उत्तर प्रदेश। आगरा जिले में सीवर की मांग को लेकर एक दूल्हा-दुल्हन ने प्रदर्शन का अनोखा तरीका अख्तियार किया। घर के आस-पास लम्बे समय से सड़क पर भरे हुए पानी का विरोध करने के लिए कीचड़ और गंदे पानी में खड़े होकर प्रदर्शन किया। इस दौरान वहां मौजूद सभी लोगों ने एक तख्ती पकड़ी हुई है, जिसके माध्यम से वह सड़क और नाले की स्थिति को प्रदर्शित कर विरोध कर रहें है। लोगों का कहना है यदि सीवर का निर्माण नहीं हुआ तो वोट नहीं देंगे।
आगरा जिले के समेरी, नौबरी, पुष्पांजलि होम्स, पुष्पांजलि इको सिटी, सहित करीब 30 से अधिक कॉलोनियों के लोग आवाजाही के लिए इसी सड़क का प्रयोग करते हैं। इस सड़क की हालत बहुत खराब है। यहां सड़क टूटी है, गड्ढे हैं। नाले का पानी, कीचड़ और गंदगी से लोग बहुत परेशान हो गए हैं। इस सड़क के खराब होने के कारण लोगों को 2 किलोमीटर का चक्कर लगाकर अन्य मार्गों से यात्रा करनी पड़ती है। इस मामले और सड़क को दुरुस्त करने के लिए यहां से स्थानीय लोग कई बार जनप्रतिनिधियों से बात कर चुके हैं। लेकिन किसी ने कोई सहायता नहीं की है। इससे परेशान होकर लोगों ने प्रशासन का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए एक नया तरीका अपनाया है।
यहां नजदीक में रहने वाले दंपति ने अपनी शादी का सालगिरह सड़क पर मनाते हुए विरोध प्रदर्श किया है। इस दंपति ने दुल्हा-दुल्हन का पहनावा पहन लिया और नाले के पानी और कीचड़ के बीच खड़े होकर एक दूसरे को जयमाला पहनाकर शादी की 17वीं सालगिरह सेलिब्रेट की। इस दौरान मौजूद लोगों के हाथ में तख्ती थी, जिस पर साफ अक्षरों में लिखा था 'सीवर नहीं तो वोट नहीं'। इन लोगों का साफ कहना है, अब जब तक 'विकास नहीं वोट नहीं'।
इस मामले का समाधान निकालने का अनोखा तरीका अपनाने वाले और दूल्हे के गेटअप में तैयार होने वाले भगवान शर्मा द मूकनायक को बताते हैं कि, पिछले 15 वर्षों से सड़क के विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वह जनप्रतिनिधि व संबंधित लोगों से बात कर चुके हैं। यही कारण है उन्हें परेशान होकर विरोध करने के ये तरीका अपनाना पड़ा।
जबकि, दुल्हन बनी भगवान शर्मा की पत्नी ने बताया कि, ये विरोध हमारी परेशानियों को दिखाने का तरीका है। सरकार तो अच्छा कार्य कर रही है, लेकिन उनके कार्यकर्ता हमारी समस्याओं को देखने नहीं आते हैं।
आज के समय में लोग अपनी परेशानियों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए अजीबो गरीब तरह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब देखना ये है कि स्थानीय निवासियों का ये नया उपाय कितना कारगर साबित होता है।
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