यूपी के मुजफ्फरनगर में क्लासरूम में मुस्लिम बच्चे को साथियों से थप्पड़ मरवाने वाली टीचर के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है. नन्हे बच्चों के मन में धार्मिक भेद और नफरत के बीज बोने वाली इस घटना का वीडियो बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद खुब्बरपुर गांव की तरफ पूरी दुनिया की निगाहें हैं। भारतीय ही नही अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस घटना को रिपोर्ट किया है। द मूकनायक भी घटना की वीडियो वायरल होने के अगले ही दिन खुब्बरपुर पहुंचा और ग्राउंड पर जाकर मामले की विभिन्न पहलुओं पर पड़ताल की।
शुक्रवार को यह वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में एक छात्र नजर आ रहा है जिसे एक शिक्षिका के कहने पर उसके साथी थप्पड़ लगाए जा रहे हैं। वीडियो में दिख रही शिक्षिका का नाम तृप्ता त्यागी है, जो गांव के ही एक पब्लिक स्कूल में पढ़ाती हैं. इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर मानो हड़कंप मच गया। सबके मन में यही सवाल है की कोई भी शिक्षिका अपने छात्र के प्रति इतनी अमानवीय कैसे हो सकती हैं? बच्चा रो रहा है उसका चेहरा लाल पड़ चुका है लेकिन चेहरा लाल पड़ जाने के बाद भी शिक्षिका कहती है कि, "चेहरा लाल हो गया है अब पीठ पर मारो।"
वीडियो में कुछ अल्फाज सुनाई देते हैं जहां शिक्षिका धर्म सूचक शब्द का इस्तेमाल करके कुछ कहना चाहती हैं पर उससे पहले ही वीडियो कट जाता है। असल में जिस छात्रा को पीटा जा रहा है वह आठ साल का एक मुस्लिम छात्र है. मामले के तूल पकड़ने के बाद गांव के बड़े बुजुर्ग और प्रधान आदि मिलकर समझौता करवाने की कोशिश करते हैं और समझौता हो भी जाता है। एक किसान परिवार के पास और चारा है भी क्या? आखिर रहना इस गांव में है, दाना पानी उसी गांव से चलना है।
द मूकनायक की टीम जब मुजफ्फरनगर के खुब्बरपुर गाँव पहुंचती है तो वहां गाड़ियों की कतार दिखाई देती है. पीड़ित बालक के घर के बाहर नेताओं और मीडिया का खासा बड़ा जमावड़ा लगा हुआ दिखता है। एक-एक करके तमाम नेता विधायक सांसद परिवार से मिलने आ रहे हैं और परिवार से ज्यादा मीडिया को समय दे रहे हैं।
मीडिया का जमावड़ा खत्म हो जाने के बाद देर रात हमने परिवार से बात की। बालक के पिता सलीम (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि घटना के बाद वे शिक्षिका के घर उनसे मिलने गए थे उन्होंने शिक्षिका से पूछा कि वह इतनी बुरी तरह से छात्र को क्यों पिटवा रहीं हैं? सलीम ने बताया कि शिक्षिका के मन में कोई अपराध बोध नहीं था. वह कहती हैं कि हमारे यहां ऐसे ही होता है। इसी तरीके से पढ़ाई करवाई जाती है। शिक्षिका ने यह भी कहा कि बालक ने पांच का पहाड़ा याद नहीं किया था इसलिए उसको सजा देने का यह तरीका अपनाना पड़ा।
द मूकनायक को सलीम ने बताया की उन्हें शिक्षिका ने यह भी कहा कि 'मोमडन' शब्द का इस्तेमाल इस पूरे प्रकरण में क्यों हुआ। टीचर कह रही थी की मोमडन महिलाएं छुट्टियों में अपने बच्चों को लेकर अपने ननिहाल चली जाती हैं और बच्चों की पढ़ाई का सत्यानाश हो जाता है। प्रथम दृष्टि है यह एक अपराध विहीन बयान देखा जा सकता है, लेकिन सीधा सा सवाल यह है कि क्या केवल मोमडन महिलाएं ही अपने बच्चों को लेकर ननिहाल जाती है? क्या हिंदू महिलाओं ने अपने मायके जाना छोड़ दिया है? और अगर नहीं तो फिर शिक्षिका के मन में यह बात आई कहां से। इस बात पर सलीम कहते हैं कि मुझे लगता है कि उनके मन में मुस्लिम समुदाय के प्रति कोई ना कोई भेदभाव तो जरूर है।
जो वीडियो वायरल हो रहा है उसे पीड़ित छात्र के चचेरे भाई नईम (बदला हुआ नाम) ने बनाया था. नईम किसी काम से पीड़ित बालक के स्कूल गए थे और उन्होंने उसे अलग से खड़े होकर पीटते हुए देखा। ऐसी खबर पहले भी आ चुकी थी कि टीचर बच्चे को पीटती है और पीटने का तरीका कुछ ठीक नहीं है। तो नईम इस पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग करने लगे, टीचर की हां में हां मिलाने लगे ताकि टीचर उन्हें वीडियो रिकॉर्डिंग करने से रोके ना। टीचर नहीं जानती थी कि नईम पीड़ित बच्चे का चचेरे भाई है। नईम बताते हैं कि बच्चों को पढ़ने के लिए सख्ती जरूरी है लेकिन वह सख्ती एक हद तक ही जायज मानी जा सकती है। बच्चों को इतनी बुरी तरह पिटवाना कहीं से जायज नहीं है।
