अयोध्या। राम मंदिर बन रहा है, प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी हो रही है, स्थानीय प्रशासन जी जान से अयोध्या को सजाने में लगा है। द मूकनायक की टीम लखनऊ से 135 किमी का सफर तय कर रामनगरी पहुंची। शहर में चारों ओर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। राम मंदिर तक जाने वाली सड़कों को चौड़ा किया गया है। पहले यह सड़क मात्र बीस फीट चौड़ी हुआ करती थी। इस सड़क के दोनों तरफ मकान और दुकानें मौजूद थीं। सड़क को 45 फीट तक चौड़ा किया गया है। पूरे शहर को एक ही थीम में सजाया जा रहा है।
इधर, शहर को सजाने के क्रम में जिनका मकान व दुकान टूटा उनका अपना दर्द है जो उन्होंने द मूकनायक से साझा किया है। लोगों का कहना है कि उनके मकान और दुकान को अवैध बताकर तोड़ा गया है, जबकि यह निर्माण कई लोगों ने दशकों पहले कराया था। उनके मकान और दुकान को तोड़ने के बाद जो मुआवजा सरकार की ओर से मिला वह भी कम है।
द मूकनायक की टीम पंचकोसी मार्ग से होते हुए अयोध्या में दाखिल हुई थी। इस मार्ग पर दोनों तरफ मकान और दुकानें तोड़कर सड़क चौड़ीकरण का काम किया गया था। लोग अपने गिरे हुए मकान का मलबा इकट्ठा कर रहे थे, जबकि कुछ अपने मकान के तोड़े गए हिस्से का निर्माण करवा रहे थे। हमने ऐसे ही एक व्यक्ति से बात की। उनका नाम विष्णु कांत गुप्ता है। विष्णु अयोध्या में हो रहे राम मंदिर निर्माण को लेकर खुश तो है, लेकिन उन्हें मकान का एक हिस्सा सड़क में चले जाने का दुःख ज्यादा था।
उन्होंने कहा, "सरकार ने हमारा मकान गिरा दिया है। हम वर्षों से यहां रह रहे थे। हम चार भाई हैं। मकान का आधा हिस्सा तोड़ देने के कारण अब घर छोटा हो गया है। मेरे घर का 13 फीट हिस्सा सड़क में चला गया है। सरकार ने मुआवजे के रूप में 6 लाख रुपए मिला है। हम चार भाइयों के हिस्से में डेढ़-डेढ़ लाख रुपया ही आया है। हम चारों भाई इसी मकान में रहते हैं। उचित मुआवजा दिया होता तो इतनी तकलीफ नहीं होती। मेरी पत्नी और दो बेटियां साथ में रहती हैं। अभी उनकी पढ़ाई से लेकर शादी तक की जिम्मेदारी निभानी है। ऐसे में यह मेरे लिए एक बड़ी समस्या है।"
द मूकनायक की टीम पंचकोसी परिक्रमा मार्ग से चलकर टेढ़ी बाजार चौराहा पहुंची। पंचकोसी मार्ग के दोनों तरफ हजारों मकान और दुकानें सड़क चौड़ीकरण के लिए तोड़े गए थे। टेढ़ी बाजार से रामकोट की ओर लगभग तीन किमी चलने पर रामजन्म भूमि का भव्य निर्माण हो रहा है। यहां के लोगों ने द मूकनायक को जानकरी दी कि राम जन्मभूमि से सटी हुई जमीन को रामकोट क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यह नगर निगम अयोध्या का वार्ड नम्बर- 54 है। यहां के क्षेत्रीय निवासियों ने जानकारी दी कि राम मंदिर निर्माण के दौरान अहिराना मोहल्ला, दुराही कुंआ, कटरा मोहल्ला, मौर्या मोहल्ला, कौशल्या घाट, राज घाट व रैन बसेरा में भी लोगों के घर और दुकानें पूरी तरह तोड़ दी गई हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि रामजन्म भूमि पथ, भक्ति पथ और राम पथ के चौड़ीकरण में कथिततौर पर लगभग चार हजार लोगों के मकान और दुकान प्रभावित हुए हैं।
