उत्तर प्रदेश: लखीमपुर में नाबालिग युवक दोषी करार, अंतिम सांस तक रहेगा जेल में..

उत्तर प्रदेश में पहली बार गैंगरेप और हत्या के मामले में आरोपी नाबालिग को अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
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सांकेतिकफोटो साभार- इंटरनेट
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उत्तर प्रदेश। लखीमपुर खीरी जिले में दो नाबालिग दलित बहनों से गैंगरेप के बाद हत्या करने के मामले में आरोपी नाबालिग लड़के को दोषी करार देते हुए पॉक्सो अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसकी उम्र 17 वर्ष महीना थी। उत्तर प्रदेश में पहली बार गैंगरेप और हत्या के मामले में आरोपी नाबालिग को अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।

जनिये क्या है पूरा मामला?

यूपी के लखीमपुर जिले के निघासन कोतवाली इलाके के एक गांव में 14 सितंबर 2022 को दोपहर बाद करीब तीन बजे दो नाबालिग बहनों को कुछ लोग अगवा कर ले गए थे। इन दोनों बहनों के शव अजय सिंह के गन्ने के खेत की मेड़ पर लगे एक पेड़ के पास मिले थे। लड़कियों की मां ने पुलिस में दर्ज कराई एफआईआर में गांव के एक युवक सुनील उर्फ छोटू सहित अज्ञात पर 323, 452, 376 और 302 आईपीसी के तहत मुकदमा लिखवाया था। दो सगी बहनों की निर्मम हत्या से सियासी भूचाल उठा तो योगी सरकार ने आनन-फानन में एक एसआईटी गठित कर दी। एसआईटी ने घटना के अगले दिन ही हत्या व रेप के मामले में नामजद सुनील उर्फ छोटू सहित पांच लड़कों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से मुख्य आरोपी जुनैद को पुलिस ने एक एनकाउंटर में गिरफ्तार किया। एसआईटी ने मामले की तफ्तीश शुरू की और जांच के बाद मामले में धारा बढ़ा दी। इसके साथ ही एससी-एसटी एक्ट भी लगा दिया गया। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने 15 दिनों के अंदर अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

पुलिस ने अदालत में 43 गवाहों की लिस्ट सौंपी थी, जिसमें युवती के माता-पिता, पुलिसकर्मी और शवों का पोस्टमार्टम करने वाला डाक्टरों का पैनल सहित गांव के अन्य सदस्य शामिल है। इसमें से 15 का परीक्षण कराया गया। लोक अभियोजक ब्रजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि अभियोजन ने साइंटिफिक जांच रिपोर्टों, गवाहों और पुलिस अफसरों को भी गवाहों के रूप में अदालत में पेश किया है।

पीड़ित पक्ष की तरफ से किए गए अतिरिक्त अधिवक्ता शरद प्रसाद ने बताया, "वारदात में पुलिस ने 6 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें सुनील उर्फ छोटू के पड़ोसी गांव के जुनैद, आरिफ और करीमुद्दीन भी आरोपी बनाए गए। आरोप है कि जुनैद और उसके दो साथियों ने अगवाकर पहले गन्ने के खेत में लड़कियों से रेप किया। फिर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद साक्ष्य मिटाने के लिए दो और साथियों आरिफ और करीमुद्दीन को बुलाया। इनमें कोर्ट में परीक्षण के दौरान दो आरोपी नाबालिग निकले। एक 16 साल से कम और एक 16 से 18 साल के बीच का निकला। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अदालत ने इन दोनों आरोपियों को जुवेनाइल कोर्ट और चिल्ड्रन कोर्ट भेज दिया। कोर्ट में बचाव पक्ष की तरफ से वकील सुरेश कुमार सिंह मुन्ना, वकार अहमद और फिरोज खान ने अपनी दलीलें बचाव में रखी हैं।"

14 अगस्त 2023 को इस मामले में कुल 5 अभियुक्तों को सजा सुनाई जा चुकी है। दो लोगों को उम्रकैद वहीं, दो लोगों को 6-6 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। घटना में पांचवें अभियुक्त किशोर आरोपी को मर्डर की आईपीसी की धारा-302/34, 323, 452, 363, 376 DA, 201 IPC, 5G/6 पॉक्सो एक्ट में दोषी करार दिया गया है। उसपर 46 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।

नाबालिग को कैसे हुई सजा?

लखीमपुर खीरी का केस देख रहे पीड़ित परिवार के निजी वकील शरद प्रसाद ने बताया, "कोर्ट के नियमों के अनुसार कोई भी नाबालिग किशोर जिसकी सोच एक बालिग व्यक्ति की तरह काम करती हो अथवा उसकी उम्र 16 से 18 के बीच की हो और वह हत्या और रेप जैसे जघन्य अपराध कारित करे तो उसे एक बालिग की भांति ही दंड दिए जाने का प्रावधान है।"

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