समाज के द्वारा करवाए गए समझौते पर नईम से सवाल किया कि क्या वे संतुष्ट है इस बात से? नईम बताते हैं कि हमें इसी गांव में रहना है, समाज से हमारा दाना पानी है और समाज में ही जीना है, तो समाज की शर्म से समाज की बात मान ली और समझौता कर लिया। लेकिन हम अभी चाहते हैं कि स्कूल और टीचर पर कार्रवाई होनी चाहिए. नईम से हमने यह भी जानने की कोशिश की, कि क्या इससे पहले आपको कभी इस गांव में धर्म के नाम पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है? नईम कहते हैं ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था कि हमें महसूस करना पड़ा हो कि हम, मुसलमान है या फिर कोई और हिंदू है। यहां पर सब की सबसे यारी दोस्ती है, आना-जाना है, उनके और हमारे परिवार में कोई अंतर नहीं है। खुब्बरपुर गांव में लगभग 1700 वोट हैं जिनमें से लगभग 500 मुस्लिम परिवार के और 1200 हिंदू परिवार। फिर भी नईम का कहना है कि हमें कभी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है। लेकिन हमारे बच्चे के साथ जो हुआ वह हमें सोचने पर मजबूर तो जरूर करता है।
द मूकनायक ने इस मामले में आरोपी टीचर से भी बात करने की कोशिश की जो पीड़ित बालक के घर के नजदीक ही रहती हैं. उनके घर पर पहुंचने पर यह बताया गया कि वह स्वस्थ नहीं हैं और किसी से बात नहीं कर सकती हैं. बीती रात सो नहीं पाई और उन्होंने खाना भी नहीं खाया है। हालांकि इस दिन की सुबह कई टीवी चैनलों को तृप्ता त्यागी ने अपना बयान दिया था। अपनी सफाई में वे बताती हैं कि मेरा कोई भी आशय मुस्लिम समाज से नहीं था हम बस यह कह रहे थे कि 'मोमडन' महिलाएं छुट्टियों में अपने बच्चों को लेकर मायके चली जाती हैं इसलिए बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है।
इसी संदर्भ में पीड़ित बालक की माँ से द मूकनायक ने बात की तो वे बताती हैं कि, मजबूरी के कारण समझौता करना पड़ा लेकिन यह समझौता भला कैसे हुआ जब टीचर ने अभी तक कोई माफी मांगी ही नहीं? पीड़ित बालक की माँ ने बताया की जब वे टीचर के घर गये और उनसे पूछा कि उन्होंने क्यों पिटाई करवाई तो बड़ी अकड़ के साथ बोली कि हम तो ऐसे ही करते हैं। और उन्होंने कोई माफी नहीं मांगी। "यह टीचर की गलती है, अगर टीचर ही कह रही है कि अपने साथी को पीटो तो फिर बच्चों के मन में तो यही आएगा कि इस बच्चे को पीटना सही है क्योंकि टीचर कह रही है। इस घटना के बाद तो स्कूल के बाहर और भीतर दूसरे बच्चों के लिए मेरे बेटे को पीटना बहुत आसान हो जायेगा. हम टीचर के भरोसे ही अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं कि वह हमारे बच्चों का ध्यान रखेंगे। अब हमारा बेटा स्कूल जाने से डर रहा है, वह कह रहा है कि मुझे दोबारा पीटा जाएगा और मुझे पढ़ाई नहीं करनी है। हमने उसका नाम स्कूल से कटवा लिया है अब शायद कहीं और पढ़ाएंगे," माँ ने द मूकनायक को बताया।
इस मामले में और जानकारी पाने के लिए हमने बात की CO (सर्किल ऑफिसर) खतौली डॉ. रविशंकर से बात की, वे बताते हैं कि "जब हमें इस बात की जानकारी मिली, तो पीड़ित परिवार की तहरीर पर मामला दर्ज कर लिया गया, और पुलिस की कार्रवाई जारी है। जांच स्कूल की वैधता पर भी की जा रही है जिसमें उत्तर प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा विभाग भी शामिल है। कार्रवाई के नतीजे आने तक स्कूल बंद रखने के आदेश दिए जा चुके हैं। इस मामले में 323 और 504 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है", रवि शंकर बताते हैं कि जानकारी मिलने पर पहले तो यह कहा गया कि समझौता हो चुका है। लेकिन बाद में मंसूरपुर थाना पुलिस ने परिवार की तहरीर पर मामला दर्ज किया था।
इस मामले के सांप्रदायिक एंगल पर भी हमने जानकारी लेने की कोशिश की तो वह बताते हैं परिवार को वीडियो वायरल नहीं करना चाहिए था. सीधा हमारे पास पहुंचना चाहिए था। मुद्दा सोशल मीडिया पर जाने के बाद मामला क्या मोड़ लेता है, यह कोई नहीं कह सकता। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई भी सांप्रदायिक रंग नहीं दिखाई दे रहा है। फिलहाल कार्रवाई की जा रही है, स्कूल को बंद रखने के आदेश दिए जा चुके हैं और टीचर पर भी कार्रवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ें-
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.