आजमगढ़- " भारी पुलिस बल के साथ प्रशासन की टीम गांव हाथ मे फीता और जंजीर लेकर हमारे खेतों में घुसे थे। जब हमने इसका विरोध किया तो पीटा गया। इसके बाद हमने यहां धरना प्रदर्शन शुरू किया। इस धरने को एक साल पूरा हो गए हैं। अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं। जिन परिवारों में मौतें हुई उन परिवारों की माली हालत ठीक नहीं है। परिवार दुखों को झेल रहा है।" ये शब्द आजमगढ़ के मंदूरी में 12 अक्टूबर 2022 से धरना का चला रहे राजीव यादव और रामनयन यादव के हैं। अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के विरोध में चल रहे अनवरत धरने का एक साल पूरा हो गया। द मूकनायक की टीम आजमगढ़ के जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर खिरियाबाग दोबारा पहुंची और किसानों और उनके परिवार का हाल जाना।
यूपी के आजमगढ़ जिले में 12-13 अक्टूबर 2022 की दिन और रात में बिना किसी पूर्व सूचना, ग्रामीणों और ग्रामसभा के प्रतिनिधियों को अवगत कराए बिना एसडीएम सगड़ी, राजस्वकर्मी भारी पुलिस बल के साथ सर्वे का कार्य प्रारंभ कर दिया था। ग्रामीणों का आरोप था सरकार जबरन जमीन छीनना चाहती थी। जब इसका विरोध किया गया तो पुलिस और प्रशासन ने महिलाओं-बुजुर्गों को मारा-पीटा। उसी रात दोबारा सर्वे किया गया। विरोध करने पर ग्रामीणों के ऊपर पुलिस बल का प्रयोग किया गया जिसमें महिलाएं-बुजुर्ग घायल हो गए थे।
आरोप था कि दलित समुदाय की महिलाओं को जातिसूचक गालियां दी गई। उन्हें मारा गया, जिसके बाद ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मुलाकात की। आरोप लगा था कि जिलाधिकारी ने बातों को अनसुना कर फर्जी मुकदमे में फंसाने और रासुका के तहत कार्रवाई की धमकी दी थी। 13 अक्टूबर 2022 से गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरीराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी के ग्रामीण खिरिया की बाग, जमुआ हरिराम में धरने पर बैठ गए। पिछले 366 दिनों से यह धरना जारी है।
इस आंदोलन को लेकर खिरियाबाग किसान आंदोलन के अध्यक्ष रामनयन यादव द मूकनायक को बताते हैं-'इस आंदोलन के दौरान लगभग 60 लोगों की मौत हो चुकी है। एयरपोर्ट आने के डर से कई लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इस सदमे में 20 साल की उम्र से लेकर 65 साल के बुजुर्ग की मौत हो चुकी है। जिन परिवारों में मौतें हुई वह परिवार मुश्किलें झेल रहा है। कोई भी परिवार बहुत बड़े घर से नहीं था। इनकी छोटी काश्त हैं। कई किसान तो ऐसे हैं जिनके पास सिर्फ घर ही हैं। आज उन परिवारों में बहुत सी आर्थिक समस्याएं पैदा हो गई हैं।
घटना के पहले दिन को याद करते हुए सुनीता घबरा जाती हैं। वह द मूकनायक प्रतिनिधि से बातें साझा करती हुई कहती हैं-'12 अक्टूबर 2022 की रात को याद करके घबरा जाती हूँ। बिना किसी सूचना के पुलिस और जिला प्रशासन की टीम पहले दिन में फिर रात में हमारे गांवों में घुस आईं। जब उनका विरोध किया गया तो उन्होंने हमारी पिटाई की। जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित किया। मुझे तो पुलिस ने जीप में बैठा लिया। वह मुझे धमका रही थी। मुझे जेल भेजने की धमकी दी गई। आज भी रातों में नींद नहीं आती है। मेरा तो सिर्फ घर ही है। यह भी सरकार छीन लेगी तो हम कहां जाएंगे ?'
किसानों की महिला नेता नीलम द मूकनायक प्रतिनिधि से कहती हैं-'मैं उस दिन को याद करके घबरा जाती हूँ। हमारे गांव की महिलाओं के साथ अभद्रता की गई। उनकी पिटाई हुई। सोचा था कि कोई अच्छा बिजनेस चालू करूंगी और लड़कियों को भी काम सिखाऊंगी। इस एयरपोर्ट के कारण सब कुछ चौपट हो गया।ऊपर से हमारे और गांव के अन्य लोगों के ऊपर फर्जी तरीके से मुकदमा कर दिया। अब इसकी पेशी शुरू हो गई है। एक तरफ आंदोलन चल रहा दूसरी तरफ दबाव बनाने के लिए इस तरह के फर्जी मुकदमे कर दिए गए हैं। हम हार नहीं मानेंगे। अब कोर्ट कचहरी में भी पैसा बर्बाद होगा। '
इस आंदोलन को लेकर प्रेम द मूकनायक प्रतिनिधि को बताते हैं-'मैं किसान हूँ। परिवार का पेट पालने के लिए एक पिकप भी चलाता हूँ। जब इस आंदोलन की शुरुआत हुई तब मैंने और मेरी पत्नी ने इसका विरोध किया। पुलिसकर्मी इतने नाराज हुए कि मुझे फर्जी मुक़दमे में जेल भेजने की धमकी भी दी। वह मेरे पिकप को सीज करने की बात कहते थे। इस डर से मैं पिकप लेकर जाने से भी डरता था। अब कुछ काम शुरू किया है। लेकिन पहले जैसे काम कर पाता था उस तरीके से आज काम नहीं कर पाता हूँ। मन मे एक डर बैठा रहता है।'
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