निठारी कांड: क्यों रद्द हुई आरोपियों की फांसी की सजा, अपराध जगत में सबसे कुख्यात थी घटना!

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा रद्द करते हुए उन्हें बरी करने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्टफोटो साभार- इंटरनेट
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उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड में दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) और मनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) को सोमवार (16 अक्टूबर) को बरी करने का आदेश सुनाया है। नोएडा के चर्चित निठारी कांड में हाईकोर्ट ने दोनों को मिली फांसी की सजा को भी रद्द कर दिया। हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, "इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया है। उसके खिलाफ कुल 6 मामले थे. सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) को सभी मामलों से रिहाई मिल गई है।"

निठारी कांड ने यूपी समेत पूरे देश को हिला कर रख दिया था। ये ऐसा कांड था, जिसकी चर्चा आज भी की जाती है। ये कांड देश में हुए जुर्म के सबसे कुख्यात कांडों में से एक है। इस केस में सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) के खिलाफ 16 केस दर्ज थे, जिसमें से 14 केसों में उसे फांसी की सजा मिल चुकी थी। तो वहीं मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) के खिलाफ 6 केस दर्ज थे, जिसमें से 3 मामलों में उसे भी फांसी की सजा मिल चुकी थी। मगर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब दोनों को बरी कर दिया है।

निठारी कांड के दोषियों की फांसी की सजा निरस्त

नोएडा का निठारी कांड मीडिया की सुर्खियां बना था। मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) की कोठी के पीछे नाले से नर कंकाल बरामद किए गए थे। पुलिस की जांच आगे बढ़ने के साथ रोंगटे खड़े कर देने वाली दरंदिगी सामने आई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से वर्षों पुराना मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया। सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 15 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनाया फैसला

जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एस एच ए रिजवी की खंडपीठ ने सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) और मनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट का फैसला सीबीआई के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में सजा ए मौत को निरस्त किए जाने की अर्जी दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट से मनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) को एक मामले में पहले ही रिहाई मिल चुकी है।

"फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे"

CBI के अधिवक्ता संजय यादव ने कहा, "रिम्पा हल्दर मर्डर केस में सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) को फांसी की सजा ट्रायल कोर्ट से सुनाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा है। इस मुकदमे में जो एविडेंस थे, वही एविडेंस बाकी मुकदमों में थे।"

38 गाव पेश हुए

निठारी कांड को सीबीआई ने 11 जनवरी 2007 को अपने हाथ में लिया था। 26 जुलाई 2007 को अदालत में चार्ज शीट पेश हुई थी। सीबीआई कोर्ट में 305 दिन सुनवाई हुई, कुल 38 गाव पेश किए गए।

आरोपियों ने दलील में क्या कहा

आरोपियों की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई है कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। इस पूरे मामले में सिर्फ वैज्ञानिक व परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है। और फांसी की सजा दी गई है। इसी के चलते आरोपियों की ओर से फांसी की सजा को रद्द किए जाने की अपील की गई है। वहीं मनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) एक मामले में हाईकोर्ट से बरी हो चुका है।

निठारी कांड क्या है?

नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी गांव है। यहां D-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंढेर रहता था। मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) मूल रूप से पंजाब का रहने वाला था। साल 2000 में उसने ये कोठी खरीदी थी, जिसमें 2003 तक उसका परिवार भी रहता था लेकिन इसके बाद मोनिंदर को छोड़कर बाकी लोग पंजाब शिफ्ट हो गए।

