वाराणसी- यूपी के काशी में सर्व सेवा संघ को लेकर चल रहे विवाद के बीच दिल्ली के राजघाट से चली जन यात्रा 11 अक्टूबर काशी के राजघाट पहुंची। इस दौरान विभिन्न संस्थान और सामाजिक लोगों की भीड़ मौजूद रही। अगस्त में सर्व सेवा संघ के कार्यालय को लेकर शुरू हुए विवाद के दौरान नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर को बाबतपुर एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया था। लेकिन इस यात्रा के दौरान वह भी लोगों की आवाज को मजबूत करने पहुंची। इसके साथ ही भारत के भिन्न-भिन्न राज्यों से आये लोग इस यात्रा में शामिल हुए। सभी का एक ही नारा था-'मोदी को हराना है,संविधान को बचाना है।'
बनारस में सबसे दक्षिणी इलाके में बने नमो घाट से सटे राजघाट की 13 एकड़ जमीन पर सर्व सेवा संघ प्रकाशन, गांधी विद्या संस्थान, साधना स्थल, गांधी स्मारक, जेपी प्रतिमा व आवास, वाचनालय, औषधालय, बालवाड़ी, अतिथि गृह, चरखा प्रशिक्षण केंद्र और डाकघर बने हुए थे। पेड़-पौधों से सुसज्जित परिसर हरा-भरा था। कभी यहां गांधी विचार से प्रेरित लोगों की बैठक होती थी। यहां आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर शूमाकर जैसी हस्तियां आ चुकी हैं। यह जमीन ऐसी जगह पर स्थित है जहां पानी, सड़क और रेल तीनों से यातायात की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में सरकार ने यहां पर एक बड़ा प्रोजेक्ट का ब्लूप्रिंट तैयार किया है। पूरी जमीन कभी रक्षा मंत्रालय की थी। रक्षा मंत्रालय से यह जमीन रेलवे ने खरीद ली। बाद में रेलवे ने यह जमीन सर्व सेवा संघ को बेच दी।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीनी विवाद पिछले 6 महीने से चला आ रहा है। सर्व सेवा संघ की जमीन को लेकर रेलवे और गांधी के अनुयायियों के बीच अब आर-पार की लड़ाई चल रही है। सर्व सेवा संघ के कार्यक्रम संयोजक राम धीरज ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया-'सर्व सेवा संघ के 13 एकड़ के कार्यालय की जमीन को भारतरत्न आचार्य विनोबा भावे ने चंदा मांगकर इकट्ठे किये रकम से 63 बरस पहले बनारस के राजघाट में जमीन खरीदी थी। बनारस की सरकार ने अभिलेखों और नियमों की अनदेखी करते हुए समूची जमीन अब रेलवे के हवाले कर दी है। बनारस के कलेक्टर एम.राजलिंगम ने 27 जून 2023 को रेलवे के पक्ष में एकतरफा आदेश पारित किया। 27 अगस्त को सर्वे सेवा संघ परिसर में प्रशासन ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की नोटिसें चस्पा की थीं।''
जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद हुआ और मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को मामला देखने को कहा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी ने 26 जून 2023 को दिए गए अपने फैसले में यह माना कि रेलवे ने यह ज़मीन साल 1941 में रक्षा विभाग से खरीदी थी। इस ज़मीन को आगे चलकर किसी निजी संगठन अथवा व्यक्ति को बेचने की नीति नहीं थी। इसके अलावा जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि अगर ज़मीन बेचनी ही थी तो रेलवे बोर्ड की पूर्व अनुमति के साथ सार्वजनिक निविदा के प्रकाशन के साथ यह कार्य किया जाना चाहिए था। डीएम ने यह भी कहा था कि याची अपनी सेल डीड की सत्यता का सत्यापन नहीं करा पाए हैं। याचियों ने डीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां उन्हें कोई राहत नहीं मिली। अलबत्ता एक सलाह देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह स्थानीय न्यायालय में लंबित मुकदमें के मामले में आवेदन कर सकते हैं। सर्व सेवा संघ ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। वहां से भी निराशा हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय अदालत जाने की सलाह दी।