द मूकनायक की टीम रामकोट में मौजूद थी। यहां के लोगों ने बताया कि बाबरी मस्जिद (अब राम मंदिर) से लगभग 10 मीटर की दूरी पर अहिराना मोहल्ला (यादव बहुल मोहल्ला) मौजूद था। इसमें लगभग 25 से अधिक पक्के मकान थे, जिन्हे तोड़ दिया गया है। इनमें से अधिकाँश लोगों को एक पैसा तक नहीं दिया गया है। यह लोग अब किस हाल में रह रहे हैं यह जानने के लिए द मूकनायक की टीम ऐसे लोगों के घर उनका हाल जानने पहुंची। अहिराना मोहल्ले में रहने वाले 21 साल के राजन यादव का परिवार यहां कई पीढ़ियों से रह रहा था। वहीं मकान लगभग ढाई बिसवां जमीन (लगभग 3 हजार स्क्वायर फुट) में बना हुआ था।
राजन ने अपना आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली का बिल और हाउस टैक्स जैसे जरूरी दास्तावेज दिखाते हुए कहते हैं, “मेरा जन्म इसी अहिराना मोहल्ले में हुआ। मेरे पिता रामू यादव भी यहीं पैदा हुए थे। इस जगह पर रहकर मेरे बाबा और पिता ने पक्का मकान बनवाया था। हमें यह जानकारी नहीं थी कि सरकार हमसे यह जमीन छीन लेगी। कम से कम हमारा घर बनाने में जो लागत आई उसका पैसा तो हमें दे देते। किसी अन्य जगह पर हमें मकान या जमीन दे देते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरे घर में मेरी तीन बहनें रानी यादव (19) तनु यादव (15) मनु यादव (14) मेरी माँ ज्ञानमती यादव (45) और मेरे बूढ़े बाबा (दादा) हैं।”
राजन आगे बताते हैं, “2004 में पिता की मौत के बाद मैंने पढ़ाई छोड़ दी। घर का सबसे बड़ा होने के नाते सारी जिम्मेदारी मैंने उठा ली है। नेशनल लेवल पर रेसलिंग खेलकर गाँव- जिले का नाम रौशन किया। 2006 में प्लॉट लिया और उसे बनवाया, लेकिन अब फिर से काम शुरू करने के लिए हमारे पास पैसा नहीं है।”
राजन नगर निगम अयोध्या द्वारा तोड़े गए मकान को लेकर द मूकनायक से कहते हैं, “राम मंदिर बन रहा है विश्व यही चाहता है, लेकिन किसी का घर उजाड़ कर राम मंदिर बनाना अच्छी बात नहीं है। मेरे मोहल्ले में लगभग सात परिवार ऐसे हैं, जिन्हें एक भी पैसा नहीं मिला है। क्या सरकार को हमारी पीड़ा नहीं समझनी चाहिए।”
टीम राजन के घर से निकलकर कनक भवन की ओर आगे बढ़ी। रामजन्मभूमि की बाउंड्री वॉल के पास कुछ लोग कच्ची सी दिखने वाली झोपड़ी में रह रहे थे। लगभग 60 साल का वृद्ध व्यक्ति दिखा। उन्होंने अपना नाम रविंद्र यादव बताया। रविंद्र ने रामजन्मभूमि की बाउंड्रीवाल की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इस बाउंड्री वाल के अंदर दस मीटर दूरी पर ही कभी अहिराना मोहल्ला हुआ करता था। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना की तरफ से मुझे मकान बनाने के लिए ढाई लाख रुपए मिले थे। बेटी की शादी के लिए रखा हुआ ढाई तीन लाख रुपया मिलाकर घर बनवाया था। रंगाई-पुताई के लिए पचास हजार का कर्जा भी लिया था। अब घर भी टूट गया, न तो घर मिला और न ही जमीन मिली। सारे सपने टूट गए हैं।
रविंद्र यादव के पड़ोस में ही एक महिला अपनी बेटी के साथ झोपड़ी के बाहर बैठी हुई थी। उसे देखकर लग रहा था कि वह सरकारी मदद की आस में है। द मूकनायक की टीम उसके पास पहुंची और उसका नाम पूछा। महिला ने अपना नाम गीता यादव बताते हुए कहा, "मेरा मकान एक बिसवां (लगभग 1300 स्क्वायर फुट) में बना था। चार कमरे, लैट्रिन बाथरूम और किचन था। मेरी एक बेटी और तीन बेटे हैं। अभी किसी की शादी नहीं हुई है। मुझे न तो जमीन मिली है और न घर ही मिला है। मेरे पति मजदूरी (मिस्त्री) करते हैं। मेरे पति ने ही मकान बनाया था जो तोड़ दिया गया। इस समय राम मंदिर के पीछे अस्थाई रूप से बनाई झोपड़ी में रह रही हूं।"