मोनिंदर घर में अकेला रहता था। इसी दौरान उसने अल्मोड़ा (उत्तराखंड) निवासी सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) को नौकर के रूप में घर में रख लिया। जानकारी के अनुसार, मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) अक्सर इस कोठी पर कॉलगर्ल बुलाता था। एक बार सुरेंद्र कोली ने वहां आई एक कॉलगर्ल से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा जताई तो कॉलगर्ल ने ऐसा कुछ कह दिया जो सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) को बुरा लगा। इसके बाद सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और शव को पास के नाले में फेंक दिया। D-5 कोठी में ये पहला मर्डर था। इसके बाद तो जो लड़की इस कोठी में आई, वो जिंदा वापस नहीं गई। धीरे-धीरे इस इलाके से कई बच्चियां लापता होनी शुरू हो गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने उन्हें आखिरी बार इसी कोठी के बाहर देखा था, लेकिन ठोस सुबूत न होने से पुलिस मोनिंदर-सुरेंद्र पर हाथ नहीं डाल पाई।

रेप के बाद करते थे हत्या, नाले से मिले थे 19 से ज्यादा कंकाल

25 साल की आनंदा देवी भी इसमें एक थी। वो मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) के घर में घरेलू सहायिका बनकर आई थी और 31 अक्टूबर 2006 को लापता हो गई। इससे पहले ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) की दीपिका उर्फ पायल नौकरी की तलाश में 7 मई 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) के पास गई थी, वो भी वापस नहीं लौटी। 24 अगस्त 2006 को नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की तो दीपिका का मोबाइल सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) के पास से मिला।

ये पहला केस था, जब किसी मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) और सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) फंसे थे। पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने दीपिका उर्फ पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कुबूली। 29 और 30 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए, जो सिर्फ लड़कियों के थे‌। इस मामले में खुलासा हुआ कि मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) और सुरेंदर कोली (Surendra Koli) यहां लड़कियों को किसी बहाने से बुलाते थे और रेप के बाद हत्या करके उनका शव इस नाले में फेंक देते थे।

निठारी गांव वालों का आरोप- पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्‍यापार होता था

दोनों आरोपियों ने दो मामलों में अपनी फांसी की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आरोपियों ने कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्‍मदीद नहीं मौजूद है। उन्‍हें सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्‍य सबूतों के आधार पर ये सजा सुनाई गई है। आरोप है कि कोठी से गुजरने वाले बच्‍चों को पकड़कर सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) उनके साथ दुष्‍कर्म करता था। और उनकी हत्‍या कर उन्‍हें नाले में फेंक देता था। निठारी गांव के लोगों का यह भी कहना था कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्‍यापार होता था। कोली और पंढेर बच्‍चों को मारकर उनके अंग निकाल लेते थे। इन्‍हें विदेश में बेचा जाता था।

उत्तराखंड से दिल्ली आया था सुरेंद्र कोली

(Surendra Koli) उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का रहने वाला है वह 2000 में दिल्ली आया था। यहां आकर वह एक ब्रिगेडियर के घर खाना बनाने का काम करने लगा, और 2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) के संपर्क में आया। इसके बाग कोली नोएडा के सेक्टर 31 के 5-D में काम करने लगा। साल 2004 में मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) के परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों एक साथ रहने लगे। आरोप है कि कोली यहां से गुजरने वाले बच्चों के साथ पहले दुष्कर्म करता था और फिर बाद में उनकी हत्या कर नाले में फेंक देता था।

19 बच्चों के मिले थे कंकाल

29 दिसंबर, 2006 को गौतम बुद्ध नगर के निठारी इलाके में मोनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) की कोठी के पीछे स्थित नाले से 19 कंकाल बरामद किए गए थे। इस मामले में कोली और पंढेर को नोएडा की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। इस पूरे मामले में कुल 16 मामले दर्ज किए गए थे और अदालत में 2007 में आरोप पत्र दाखिल किया था।

पीड़ितों के परिजन बोले, न्याय की लड़ाई लड़ेंगे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत के फैसले से पीड़ितों के परिजन मायूस हैं। उनका कहना है कि उनके बच्चों को 17 साल बाद भी न्याय नहीं मिला। इसलिए वह न्याय हासिल करने के लिए आगे की रणनीति तय करेंगे। इस हत्याकांड की शिकार महिलाओं और बच्चों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर पैतृक गांव जा चुके हैं। मात्र चार लोग ही नोएडा में रह रहे हैं।

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