उत्तर प्रदेश: किसान नेता के घर पुलिस का धावा, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने उठाए सवाल

किसान नेता राजीव यादव ने यूपी पुलिस पर बेवजह परेशान करने का लगाया आरोप।
उत्तर प्रदेश: किसान नेता के घर पुलिस का धावा, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने उठाए सवाल
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लखनऊ/आजमगढ़: सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय महासचिव, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डाक्टर संदीप पाण्डेय ने सोशलिस्ट किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव के आजमगढ़ स्थित घिनहापुर गांव में देर रात पुलिस द्वारा रेड व परिजनों से पूछताछ की निंदा की. उन्होंने कहा कि इसके पहले भी राजीव यादव को गैरकानूनी तरीके से एसटीएफ उठा चुकी है, इसलिए रात के अंधेरे में पुलिस का उनके घर जाना संदेह प्रतीत करता है। इधर, राजीव यादव ने यूपी पुलिस पर बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया है।

संदीप ने आगे कहा कि किसान नेता राजीव यादव के गांव घिनहापुर, पोस्ट गोपालपुर, थाना मेंहनगर जनपद आजमगढ़ उनके घर गत दिनों देर रात ग्यारह बजे के करीब एक गाड़ी से पांच-छह की संख्या में पुलिसकर्मी जाते हैं और वहां सो रहे पूर्व प्रधान गंगा प्रसाद यादव से राजीव यादव के बारे में पूछताछ करने लगते हैं। राजीव का घर कौन सा है, कहां रहते हैं, घर कब आते हैं इस तरह के सवाल। पूछताछ के बारे में पूछने पर बताया कि कोई कागज आया है जिसके संबंध में वे आए हैं। राजीव के ताऊ गंगा यादव से उनके भाइयों समेत राजीव के माता, पिता, भाई, बहन के बारे पूछताछ की. राजीव का मोबाइल नंबर और उनका नंबर मांगा.

इसके पहले भी कई बार राजीव के घर जाकर आजीविका, संपत्ति, शादी आदि के बारे में पुलिस द्वारा पूछा गया था. जिसके बारे में आजमगढ़ जिलाधिकारी से वार्ता के दौरान भी किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सवाल किया था, जिसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला. दिसंबर 2022 में वाराणसी से आते वक्त राजीव यादव और उनके भाई अधिवक्ता विनोद यादव को सरेराह एसटीएफ द्वारा उठा लिया गया था और फरवरी 2023 में जिलाधिकारी आजमगढ़ से वार्ता कर लौट रहे राजीव यादव और किसान नेता वीरेंद्र यादव को कंधरापुर के पास से उठाने की कोशिश हुई लेकिन ऐन वक्त आंदोलनकारी किसान और आम जनता के आ जाने के बाद अपहरणकर्ता भाग गए, जिसको लेकर पुलिस से शिकायत की गई, लेकिन कोई एफआईआर नहीं दर्ज किया गया.

संदीप पाण्डेय ने कहा कि राज्य की जिम्मेदारी होती है कि वह लोकतांत्रिक आवाजों का संरक्षण करे, पर यहां जिस तरह से राजीव यादव को लेकर पुलिस देर रात जाकर पूछताछ कर रही है..., उससे प्रशासन की मंशा पर संदेह प्रतीत होता है कि कहीं वह उन्हें किसी फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश तो नहीं कर रही है। पूर्व में पुलिस द्वारा गैरकानूनी तरीके से उठाने की घटनाएं उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल है।

द मूकनायक को राजीव यादव ने बताया कि नए साल के पहले दिन पुलिस मेरे घर पहुंची और मेरे बारे में पूछताछ की। पुलिस ने कहा कि चुनाव को लेकर वेरिफिकेशन के लिए आए हैं। परिजनों ने कहा कि चुनाव लड़े थे तो उसकी सूचना तो सरकार के पास है ही। जहां माता-पिता रहते हैं उस मकान के बारे में पूछा तो मम्मी ने कहा किराए के मकान में रहते हैं।

"इसके पहले 30 दिसंबर 2023 की रात भी जब पुलिस मेरे गांव घिनहापुर गई थी तो जमीन-मकान आदि के बारे में पूछ रही थी। मेरे गांव पर जो मेरे पिता ने मकान बनवाया वो आधा-अधूरा एक कमरे का है। शेष परिवार किराए के मकान में रहता है। आज ही मेरे मोबाइल पर एक इंस्पेक्टर के नाम से फोन आया और पूछताछ करने लगे तो मैंने सवाल किया कि क्यों आप मेरे बारे में जानना चाहते हैं। उन्होंने किसी कागज के बारे में बताया और मम्मी-पापा शहर में जहां रहते हैं, उस जगह का जिक्र किया। मुझे लगा मेरे बारे में फिर मेरे मम्मी पापा से पूछेंगे वे बेवजह वे परेशान होंगे।

राजीव ने आगे कहा कि अगर यह कोई कानूनी प्रक्रिया है तो इसे सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए न कि रात के अंधेरे में परिजनों को पूछताछ के नाम पर मानसिक उत्पीड़न किया जाए।

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