सर्व सेवा संघ की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में वाद दाखिल हुआ। इस मामले में सुनवाई शुरू नहीं हुई है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद रेलवे ने शनिवार सुबह कब्जा खाली कराने की कार्रवाई शुरू कर दी।
गांधी के विचारों को दुनिया भर में फैलाने के लिए मार्च 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सर्व सेवा संघ की स्थापना की गई थी। विनोबा भावे के मार्गदर्शन में 62 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री डॉ. आनंद किशोर के मुताबिक साल 1960 में इस ज़मीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की कोशिशें शुरू हुईं। भवन का पहला हिस्सा साल 1961 में बनाया गया और साल 1962 में जय प्रकाश नारायण यहां खुद रहा करते थे। आचार्य विनोबा भावे की पहल पर सर्व सेवा संघ ने ये ज़मीन 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदी हैं। डिवीज़नल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। यह भवन 3 बार में पूरा बन सका था। जैसे-जैसे जमीनें खरीदी जाती रही, वैसे-वैसे भवन बनता चला गया। करीब 1971 तक 3 बार में यहां निर्माण पूरा हुआ। दावा है कि यह भवन गांधी स्मारक निधि और जयप्रकाश नारायण द्वारा किए गए दान-संग्रह से बनवाया गया था।
सर्व सेवा संघ के लिए कई दिनों से सत्याग्रह कर रहे रामधीरज ने आरोप लगाते हुए कहा है कि-' 500 की तादाद में पुलिस बल सर्व सेवा संघ परिसर में घुसकर बंदूक की नोक पर खाली करा दिया गया। पुलिस के लोगों ने उन्हीं बच्चों और अध्यापकों से बालवाड़ी को आधे घंटे के भीतर जबरदस्ती खाली कराया।'
बनारस के राजघाट में मौजूद इस विरासत को बचाने के लिए दिल्ली के राजघाट से 7 अक्टूबर को एक जन यात्रा वाराणसी के राजघाट के लिए निकली थी। यह यात्रा आज 12 बजे राजघाट पहुंची। इस यात्रा में सर्व सेवा संघ,गांधी स्मारक निधि,गांधी शान्ति प्रतिष्ठान सहित गांधीवादी विचार धारा वाले सैकड़ों लोग शामिल थे। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नर्मदा बचाओ की मेधा पाटेकर, मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक सुनीलम, खिरियाबाग के किसान नेता राजीव यादव मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ संदीप पांडेय , समाजविद प्रो आनंद कुमार , समाजवादी डॉ सुनीलम सहित अनेको समाजवादी गाँधीवादी जन दिन भर जनपंचायत में शामिल रहे। यात्रा के समर्थन में बनारस के बुद्धिजीवी संगठन के प्रतिनिधि छात्र नौजवान महिला संगठन और राजनैतिक संगठन के कार्यकर्ता जुटे।
जनांदोलन की नेता मेधा पाटेकर ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में यंहा महिलाओ का शामिल होना बतला रहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार से जनता कितनी नाखुश है। बनारस शहरी ग्रामीण में आप बनारस के लोगो ने वार्ड वार्ड और गाँव गाँव यात्रा की। लोगो में इस बात को लेकर नाखुशी है जेपी विनोबा की विरासत सेवा संघ को तोडा गया है। मेरा आप सबसे अनुरोध है की सामाजिक सौहार्द का ताना बाना जोड़े रखें , सहिष्णुता बरकरार रखे। सर्वोदयी आप सब आपातकाल विरोधी आंदोलन के सिपाही हो , याद करो आप , आंदोलन के असल सिपाहियों में बहुत आशावादिता थी।
