मोहद्दीनपुर से लौट कर
यूपी के कौशाम्बी जिले के संदीपनघाट थाना क्षेत्र में गत गुरुवार/शुक्रवार की दरमियानी रात हुई तीन दलितों की हत्या के बाद उपजी हिंसा व आगजनी में भारी नुकसान हुआ है। 50 घरों के इस गांव में अब सन्नाटा पसरा है। घटना के बाद लोग तो फरार हो गए, लेकिन उनके मवेशी जहां थे, वहीं आज भी खुले में बंधे हुए हैं। उन्हें चारा खिलाने वाला भी कोई नहीं है। खाली पड़े घरों के अंदर घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी, जिसके निशान मौजूद है।
द मूकनायक की टीम लखनऊ से लगभग 180 किमी दूर कौशाम्बी के उस स्थान पर पहुंची जहां यह घटना हुई थी। यह गांव जिला मुख्यालय मंझनपुर से लगभग 35 किमी दूर है। टीम चायल क्षेत्र में सन्दीपनघाट थाना क्षेत्र के मूरतगंज चौराहे से हररायपुर गांव की ओर से होकर मोहद्दीनपुर पहुंची। यह रास्ता कुरई घाट की ओर जाता है। लगभग 10 किमी चलने पर बाएं ओर मोहद्दीनपुर राजकीय आईटीआई कालेज बना हुआ है। आईटीआई कालेज के सामने ही यह गांव बसा है। गांव में लगभग 50 मकान हैं।
गांव के अधिकांश घर आग के हवाले किए गए थे, घरों के अंदर कमरे में जमीन पर रखे हुए बर्तन के अंदर रखा हुआ खाना देखकर ऐसा लग रहा था घटना से पहले कुछ लोग खाना बनाकर नहाने की तैयारी कर रहे थे या कोई बर्तन धुलने जा रहा था। कोई अपने काम से निकलने वाला था। घर के बाहर बंधे जानवर देखकर ऐसा महसूस हो रहा था कि भैसों को चारा खिलाकर उन्हें दुहने (दूध) निकालने की तैयारी थी और अचानक यह बवाल हुआ और भगदड़ मच गई। लोग सारा सामान जस का तस छोड़कर भाग गए।
गांव में घुसते ही सड़क पर जयकरन यादव डेयरी थी। डेरी के बाहर रखा हुआ फ्रिज पूरी तरीक़े से जला हुआ था। दुकान का शटर मानो तोड़ने की कोशिश की गई थी। इस डेयरी के बगल में एक गुमटी भी रखी थी जिसे आक्रोशित भीड़ ने पलट दिया। गुमटी के पास ही कोल्ड्रिंक की टूटी हुई बोतलें पड़ी थी। इस गुमटी के ठीक पीछे ही डेयरी का किचन मौजूद था जो आगजनी के बाद राख में बदल चुका था। डेयरी से सटी हुई परचून की दुकान के बाहर तेल,शैम्पू,चिप्स और टॉफियों के डिब्बे बिखरे पड़े थे।
द मूकनायक की टीम कुछ आगे बढ़ी तो मकानों के बाहर जले हुए वाहन खड़े थे। एक सफेद रंग के पुते हुए कोयले और राख की छींटे ध्यान खींच रही थीं। मानो पेट्रोल बम से हमला किया गया हो। इसके ठीक बगल में एक घर में चैनल खुला पड़ा था। दो मंजिल के इस मकान के चैनल के अंदर घुसते ही दाहिने तरफ के कमरे में हिंसा और आगजनी के निशान साफ दिख रहे थे। पूरे घर में राख और धुएं की गंध भरी हुई थी। कमरे में दो तख्त पड़े हुए थे जो बीच से जल चुके थे। घर के और अंदर जाने के लिए एक लोहे का दरवाजा भी मौजूद है। इसे मानो बेलचे से खोला गया हो। लोहे के दरवाजे पर पड़े निशाना उस घटना के बाद हुई हिंसा को खुद ही बता रहे थे। इस घर में पीछे की तरफ जाने पर जमीन पर स्कूल की अधजली किताबें पड़ी हुई थीं। कमरे के एक कोने में राशन का ढेर पड़ा हुआ था जो अब जल चुका था।
50 मकानों में जमकर तोड़-फोड़ व आगजनी की गई। उनके घर के बाहर खड़े वाहन जले हुए पड़े थे। इस घटना में लगभग एक दर्जन वाहन फूंक दिए गए। कारखाने और दुकानें जला दी गईं। कई घर खुले पड़े हैं। इनमें रहने वाले सभी लोग फरार हैं।
घटना के बाद गांव के अधिकांश लोग घर छोड़कर भाग गए, लेकिन उनके मवेशी जिस हाल में थे उस हाल में आज भी बंधे हुये हैं। उन्हें चारा देने वाला भी कोई नहीं बचा है। गाय-भैंस धूप में भूखे प्यासे बंधे हुए नजर आए।
ट्रिपल मर्डर मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीजी जोन के आदेश पर गांव में अस्थाई थाना स्थापित किया गया है। इसमें एक निरीक्षक,11 उप निरीक्षक और 60 कांस्टेबल, महिला कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल की तैनाती की गई है। यह अस्थाई थाना तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया गया है। सभी पुलिसकर्मी ड्यूटी पर मौजूद है, जिससे इलाके में लॉ एंड आर्डर की स्थित बनी रहे।
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