एक तरफ पूरी दुनिया समता,समानता और बंधुत्व का पाठ पढ़ाने वाले दलित नायकों के याद में दलित हिस्ट्री मंथ (Dalit History Month) मना रहा है वहीं दूसरी ओर इक्कसवीं सदी के भारत में स्कूली बच्चों को छुआछूत से तंग आकर स्कूल छोड़ना पड़ रहा है।
उत्तरप्रदेश के चित्रकूट का है मामला
मामला उत्तरप्रदेश के चित्रकूट जिले के मानिकपुर तहसील के अमरपुर गांव का है। जहाँ बसोर (दलित) जाति से आने वाले केशन नामक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि पंचायत के ऊंंचाडीह पूर्व माध्यमिक में पढ़ने वाले उनके तीन बच्चों के साथ स्कूल में उनके जाति के कारण उन्हें हीन भावना से देखा जाता है और उन्हें अलग बैठने के लिए कहा जाता है।
बच्चों का आरोप : स्कूल में होता है छुआछूत, पानी पीने से भी रोका गया
स्थानीय अखबार में छपी एक रिपोर्ट में बच्चों ने बयान दिया है कि उन्हें उनकी कक्षा व स्कूल के कई छात्र उन्हें दूर बैठने को मजबूर करते हैं एवं जातीय टिप्पणी करते हैं। स्कूल और उनके घर के पास एक ही हैंडपंप है, जिससे पानी लेने जाने पर जातीय संबोधन कर उन्हें भगाया जाता है। अन्य वर्ग के लोग जब पानी भर लेते हैं, तब उन्हें पानी लेने दिया जाता है।
शिक्षकों से शिकायत किया तो पीड़ित छात्रों को डांट कर भगाया गया
पीड़ित छात्रों ने बताया है कि छुआछूत और भेदभाव की शिकायत शिक्षकों से करने पर उन्हें डांटकर भगा दिया जाता है इसलिए उन्होंने तंग आकर गांव के बच्चों ने स्कूल में पढ़ाई करना बंद कर दिया है। हैं
उक्त घटना की जानकारी मिलने एसडीएम प्रमेश श्रीवास्तव, तहसीलदार राजेश कुमार यादव व एबीएसए कृष्णदत्त पांडेय जांच करने स्कूल पहुंचे। दो घंटे तक पूछताछ के बाद एसडीएम ने बताया कि इस तरह का वाकया जागरूकता के आभाव में हो रहा है। जांच करने पहुँचें प्रशासनिक अधिकारियों ने शिक्षकों से किसी तरह का भेदभाव न करने का हिदायत दिया है।
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