यात्रा में शामिल वरिष्ठ समाजवादी विचारक प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि देश आपातकाल से भी खतरनाक दौर से गुजर रहा है। सत्ता में बैठी पूंजीपतियों की तानाशाही सरकारें स्वतंत्र विचार रखने और सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने, सवाल पूछने वालों पर न सिर्फ पाबंदी लगाई जा रही है, बल्कि ऐसे लोगों को टारगेट कर प्रताड़ित भी किया जा रहा है। बेवजह जेलों में ठूंसा जा रहा है। जाति तथा मजहब के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। अन्याय, उत्पीड़न लगातार बढ़ रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
ज्ञातव्य है कि बनारस में सर्व सेवा संघ पर सरकार द्वारा जबरन कब्जा किये जाने के बाद से ही गाँधीजन आंदोलित हैं। बनारस शहर और ग्रामीण में सघन यात्रा और संवाद कार्यक्रम हुए हैं। दूसरी और देश भर कार्यकर्ताओ और गांधीजनों ने एक यात्रा दिल्ली राजघाट से वाराणसी तक के लिए निकाली जो की जयप्रकाश नारायण के जयंती के अवसर पर बनारस में शास्त्री घाट पर जनपंचायत के रूप में शोभायमान हुई।
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष तथा पूर्व विधायक डा0 सुनीलम ने कहा कि मोदी सरकार गांधी, जयप्रकाश और विनोबा की विरासत के केंद्र सर्व सेवासंघ के परिसर को नष्ट कर उसे अडानी को सौंपना चाहती है जिसका प्रतिरोध पुरे देश में चल रहा है। उन्होंने कहा कि बनारस में महिलाओं के नेतृत्व में हुई सभा और ये यात्रा आने वाले समय में राजनीति की बदलाहट को बता रहा है।
सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि देश में तार्किक लोगों के वनस्पत धर्मांध लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा के गांधी विचार को माफी वीर कटरपंथी कभी नहीं मिटा पाएंगे। जरूरत है हमे धैर्य से काम करने की।
मैग्सेसे अर्वाड विजेता और चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने कहा कि सत्ता पर काबिज पार्टी को संविधान पसंद ही नहीं है। लोकतंत्र, संविधान, समाजवाद, सामाजिक न्याय, बंधुता जैसे शब्दों से फासिस्टों को चिढ़ है। उन्होंने कहा कि अब जनता को तय करना होगा कि उन्हें नए समाज परिवर्तन का स्वप्न वाला हिंदुस्तान बनाना है या इन फिरकापरस्तों के समक्ष आत्मसमर्पण करना है। सरकार पर कटाक्ष करते हुए संदीप भाई ने कहा कि सत्ता की हनक में सर्व सेवा संघ के भवन को तो बुल्डोजर से ध्वस्त कर सकते हो, लेकिन गांधी का विचार नहीं मिटा सकते। यह विचार पुरी दुनिया में फैल चुका है। यात्रा की संयोजिका गुड्डी ने कहा कि गांधीवाद के विचार से ही पुरानी सोच के कटटरपंथी ताकतें घबड़ाती हैं। इसलिए उन सभी संस्थानों, व्यक्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। समय रहते हमे चेतना होगा। संघ के भवन को गिराने की निंदा करते हुए कहा कि 2024 में मोदी सरकार को हटाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
बनारस में चल रही यात्रा के संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि एक तरफ विकराल महंगाई, बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और दूसरी तरफ यह कॉर्पोरेट परस्त हुकूमत जन विरोधी नीतियों को थोप कर जनता की परेशानी में और इजाफा कर रही है। छात्र नौजवान बेरोजगार घूम रहा है। गांव समाज में हिन्दू मुस्लिम भेदभाव और घृणा बढ़ रही है। सबको खिलाने वाला किसान खुद भूखे पेट खुदकुशी करने को मजबूर हो रहा है। 'संविधान के वास्ते-गांधी के रास्ते' यात्रा में दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड से प्रतिनिधियों ने शिरकत की.
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