कर रहा था तो वहीं दो दिन बाद उन्होंने खुद को निलंबित पाया। जी हां उनके सहित नौ व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और चिकित्सा लापरवाही सहित अन्य गंभीर आरोपों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके तुरंत बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।

गोरखपुर अस्पताल त्रासदी कफील खान की अगस्त 2017 की उस भयानक रात की घटनाओं और उसके बाद हुई भयानक उथल-पुथल का पहला इतिहास है। 2017 से लेकर अब तक कफील खान की जिंदगी में जो हुआ उसका ये किताब एक लिखित ब्यौरा है.. बिना अंत का निलंबन, आठ महीने की लंबी कैद और न्याय के लिए एक अथक लड़ाई…डॉ. कफील खान ने इन 5 सालों में अत्यधिक उदासीनता और उत्पीड़न का सामना किया है और अब अपने साथ हुई बर्बरता को दुनिना के सामने पेश किया है।"

डॉ. कफील खान का परिचय

डॉ. कफील खान का उत्तर प्रदेश के जन्म गोरखपुर में हुआ था। डॉ. कफील खान ने कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल, कर्नाटक से बाल रोग में एमबीबीएस और एमडी पूरा किया। उन्होंने एक लेक्चरार के रूप में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, में शामिल होने से पहले, गंगटोक में सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया।

अगस्त 2017 के ऑक्सीजन संकट कांड के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल से उनको निलंबित कर दिया गया। निलंबन और गोरखपुर जेल से रिहा होने के बाद से ही डॉ. कफील खान, अपनी टीम और आम नागरिकों की मदद के साथ एक एनजीओ चला रहे हैं। जी हां 'डॉ. कफील खान मिशन स्माइल फाउंडेशन" के बैनर तले वो लगातार काम कर रहे हैं। इसके अलावा डॉ. कफील ने एक स्वास्थ्य अभियान भी शुरू किया है जिसके तहत वो स्वास्थ्यसेवा कानून की मांग कर रहे हैं। इसका मतलब ये है कि स्वास्थ्य व्यवस्था एक मौलिक अधिकार बने आम नागरिक के लिए। इसके साथ ही डॉ. कफील ने डॉक्टर्स ऑन रोड नाम से एक नई पहल शुरू की है, इसके तहत देश के सुदूर इलाकों में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

सरकार ने लगाया NSA

साल 2020 डॉ. कफील खान के लिए काफी दर्द से भरा रहा। जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के लिए खान को फिर से गिरफ्तार किया गया और उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगा। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाकर डॉ. कफील खान को गरिफ्तार किया गया और उन्होंने 7 महीने जेल में बिताए। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस भाषण को भडकाऊ बताया था उसी भाषण को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एकता का प्रतीक बताया और सरकार को फटकार लगाई। 1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने NSA के तहत डॉ. कफील पर लगा सभी आरोपों को खारिज कर दिया।

ध्वस्त स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल

डॉ. कफील खान ने कोरोना के इस मुश्किल हालात में लोगों की सेवा की। डॉ. कफील खान ने द मूकनायक के साथ खास बातचीत की और उस पूरे कोरोना काल को लेकर डॉ. खान का कहना है कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था अभी नहीं बल्कि हमेशा से ही ध्वस्त थी। इस ध्वस्त व्यवस्था की पोल बस इस कोरोना ने खोल दी। हमारे स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी ही टूटी ही है जिसके चलते देश की हर नागरिक इससे वंचित रह जाता है। डॉ कफील खान स्वास्थ्य सुविधा को नागरिक का मौलिक अधिकार मानते हैं।

धर्म की राजनीति का खेल

द मूकनायक से खास बातचीत में डॉ. कफील खान ने कहा था कि बीजेपी जहां-जहां हारती है वहां धर्म की राजनीति करती है। बीजेपी एक बार फिर से यूपी में धर्म की राजनीति करेगी। पिछले 72 साल से देश की जनता रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य और  रोजगार यहीं 6 मांग कर रही है। लेकिन इस जनता को भरमाने के लिए श्मशान, कब्रिस्तान और अब्बा जान के नारे लगाए गए हैं। डॉ. खान ने कहा था कि धर्म और जाति की राजनीति में अगर जनता उलझी रहेगी तो हमारा विकास नहीं होगा।

आपको बता दें कि, डॉ. कफील को 9 नवंबर 2021 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था । फिलहाल अभी भी दिसंबर 2021 तक वो बर्खास्त हैं।  भले ही राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा की गई पूछताछ में चिकित्सा लापरवाही और भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला है लेकिन अभी भी उनके खिलाफ निचली अदालतों में मामले चल रहे हैं।

डॉ. कफील खान ने भी अपने हक की लड़ाई को जारी रखने का पूरा मन बना लिया है। उनका कहना है कि उन्हें कोई भीख नहीं चाहिए बल्कि उन्हे ससम्मान अपनी नौकरी वापस चाहिए।

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