इसके बाद द मूकनायक की टीम कनक भवन के रास्ते दशरथ महल होते हुए हनुमानगढ़ी पहुंची। हनुमानगढ़ी के रास्ते को भी तोड़कर चौड़ा किया गया था। पुरानी दुकानों को तोड़कर नई दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। यह रास्ता भक्ति पथ कहलाता है। हनुमानगढ़ी के पास मौजूद एक कंबल और कपड़े की दुकान पर द मूकनायक की टीम पहुंची। दुकान के मालिक रवि गुप्ता से बातचीत की। रवि ने बताया कि "मैं लगभग 20 साल से ज्यादा से यहां पर व्यापार कर रहा हूँ। यह दुकान हनुमानगढ़ी की सम्पत्ति है। इस दुकान का किराया अब तक मात्र पांच सौ रूपये ही था। इस दुकान को तोड़कर नया निर्माण किया गया है। पहले मेरी दुकान 25 फीट चौड़ी और 24 फुट गहरी थी। मार्ग चौड़ा हुआ तो मेरी दुकान की गहराई 18 फीट घटकर 6 फीट ही रह गई है। पुनर्वास राशि के नाम पर मुझे दो दुकान का दो लाख रुपए मिला था। इसमें का पचास प्रतिशत पगड़ी के रूप में जमा करा लिया गया है। इसका किराया भी बढ़ा दिया गया है। सोचा था राम मंदिर बनेगा तो अब कमाई होगी, लेकिन दुकान अब छोटी हो गई है, इसलिए इसमें ज्यादा माल नहीं आ पाता है।"
थोड़ा आगे बढ़ने पर पूजा सामग्री की दुकान करने वाले रामनारायण मौर्या से मुलाकात हुई। रामनरायण ने बताया कि, "मेरी दुकान राममन्दिर से पचास मीटर दूरी पर थी। उसे देर रात में तोड़ दिया गया। सामान तक निकालने नहीं दिया गया। इस दुकान की शुरुआत मेरे पिता ने की थी। पहले वह जमीन पर सामान लगाते थे। फिर मन्दिर के पुजारी ने इस जमीन पर हमें दुकान बनाने दी। इसका किराया भी हम देते थे। पहले किराया मात्र 350 रुपए था। दुकान हटाने के लिए हमें एक लाख रुपए दिया गया और यह भी कहा गया था दुकान मिलेगी, लेकिन सरकार ने अब इसकी कीमत 15 से 20 लाख रुपए कर दी है। पगड़ी जमा करने के बाद देने को कहा है। इसके अतिरिक्त इसका हर महीने किराया भी देना पड़ेगा। ऐसे में हम गरीब दुकान वाले जमीनों को खरीदने में सक्षम नहीं है। बड़े-बड़े बिजनेस मैन इन दुकानों को ले रहे हैं।"
रामजन्मभूमि निर्माण के दौरान रवि गुप्ता और रामनारायन मौर्या की तरह ही पुरुषोत्तम झा, जगन्नाथ यादव, मनोज गोविन्द राव, ध्रुव गुप्ता, कन्हैया मदनवाल, शक्ति जायसवाल, विपिन यादव व शिवम गुप्ता जैसे ही कई दुकानदारों की दुकानें तोड़ी गई हैं। सभी का एक ही दर्द है कि उन्हें कम मुआवजा मिला है और दुकान छोटी हो गई। इस मामले में व्यापारी नेता नंदू गुप्ता ने कहा कि रामजन्म भूमि मार्ग लगभग 800 मीटर लंबा, भक्ति पथ लगभग 800 मीटर और राम पथ लगभग 13 किमी लंबा है। रामपथ को लगभग 20 मीटर और भक्ति पथ को लगभग 14 मीटर चौड़ा किया गया है। इस कार्रवाई में 1600 दुकानदार ऐसे हैं, जिनकी दुकानें पूरी तरह खत्म हो गईं। लगभग तीन हजार लोग ऐसे हैं, जिनके घर और मकान अब आधे हो गए हैं। जब यह कार्रवाई शुरू हुई तब हमने विरोध प्रदर्शन किया था। इस मामले में अब तक दो बार मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है।
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