उत्तर प्रदेश। गोंडा जिले में ग्राम प्रधान, विकास अधिकारी सहित 5 लोग मिलकर मनरेगा का लाखों रुपये डकार गए। डीएम नेहा शर्मा के आदेश पर पांचों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। जांच में शासकीय धनराशि के गबन के आरोपों की पुष्टि हुई है।
यूपी में गोंडा जिले के झंझरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत कुन्दुरखी में मनरेगा योजना पैसों का गबन का पूरा मामला है। डीएम द्वारा कराई गई जांच के मुताबिक विकासखण्ड झंझरी की कुन्दुरखी में वित्तीय वर्ष 2022- 23 में मनरोगा योजनान्तर्गत पुलिस चौकी कहोबा से शोभा राम के खेत तक नाले की मिट्टी खुदाई कार्य कराया गया था। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने संबंधित कार्य में गड़बड़ी की शिकायत पर जांच के आदेश देते हुए एक समिति गठित की थी। इस समिति ने संयुक्त जांच रिपोर्ट 13 अक्टूबर 2023 को दी।
जांच में खुलासा हुआ कि प्रस्तावित कार्य की अनुमानित लागत 18.35 लाख रुपये है। पत्रावली के अनुसार 17.31 लाख रुपये का श्रमिकों को देने के लिए आवंटित किए गए. एमआईएस रिपोर्ट के मुताबिक परियोजना पर 16.75 लाख रुपये व्यय मजदूरी के रूप में किया गया और सामग्री में भुगतान शून्य है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना स्थल पर कुल धनराशि 8,69,441 रुपये का काम हुआ है। इस प्रकार भुगतान की गई धनराशि के सापेक्ष कार्य पर कुल 8,06,392 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। वहीं, मौके पर कम काम किया गया। जांच में खुलासे के बाद डीएम नेहा शर्मा के आदेश पर परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण चन्द्रशेखर द्वारा कोतवाली नगर में एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिसमें ग्राम प्रधान रेखा देवी, ग्राम विकास अधिकारी प्रसून श्रीवास्तव, ग्राम रोजगार सेवक किशोरी लाल, तत्कालीन तकनीकी सहायक प्रदीप कुमार और तत्कालीन अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी शामिल हैं।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं किया जाएगा। प्रदेश सरकार की भ्रष्ट के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। जनपद में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार करने वालों को माफ नहीं किया जाएगा।
यूपी के महराजगंज जिले में मई 2023 में मनरेगा घोटाले का मामला सामने आया था। पुलिस ने खंड विकास अधिकारी की तहरीर पर मामला दर्ज किया था। यह मामला सदर ब्लाक के ग्राम सभा तरकुलवा में 37.70 लाख रुपये के घोटाले का है। जिसमें बिना काम कराए ही भुगतान कराने का आरोप लगा था।
मामले में कोतवाली पुलिस ने खंड विकास अधिकारी सदर की तहरीर पर मेसर्स अंकित इंटरप्राइजेज के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन का मुकदमा दर्ज किया था मामला वित्तीय वर्ष 2019-20 का था। ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि सदर क्षेत्र के ग्राम सभा तरकुलवा में पोखरी में मनरेगा से बिना काम कराए ही भुगतान करा लिया गया। शिकायत की जांच शुरू हुई तो यह बात सामने आई कि जिस पोखरे के सुंदरीकरण के नाम पर 37.70 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। जबकि उसका अस्तित्व ही नहीं था। जांच आगे बढ़ी तो यह बात सामने आई कि पांच गांव के मनरेगा मजदूरों के खाते में 17 लाख 70 हजार रुपये मजदूरी का भुगतान किया गया था।
मैटेरियल खरीद मद में बीस लाख रुपये का भुगतान मेसर्स अंकित इंटर प्राइजेज को किया गया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर सीडीओ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था। इसके बाद बीडीओ सदर चंद्रशेखर कुशवाहा ने कोतवाली में तहरीर दी थी।
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