लखनऊ। यूपी के अयोध्या में एक तरफ करोड़ो खर्च करके भव्य राम मन्दिर का निर्माण कराया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मन्दिर से मात्र 11 किमी दूर स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय को किसी की सुध नहीं है। केंद्र सरकार इसके जीर्णोद्धार के लिए फंड उपलब्ध नहीं करा पा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बच्चे आवासीय विद्यालय परिसर में ही रहकर पढ़ाई करते हैं। डाभासेमर में संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय के दो छात्रावास जर्जर व दयनीय अवस्था में होने के कारण सौ से ज्यादा बच्चे एक हॉल में रहने को मजबूर हैं। विद्यालय प्रशासन की लचर व्यवस्थाओं के चलते छात्रों की संख्या घटती जा रही है।
जानिए कब बना था जवाहर नवोदय विद्यालय?
जवाहर नवोदय विद्यालय की सौगात पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 1984 से 1989 तक भारत के छठवें प्रधानमंत्री रहने के दौरान देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दी थी। 1986 में घोषित शिक्षा नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के लिए जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गई थी।
2019 में असुरक्षित घोषित किया गया हॉस्टल
विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि, 1972-75 के बीच बने 400 बच्चों की क्षमता वाले इस छात्रावास को 2019 में एचबीटीआई कानपुर और अवध विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने अनुपयुक्त और असुरक्षित घोषित कर दिया है, जिसके कारण इसे खाली कराकर ध्वस्तीकरण के लिए प्रस्तावित किया गया है। जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य कृष्ण कुमार मिश्र ने बताया कि इन दोनों छात्रावासों में कुल मिलाकर लगभग 17 कमरें हैं।
उन्होंने बताया कि, इस समस्या के बाबत बीते 25 मई 2022 को मुख्यालय में वार्ता भी हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। बच्चों के रहने के लिए एमपी हॉल की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हो इसके लिए हॉल की खिड़कियों पर जाली लगाने के साथ ही पंखें भी समुचित व्यवस्था की गई है। वहीं इन दोनों छात्रावासों की बात छोड़ दें तो इसके अलावा एक अन्य छात्रावास भी जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। इस छात्रावास को 2023 तक पूरी तरह से ठीक करा लिया जाएगा।
80 से घटकर 40 हुई सीटों की संख्या
जर्जर छात्रावास की समस्या का समाधान नहीं होने का असर इस वर्ष की शैक्षिक व्यवस्था पर भी साफ देखने को मिला। जवाहर नवोदय विद्यालय में इस वर्ष शैक्षणिक सत्र में छात्रों की संख्या को 80 से घटाकर 40 कर दिया गया। विद्यालय में पढ़ने का सपना संजोए छात्रों को इस बार निराश होना पड़ा। विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि ठहरने की व्यवस्था समुचित नहीं होने की स्थिति में जवाहर नवोदय विद्यालय समिति ने सीटों की संख्या में कमी की है।
पूर्व छात्र ने change.org पर शुरू की थी पेटीशन
जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व छात्र रोहित जायसवाल ने change.org पर उक्त मामले की पेटीशन शुरू कर विद्यालय के छात्रों की समस्याओं से लोगों को अवगत कराने व इस समस्या के हल के लिए लोगों से मदद मांगी थी। रोहित द्वारा शुरू किए गए इस पेटीशन पर अबतक 75,00 लोग साइन कर चुके हैं।
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