“बहुत बड़ी क्रांति का दिन था जब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ा” — डॉ. लक्ष्मण यादव

“बहुत बड़ी क्रांति का दिन था जब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ा” — डॉ. लक्ष्मण यादव
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महामना रामस्वरूप वर्मा की जयंती के अवसर पर क्रांति दिवस आयोजित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित ज्ञान विज्ञान समिति भवन परिसर में सोमवार को विचार संगोष्ठी आयोजित हुई। अर्जक संघ एवं पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा की ओर से महामना रामस्वरूप वर्मा जयंती के अवसर पर 'अर्जक पर्व क्रांति दिवस' कार्यक्रम के तहत विचार मंथन किया गया।

संगोष्ठी में दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा, "बहुत बड़ा क्रांति का दिन था जब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ा था। जब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर व गांधी जी में डिबेट चल रहा था तो बाबा साहब ने कहा था कि आप आजादी के लिए लड़ रहे है, लेकिन दलित समाज हजारों हजार साल से गुलाम है। मैं इनकी आजादी के लिए लड़ूंगा।"

दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. लक्ष्मण यादव
दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. लक्ष्मण यादव

उन्होंने आगे कहा, "आज जरूरत है कि रामस्वरूप वर्मा के विचारों को उनके साहित्य को घर-घर तक ले जाया जाए। वहीं सभी दलित, पिछड़ों व आदिवासियों को एकजुट किया जाए। तभी हमें देश के संसाधनों और सत्ता में भागीदारी मिलेगी।"

संगोष्ठी में अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवराजसिंह ने कहा, "महामना रामस्वरूप वर्मा ने अपने साहित्य में अर्जन या उत्पादन करने वाली सभी जातियों को एक जुट होकर अपने हक और अधिकार के लिए लड़ने की अपील की है। आज जाति के अंदर जातियों में बंटे अर्जक समाज को एक जुट होने की जरूरत है। इसके लिए महामना के साहित्य और उनके विचारों को घर-घर तक पहुंचाना है।" संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक रामलाल आचार्य, डॉ. रामनारायण वर्मा, अर्जक साप्ताहिक प्रधान सम्पादक प्रो. शिवकुमार भारती, ओबीसी सेवा संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक, सम्पादक नेशनल जनमत नीरज भाई पटेल, प्रो.कालीचरण सनेही, उमेश अर्जक ने भी विचार व्यक्त किए।

इस दौरान मेवाराम वर्मा, सकल वर्मा, राजरानी वर्मा, कमलेश वर्मा, सोना पटेल, रामस्नेही सिंह, केवल राम सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल पर मानववादी अर्जक साहित्य की स्टॉल भी लगाई गई, जिसमें बड़ी संख्या में पाठकों ने महामना रामस्वरूप वर्मा द्वारा लिखित पुस्तकों व दलित साहित्य की खरीददारी की।

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