उत्तर प्रदेश। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल आरिफ और सारस की दोस्ती खूब चर्चा का विषय बनी। लगातार सुर्खियों में आने के बाद मंगलवार दोपहर वन विभाग की टीम ने सारस को अपने कब्जे में ले लिया। सारस को दूर जाता देख आरिफ की आंखें छलक पड़ी और वह फूट-फूटकर होने लगा। वन विभाग के अधिकारी सारस पक्षी को रायबरेली के समसपुर पक्षी विहार ले गए हैं। अब से सारस की देखभाल करने की जिम्मेदारी वन विभाग ने ली है।
यूपी में अमेठी जिले की गौरीगंज तहसील के जामो विकास खण्ड के मंडका गांव में किसान मोहम्मद आरिफ अपने माता-पिता और पूरे परिवार के साथ रहते हैं। आरिफ का परिवार खेती-किसानी करता है। वह पेशे से खुद की हार्वेस्टर मशीन चलाने और खेती का काम करते हैं।
आरिफ द मूकनायक को बताते हैं, "अगस्त 2022 को मैं घर से 500 मीटर दूरी पर खेत में काम करने गया हुआ था। तब खेत में फसलों के बीच एक बड़े पक्षी को घायल स्थिति में पड़ा हुआ देखा था। पहले मैं भी उसकी बड़ी चोंच और आकार को देखकर डर रहा था। जब मैं उसके पास गया तो उसकी दाहिनी टांग टूटी हुई थी। उससे खून बह रहा था। किसी सियार, लोमड़ी जैसे जंगली जानवर के द्वारा काटे जाने के निशान थे। मैं उसे हिम्मत करके घर ले आया। मेरे पिता पहले उस बड़े पक्षी को देखकर नाराज हुए और दूर जंगल में छोड़कर आने को कहा। मैंने उनसे उसके सही हो जाने तक रखने के लिए कहा। पहले तो पिता नहीं माने बाद में वह राजी हो गए।"
आरिफ आगे बताते हैं, "मैने उसके पैर में खपची (बांस से बना प्लास्टर) बांधकर उसमें देशी दवा और बूटियां लगाई। कुछ महीने तक ईलाज के बाद वह सही हो गया। जब वह पूरी तरह खड़ा होने लगा तब मैंने उसे दोबारा उड़ाने के लिए कोशिश की। कुछ समय तक वह नहीं उड़ पा रहा था। बाद में वह दोबारा उड़ना सीख गया।"
आरिफ ने बताया, "अमेठी जिला प्रशासन ने रायबरेली जिला प्रशासन से सम्पर्क कर सारस को ऊंचाहार में सलोन से सटे समस्तपुर पक्षी विहार भेज दिया है। आज दोपहर वन विभाग की टीम मेरे घर आई थी। उनके साथ अमेठी जिला प्रशासन की टीम भी थी।"
वन विभाग की इस कार्रवाई को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा है, "वन विभाग की टीम उप्र के राजकीय पक्षी सारस को तो स्वतंत्र करने के नाम पर उसकी सेवा करने वाले से दूर ले गयी, देखना ये है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को दाना खिलाने वालों से स्वतंत्र करने के लिए क्या कार्रवाई की जाती है।"
सारस उड़ने वाले पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है। नर और मादा सारस जोड़े में रहकर अपना कुनबा बनाते हैं। इनके बीच में अटूट प्रेम होता है, अगर जोड़े में किसी एक सारस की किसी कारण से मौत हो जाती है, तो दूसरा सारस भी दम तोड़ देता है। सारस तालाब, पोखर और झीलों के किनारे की दलदली जमीन के साथ कृषि योग्य भूमि को अपना बसेरा बनाते हैं और खेतों के कीड़े-मकोड़े से अपना भोजन करते है। इन्हें किसानों का मित्र भी माना जाता है। किसानों का मित्र माना जाने वाले सारस का वजन औसतन 12 किग्रा, लम्बाई 1.6 मीटर तथा जीवनकाल 35 से 80 वर्ष तक होता है। सारस वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनूसूची में दर्ज हैं। देश में सारस की 6 प्रजातियां हैं, इनमें से 3 प्रजातियां इंडियन सारस क्रेन, डिमोसिल क्रेन व कामन क्रेन है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अवैध शिकार के कारण भारत में सारस विलुप्त होने के कगार पर हैं। 2000 में भारत में सारस की केवल 4 जोड़ी बची थी।
उत्तर प्रदेश में पहले सारस की नियमित गणना नहीं होती थी। सारस यूपी का राजकीय पक्षी भी है। वन विभाग ने वर्ष 2012 से साल में दो बार सारस की गणना शुरू की। गणना के लिए समय निश्चित होता है और एक ही समय में पूरे प्रदेश में गणना की जाती है। कोरोना काल में वर्ष 2020 में गणना नहीं हो सकी थी। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद वर्ष 2021 में सारस की गणना फिर शुरू हुई। दिसंबर 2021 की गणना में उत्तर प्रदेश में 17,665 सारस मिले जबकि जून 2021 की गणना में इनकी संख्या 17329 थी। यानी छह महीने में 336 सारस बढ़ गए। उत्तर प्रदेश के कुल 81 वन प्रभागों में से 17 में सारस की संख्या शून्य मिली है। 20 वन प्रभाग ऐसे हैं जिनमें सारस की संख्या पिछले बार से घटी है। एटा में सर्वाधिक कमी देखने को मिली है। यहां पिछली गणना में 1155 सारस मिले थे जबकि दिसंबर 2021 की गणना में 634 सारस ही मिले थे।
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